सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि उन्होंने और जस्टिस यूयू ललित (वर्तमान सीजेआई) ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर कब्ज़ा करने के केरल सरकार के प्रयासों को रोक दिया था.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि ‘राजस्व के लिए वामपंथी सरकारों ने हर जगह हिंदू मंदिरों को नियंत्रण में ले लिया है.’
बार एंड बेंच के मुताबिक, वीडियो में जस्टिस इंदु मल्होत्रा लोगों के एक समूह को यह बताते हुए देखी जा सकती हैं कि उन्होंने और जस्टिस यूयू ललित (भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश) ने केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के संबंध में इस तरह के प्रयासों को रोक दिया.
वीडियो मंदिर परिसर के बाहर शूट हुआ प्रतीत होता है.
उन्हें कहते हुए देखा जा सकता है, ‘इन वामपंथी सरकारों के साथ यही होता है. वे राजस्व के कारण मंदिरों पर कब्जा करना चाहती हैं. उनकी समस्या राजस्व है. हर जगह उन्होंने कब्जा कर लिया है. हर जगह. केवल हिंदू मंदिर. इसलिए जस्टिस ललित और मैंने कहा, नहीं हम इसकी अनुमति नहीं देंगे.’
Communist Governments all over are overtaking Hindu Temples: Justice (R) Indu Malhotra sparks row with comment #indumalhotra #temples #hindutemple pic.twitter.com/YnraleVNiX
— News18 (@CNNnews18) August 29, 2022
गौरतलब है कि वे जुलाई 2020 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र कर रही थीं जो उन्होंने और जस्टिस ललित ने दिया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि त्रावणकोर शाही परिवार के पास श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के रखरखाव और प्रबंधन का अधिकार है.
2011 में केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में केरल सरकार को यह अधिकार दिया था, इसे शाही परिवार के महाराजा ने चुनौती देते हुए एक अर्जी दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी थी.
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर और देवता के प्रबंधन का अधिकार शाही परिवार को है, जो कि उस शासक की मृत्यु के साथ समाप्त नहीं होगा जिसने 1949 में भारत सरकार के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके चलते तत्कालीन त्रावणकोर रियासत भारतीय संघ में विलय हो गई थी.
अदालत ने मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन के लिए पांच सदस्यीय प्रशासकीय समिति का भी गठन किया था.
द हिंदू के अनुसार, जस्टिस मल्होत्रा रविवार को हुए तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्लैटिनम जुबली समारोह के संबंध में आयोजित सम्मेलन सहित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए केरल के दौरे पर थीं.
Justice Indu Malhotra is ignorant of public finance of Kerala government,and worse,deeply prejudiced against communists. Not a paise of temple revenues enter budget receipts, while hundreds of crores are spent for facilities for devotees and to support temple administration.
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) August 29, 2022
उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सीपीआई (एम) नेता थॉमस इसाक, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समय केरल के वित्त मंत्री थे, ने पूर्व न्यायाधीश पर ‘कम्युनिस्टों के खिलाफ गहरा पूर्वाग्रह’ रखने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा ‘केरल सरकार के सार्वजनिक वित्त से अनभिज्ञ हैं’ और यह कि ‘मंदिर राजस्व का एक पैसा भी बजट रसीद में नहीं जुड़ता है.’
उल्लेखनीय है कि जस्टिस मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थीं, जिसने मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी. पीठ की एकमात्र महिला जज इंदु मल्होत्रा थीं, जिन्होंने चार अन्य जजों की बात से इत्तेफाक न रखते हुए अपना अलग फैसला लिखा था.
उनका कहना था कि तर्क को धर्म के मामलों में नहीं लाना चाहिए, साथ ही गहराई तक धार्मिक आस्थाओं से जुड़े विषयों में अदालत द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए.
इस बीच जस्टिस मल्होत्रा के इस वीडियो के सामने आने के बाद केरल सरकार ने सोमवार को विधानसभा को सूचित किया कि उसने संकट के हालिया वर्षों के दौरान राज्य में विभिन्न मंदिर बोर्डों को 229 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीपीआई(एम) के चार विधायकों के लिखित सवाल के जवाब में राज्य के मंदिर मामलों के मंत्री के. राधाकृष्णन ने विधानसभा को बताया कि सरकार ने त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड, कोच्चि देवस्वाम बोर्ड, मालाबार देवस्वाम बोर्ड और कूडलमणिक्यम देवस्वाम बोर्ड को कोरोना वायरस महामारी और 2018 की बाढ़ से पैदा हुए संकट से उबरने के लिए 165 करोड़ रुपये की सहायता दी है.
राधाकृष्णन ने कहा कि इस आवंटन में से त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड को 120 करोड़ रुपये की सहायता मिली थी.
इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि मई 2021 में वर्तमान एलडीएफ सरकार के आने के बाद त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड को 20 करोड़ रुपये और मालाबार देवस्वाम बोर्ड को 44 करोड़ रुपये का सहायता-अनुदान दिया गया था.