आतंकी संगठनों के साथ कथित संबंधों को लेकर इस महीने गिराया जाने वाला असम का यह तीसरा मदरसा है. इससे पहले 29 अगस्त को बारपेटा ज़िले में एक मदरसे और 4 अगस्त को मोरीगांव ज़िले में एक मदरसे को प्रशासन द्वारा ढहा दिया गया था.
गुवाहाटी: असम के बोंगाइगांव जिले में अधिकारियों ने बुधवार को एक मदरसे को ढहा दिया, जिसके परिसर में कथित तौर पर जिहादी गतिविधियां चल रही थीं. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
अधिकारी ने बताया कि अल-कायदा भारतीय उपमहाद्वीप और अंसार-उल-बांग्ला टीम से संबंध होने के संदेह में पिछले सप्ताह मदरसे के एक शिक्षक को गिरफ्तार किया था.
अधिकारी ने कहा कि जिले के जोगीघोपा इलाके में स्थित दो मंजिला कबायतारी मा आरिफ मदरसे को तोड़ने के लिए बुलडोजर तैनात किए गए थे. मदरसे के परिसर में बने अन्य ढांचों को भी ढहा दिया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बीते 26 अगस्त को पुलिस ने मदरसे के शिक्षक मुफ्ती हाफिजुर रहमान को गिरफ्तार किया था. रहमान 2018 में शिक्षक के रूप में मदरसे में शामिल हुए थे.
बोंगाईगांव के पुलिस अधिकारी ने कहा था कि मंगलवार (30 अगस्त) रात गोलपाड़ा पुलिस को एक अभियान के दौरान कबायतारी मा आरिफ मदरसे की कैंटीन से ‘जिहादी’ तत्वों से संबंधित दस्तावेज मिले थे, जिसके बाद इसे ढहाया जा रहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वप्नील डेका ने कहा, ‘हमने मंगलवार को छापेमारी के दौरान जिहादी समूहों के साथ संबंध का सुझाव देने वाले आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी के बाद बुधवार सुबह बोंगईगांव के कबायतारी में मदरसे को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू की.’
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने मदरसे को भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया था और घोषित किया था कि यह रिहाइश के लिए उपयुक्त नहीं है.’
एसपी ने कहा, ‘निजी भूमि पर मदरसे का निर्माण आवश्यक प्रावधानों और परमिटों का पालन किए बिना किया गया था. इसलिए, इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत ध्वस्त कर दिया गया.’
अधिकारी ने कहा, ‘मदरसे में 224 छात्र थे और अधिकारियों ने उन्हें 30 अगस्त की रात तक परिसर खाली करने के लिए कहा था. जिला प्रशासन ने घर जाने में उनकी मदद की. ज्यादातर बच्चों के अभिभावक आए और उन्हें ले गए.’
आतंकी संगठनों के साथ कथित संबंधों को लेकर इस महीने गिराया जाने वाला यह तीसरा मदरसा है. यह इस सप्ताह इस तरह की कार्रवाई का दूसरा मामला है. इससे पहले सोमवार (29 अगस्त) को बारपेटा जिले में एक मदरसे को ढहा दिया गया था, जिसमें कथित रूप से अंसार-उल-बांग्ला टीम (एबीटी) के दो बांग्लादेशी सदस्य चार वर्ष से रह रहे थे.
बारपेटा पुलिस ने इस मामले में मदरसे के प्रिंसिपल, एक शिक्षक और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया था.
एबीटी के तार भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) से जुड़े हैं. पुलिस ने इस साल मार्च से आतंकियों के साथ संबंधों के आरोप में 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है तथा मध्य और निचले असम में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में कड़ी निगरानी रख रही है.
बीते 26 अगस्त को वैश्विक आतंकवादी संगठन अलकायदा की भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) इकाई के एक सदस्य को एबीटी के साथ कथित तौर पर संबंध रखने के लिए असम के गोलपाड़ा जिले से गिरफ्तार किया गया था.
जिला पुलिस अधीक्षक वीवी राकेश रेड्डी ने कहा था कि एक सप्ताह में जिले से अलकायदा से संबद्ध एक्यूआईएस के सदस्यों की यह चौथी गिरफ्तारी है. उन्होंने बताया था कि गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान बोंगईगांव में स्थित एक मदरसे के शिक्षक और गोलपाड़ा निवासी हाफिजुर रहमान के रूप में हुई है.
दूसरे व्यक्ति की पहचान गोलपाड़ा जिले के रहने वाले अब्दुस सुबहान के रूप में हुई है, जिसे 25 अगस्त को बोंगईगांव जिले से इसी तरह के संपर्क मामले में गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने बताया था कि अलकायदा से कथित तौर पर संबंध रखने के लिए दो मौलवियों को भी 21 अगस्त को गोलपाड़ा से गिरफ्तार किया गया था. उन पर मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर बरगलाने और पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान जिहादी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पहला मदरसा, जो अल-कायदा भारतीय उपमहाद्वीप के एक कथित धन उगाहने वालों द्वारा चलाया जा रहा था, को 4 अगस्त को मोरीगांव जिले में तोड़ा गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मदरसों के खिलाफ अभियान जारी रहता है तो उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘हम राज्य में मदरसों के खिलाफ असम सरकार के बुलडोजर अभियान को स्वीकार नहीं कर सकते. इसे रोका जाना चाहिए. यदि आवश्यक हुआ, तो हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य (अदालत) का रुख करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम समुदाय में कुछ असामाजिक लोग हो सकते हैं और सरकार को बुरे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन मदरसे में बुलडोजर का इस्तेमाल स्वीकार नहीं किया जा सकता है.’
अजमल ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुसलमानों को ‘लक्षित’ कर रहे हैं.
इसी बीच, भाजपा ने कहा कि मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कथित आतंकी गतिविधियों पर विशेष इनपुट के आधार पर की गई थी.
राज्य भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने कहा, ‘राज्य सरकार विशिष्ट इनपुट के आधार पर कुछ मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और उनसे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी कर रही है. माना जाता है कि जिनके जिहादी लिंक हैं. मैं हैरान हूं कि अजमल को इतना दर्द क्यों हो रहा है. क्या वह इस तरह की जिहादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और अगर वह करते हैं, तो सरकार उनके खिलाफ भी कार्रवाई करेगी.’
इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दावा किया था कि असम जिहादी गतिविधियों का केंद्र बन गया है, क्योंकि पिछले चार महीनों में बांग्लादेश में अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठनों से जुड़े पांच जिहादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है.
बीते 22 अगस्त को उन्होंने घोषणा की थी कि राज्य के बाहर के इमामों और मदरसा शिक्षकों के लिए जल्द ही पुलिस सत्यापन और ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)