राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जिनमें से 37,751 दिहाड़ी मज़दूर, 18,803 स्वरोज़गार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोज़गार शामिल थे. वहीं, 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की.
नई दिल्ली: दिहाड़ी मजदूरों, स्वरोजगार से जुड़े लोगों, बेरोजगारों और कृषि क्षेत्र से संबद्ध लोगों ने 2021 में सर्वाधिक संख्या में आत्महत्या की. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
उल्लेखनीय है कि 2021 कोविड-19 महामारी का वर्ष था.
एनसीआरबी की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जिनमें से 37,751 दिहाड़ी मजदूर, 18,803 स्वरोजगार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोजगार शामिल थे.’
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की.
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र से संबद्ध 10,881 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 5,318 किसान और 5,563 खेत मजदूर थे. 5,318 किसान में से 5107 पुरुष और 211 महिलाएं थीं. 5,563 खेत मजदूरों में से 5,121 पुरुष तथा 442 महिलाएं थीं.
आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुदुचेरी जैसे कुछ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किसी किसान या खेत मजदूर ने आत्महत्या नहीं की.
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र से जुड़े सर्वाधिक संख्या में, 37.3 प्रतिशत लोगों ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की. इसके बाद, कर्नाटक (19.9 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (9.8 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (6.2 प्रतिशत) और तमिलनाडु (5.5 प्रतिशत) का स्थान है.
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करने वाले 1,64,033 लोगों में निजी क्षेत्र के उद्यमों में कार्यरत 7.0 प्रतिशत यानी 11,431 लोग थे, जबकि 1.2 प्रतिशत यानी 1,898 सरकारी कर्मचारी थे. स्वरोजगार से जुड़े 20,231 लोगों ने आत्महत्या की.
रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करने वाले 1,05,242 लोगों की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम थी, जबकि 51,812 लोग एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की वार्षिक आय वर्ग के थे.
एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2020 में आत्महत्या के कुल 1,53,052 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में सात प्रतिशत अधिक कुल 1,64,033 मामले दर्ज किए गए थे. इसमें कहा गया है कि आत्महत्या की दर में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
पिछले साल देश में महाराष्ट्र में आत्महत्या के सर्वाधिक 22,207 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 मामले दर्ज किए गए, जो आत्महत्या के कुल मामलों का क्रमश: 13.5 प्रतिशत, 11.5 प्रतिशत, 9.1 प्रतिशत, 8.2 प्रतिशत और आठ प्रतिशत है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनसीआरबी की रिपोर्ट ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया’ से पता चलता है कि 2021 में आत्महत्या पीड़ितों में दिहाड़ी मजदूरों और स्वरोजगारों की 42,004 आत्महत्याओं के साथ 25.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2014 के बाद से देश में आत्महत्या से मरने वालों में दिहाड़ी मजदूरों की हिस्सेदारी पहली बार तिमाही के आंकड़े को पार कर गई है. 2021 के दौरान दर्ज 1,64,033 आत्महत्या पीड़ितों में सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर थे.
एनसीआरबी नौ पेशेवार समूहों के तहत आत्महत्या के आंकड़ों को वर्गीकृत करता है – छात्र, पेशेवर/वेतनभोगी, दैनिक वेतन भोगी, सेवानिवृत्त व्यक्ति, बेरोजगार, स्वरोजगार, गृहिणी, कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्ति और अन्य व्यक्ति.
इन समूहों में स्वरोजगार से जुड़े लोगों द्वारा आत्महत्या में 16.73 प्रतिशत की उच्चतम वृद्धि दर्ज की गई. 2021 में 20,231 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि 2020 में 17,332 और 2019 में 16,098 लोगों ने आत्महत्या की थी.
रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगार समूह एकमात्र ऐसा समूह है, जिसमें आत्महत्याओं में गिरावट देखी गई – 2020 में 15,652 से 12.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2021 में 13,714 आत्महत्याओं की संख्या घटी.
साल 2021 के दौरान गृहिणी श्रेणी में कुल आत्महत्याओं का 14.1 प्रतिशत हिस्सा था – उनकी संख्या 2020 में 22,374 से 3.6 प्रतिशत बढ़कर 2021 में 23,179 हो गई.
रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 में छात्र आत्महत्याओं की संख्या 13,089 थी, जो 2020 में 12,526 थी. 2021 में, सेवानिवृत्त व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या की संख्या 1,518 थी, जबकि अन्य व्यक्ति श्रेणी में 23,547 आत्महत्याएं दर्ज की गईं.
रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश भर में पारिवारिक समस्याएं (विवाह संबंधी समस्याओं के अलावा) 33.2 प्रतिशत के साथ, विवाह संबंधी समस्याएं (4.8 प्रतिशत) और बीमारी (18.6 प्रतिशत) ने मिलकर कुल आत्महत्याओं का 56.6 प्रतिशत हिस्सा था.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लगभग 68.1 प्रतिशत पीड़ित पुरुष विवाहित थे, जबकि महिला पीड़ितों के लिए यह अनुपात 63.7 प्रतिशत था.’
आत्महत्या के शिकार 11.0 प्रतिशत निरक्षर थे, आत्महत्या के शिकार 15.8 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक शिक्षित थे, 19.1 प्रतिशत आत्महत्या पीड़ित मध्यम स्तर तक शिक्षित थे और 24.0 प्रतिशत आत्महत्या पीड़ित मैट्रिक स्तर तक शिक्षित थे. कुल आत्महत्या पीड़ितों में से केवल 4.6 प्रतिशत स्नातक और उससे ऊपर के थे.
रिपोर्ट में 2021 के दौरान आत्महत्या पीड़ितों के कुल पुरुष-महिला अनुपात 72.5 : 27.5 पर आंका गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की घटनाओं के रूप में परिभाषित) 12 दर्ज की गई, जो 2020 में 11.3 और 2019 में 10.4 से मामूली अधिक थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)