यूपी: मुरादाबाद में खुले में नमाज़ पढ़ने के आरोप में 25 लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमा निरस्त

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव का मामला. पुलिस ने कहा कि अब मामले को ख़ारिज कर दिया है, क्योंकि मामले की जांच में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला है.

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Gurugram: People offer namaz under police presence (unseen), after the recent disruptions by Hindu activists organisations, in Gurugram on Friday.( PTI Photo )(PTI5_11_2018_000120B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव का मामला. पुलिस ने कहा कि अब मामले को ख़ारिज कर दिया है, क्योंकि मामले की जांच में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव में कथित तौर पर ‘खुले में’ नमाज पढ़ने के आरोप में 25 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा पुलिस ने निरस्त कर दिया है. मुरादाबाद पुलिस ने ट्विटर पर मंगलवार को यह जानकारी दी.

मुरादाबाद पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल (खाते) से मंगलवार को ट्वीट किया गया, ‘ग्राम दुल्‍लेपुर में वादी चंद्रपाल आदि ने सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर पुलिस स्टेशन छजलैट में मुकदमा पंजीकृत कराया था, विवेचना के उपरांत घटना का प्रमाणित होना नहीं पाया गया.’

इसी ट्वीट में आगे कहा गया है, ‘अत: विवेचना को मय जुर्म खारिजा रिपोर्ट समाप्त (एक्सपंज) किया गया. शेष विधिक कार्यवाही तदनुसार संपन्न की जाएगी.’

अपर पुलिस अधीक्षक-ग्रामीण (एएसपी- ग्रामीण) संदीप कुमार मीणा ने सोमवार (29 अगस्त) को बताया था कि दुल्‍लेपुर गांव में गत 24 अगस्त को कुछ लोग एक मकान में नमाज अदा कर रहे थे.

उन्होंने बताया था कि मकान में जगह नहीं होने पर कुछ लोग बाहर खुले में आकर नमाज पढ़ने लगे, जबकि पूर्व में उन्‍हें ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गई थी.

मीणा ने बताया था कि इस मामले में कुछ ग्रामीणों की शिकायत पर 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में अब तक किसी भी शख्स को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

द हिंदू के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि खुले में नमाज पढ़कर ये लोग (मुसलमान) लोगों के बीच नफरत और दुश्मनी फैला रहे हैं.

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि उसने 24 अगस्त को मुसलमानों को सामूहिक नमाज अदा करते देखा है.

शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि ग्रामीणों ने अतीत में भी इसी तरह की सूचना दी है और गांव के बुजुर्ग उस समय एकत्र हुए थे और मामला सुलझा लिया गया था, तब मुसलमानों ने आश्वासन दिया था कि वे सामूहिक नमाज नहीं पढ़ेंगे.

शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘लेकिन 24 अगस्त को उसने फिर से मुसलमानों को सामूहिक नमाज अदा करते देखा था.’

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505(2) के तहत 16 नामजद और 10 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

एसएसपी ने कहा, ‘हमने अब मामले को खारिज कर दिया है, क्योंकि मामले की जांच में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित ‘कोई सबूत नहीं’ मिला है.’

द हिंदू से बात करते हुए एक शिकायतकर्ता चंद्रपाल सिंह ने कहा कि वह अभी भी अपने दावे पर कायम है कि मुसलमान गांव के एक घर में सामूहिक नमाज अदा कर रहे हैं और इससे माहौल खराब हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को लिखित में देना चाहिए कि वे ऐसा दोबारा नहीं करेंगे.’

इस बीच मामले के एक आरोपी वाहिद सैफी ने दावा किया कि वह उस जमीन के कानूनन मालिक हैं, जिस पर नमाज अदा की गई थी.

उन्होंने दावा किया कि उक्त स्थान पर आजादी के बाद से अक्सर नमाज पढ़ी जाती थी, लेकिन हाल ही में खुद को बजरंग दल के कार्यकर्ता बताने वाले कुछ ‘उपद्रवी तत्‍वों’ ने इसे नई परंपरा बताते हुए इसका विरोध किया था और गत तीन जून को छजलैट थाने में शिकायत की थी.

सैफी के मुताबिक, इस शिकायत पर पुलिस ने मौके का दौरा किया था और सभी कागजात की जांच के बाद उप-जिलाधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होने को कहा था.

उन्होंने बताया कि उप-जिलाधिकारी को भी सभी कागजात दिखाए गए, जिस पर अधिकारियों ने खुले में नमाज नहीं पढ़ने की हिदायत दी थी. उसके बाद से सभी लोग घर के दायरे में ही रहकर नमाज पढ़ रहे थे.

सैफी ने कहा कि गत 24 अगस्‍त को खुले में नमाज पढ़ने के आरोप में गुपचुप तरीके से एक मुकदमा दर्ज करा दिया गया, जिसके बारे में उन्‍हें मीडिया की खबरों से पता लगा.

इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्‍यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मामले की निंदा करते हुए सिलसिलेवार ट्वीट किए.

उन्‍होंने ट्वीट में कहा, ‘भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज नहीं पढ़ सकते? क्या अब नमाज पढ़ने के लिए भी हुकूमत/पुलिस से इजाजत लेनी होगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका जवाब देना चाहिए, कब तक मुल्क में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी का सलूक किया जाएगा?’

उन्‍होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘समाज में कट्टरपंथी सोच इस हद तक फैल गई है कि अब घरों में नमाज पढ़ने से भी लोगों के जज़्बात को ठेस पहुंच जाती है.’

इधर, मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा कि उन्होंने दुल्‍लेपुर गांव का दौरा किया और पाया कि सभी कानूनी रूप से अपने अधिकारों का लाभ उठा रहे थे और गांव में सांप्रदायिक सद्भाव कायम है.

उन्होंने दावा किया कि कुछ बदमाशों ने थाने में शिकायत की थी, जो निराधार पाई गई थी.

उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदगी में सभी ग्रामीणों की बैठक हुई और सांसद निधि से एक मंदिर और एक मस्जिद का निर्माण करने का फैसला किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)