सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गया दौरे के समय आईटी मंत्री मोहम्मद इजराइल मंसूरी उनके साथ विष्णुपद मंदिर में गए थे. इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने काफ़ी विरोध जताया था. अब मुज़फ़्फ़रपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अदालत में शिकायत दर्ज कर उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
मुजफ्फरपुर/पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री मोहम्मद इजराइल मंसूरी के गया के विष्णुपद मंदिर जाने को लेकर शिकायत दाखिल की गई है.
मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और शिकायतकर्ता चंद्र किशोर पराशर ने स्थानीय अदालत में दी गई शिकायत में मंत्री के खिलाफ ‘हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं’ को कथित रूप से आहत करने के लिए एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया है.
पराशर के वकील रवींद्र कुमार सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे मुवक्किल ने अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में कहा कि मंत्री को मुस्लिम होने के कारण विष्णुपद मंदिर नहीं जाना चाहिए था. सनातन धर्म का पालन करने वालों को ही मंदिर में जाने की अनुमति है. मेरे मुवक्किल ने अपनी शिकायत में कहा कि हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए.’
अदालत दो सितंबर को मामले की सुनवाई करेगी.
द हिंदू के अनुसार, इस बीच मंदिर का ‘शुद्धिकरण’ और गर्भ गृह में क्षमा पूजा की गई. मंदिर प्रबंधन समिति ने मंत्री को बर्खास्त करने की भी मांग की है.
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट सहयोगी मंसूरी के गया में मंदिर जाने के विवाद पर निराशा और नाराजगी व्यक्त की.
कुमार ने बुधवार को पटना में विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए अपने भाजपा की ‘विभाजनकारी’ राजनीति को विवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने पूछा, ‘वे (भाजपा) बेवजह के मुद्दों को उठाकर समाज को बांटना चाहते हैं. उनकी क्या शिकायत है? क्या उनके मंत्री मेरे साथ मंदिरों में नहीं गए हैं?’ जब यह कहा गया कि राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन कई हिंदू मंदिरों में जा चुके हैं, तो उन्होंने हां में सिर हिलाकर इस बात पर स्वीकृति जताई.
आईटी विभाग का जिम्मा संभालने वाले मंसूरी को गया जिले का प्रभार भी दिया गया है. राज्य मंत्रिमंडल में मंत्रियों को एक या एक से अधिक जिले सौंपे जाते हैं जहां वे कार्यक्रम समन्वय समिति के प्रमुख होते हैं.
पसमांदा मुस्लिम समाज से आने वाले मंसूरी इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्यमंत्री के साथ गया के दौरे के क्रम में विष्णुपद मंदिर गए थे. मंसूरी ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘मुख्यमंत्री के साथ मंदिर के दर्शन का अवसर पाकर मैं खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं.’
इसके बाद, भाजपा नेताओं ने परिसर में एक नोटिस बोर्ड का हवाला देते हुए कहा था कि केवल सनातन धर्म के अनुयायियों को उक्त मंदिर में प्रवेश की अनुमति है.
हालांकि, राजद और जदयू दोनों ही के नेताओं ने भाजपा के विरोध को बेवजह बताया था और ‘ध्रुवीकरण’ की राजनीति करने का आरोप लगाया था. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि कोई भी भाजपा (की बात) पर ध्यान नहीं देता है.
वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता और एक अन्य कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी का कहना था, ‘यह भाजपा की मानसिकता है कि हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के पूजा स्थलों पर नहीं जाएं. हम मंदिरों और मजारों में एक ही भावना से जाते हैं.’
यह बताए जाने पर कि विष्णुपद मंदिर के भीतर गैर-हिंदुओं का प्रवेश निषिद्ध है, चौधरी ने कहा, ‘मंसूरी जी को इस बारे में पता नहीं था. लेकिन यह ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हंगामा किया जाना चाहिए.’
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा था कि भारतीय संविधान में सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत पर आधारित धर्मनिरपेक्षता को विशेष महत्व प्रदान किया गया है. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अंतःकरण की स्वतंत्रता है, अर्थात यदि किसी व्यक्ति को अपने धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म के प्रति भी सम्मान है तो उन्हें धार्मिक स्थल पर आने जाने से रोका नहीं जा सकता.
उन्होंने आगे कहा था कि जहां तक भाजपा द्वारा इन मामलों को तूल देने का प्रश्न है तो उनके पास न कोई विकास का एजेंडा है और न ही वो बेरोजगारी एवं भूखमरी जैसे समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर हैं. भाजपा धार्मिक उन्माद उत्पन्न कर ध्रुवीकरण की राजनीति करती है. भाजपा इस मुद्दे के द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल को बिगाड़ना चाहती है, पर उसके इस झांसे में बिहार या भारत की जनता अब आने वाली नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)