बढ़ती क़ीमतें नियंत्रित करने के लिए अब गेहूं के आटे के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई

इससे पहले मई महीने में सरकार ने घरेलू स्तर पर बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. एक सरकारी बयान के अनुसार, इस निर्णय के बाद गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इससे पहले मई महीने में सरकार ने घरेलू स्तर पर बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. एक सरकारी बयान के अनुसार, इस निर्णय के बाद गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को गेहूं आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिए इसके निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय किया गया.

आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल के इस निर्णय से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति होगी. इससे आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा.

रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं. दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध से गेहूं की आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हुई है. इससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है. इसके कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है.

सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया. भारत से गेहूं आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 प्रतिशत बढ़ा है.

बयान के अनुसार, इससे पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी. ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इसके निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की जरूरत थी.

बयान में कहा गया है, ‘सीसीईए ने गेहूं या मेस्लिन आटे पर निर्यात प्रतिबंध/रोक से छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.’

इससे पहले जुलाई में डीजीएफटी की एक अधिसूचना में कहा गया था कि सरकार ने गेहूं का आटा या आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर एक शर्त लगाई है.

एक अधिकारी ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पहले गेहूं के आटे के लिए निर्यात व्यवस्था ‘मुक्त’ थी, लेकिन अब यह प्रतिबंधित श्रेणी में आ गई है.

उल्लेखनीय है कि 2021-22 में भारत ने 24.6 करोड़ डॉलर के गेहूं के आटे का निर्यात किया. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि के दौरान निर्यात लगभग 12.8 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है.

ज्ञात हो कि मई में गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने के बाद सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था.

उस समय विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बताया था कि सरकार ने कहा कि चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए चीनी निर्यात को विनियमित करने का निर्णय लिया है.

हालांकि ये पाबंदी यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं की गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)