पंजाब: संगरूर में पत्रकारों ने पुलिस पर जासूसी का आरोप लगाया

पंजाब स्थित संगरूर शहर के पत्रकारों का कहना है कि बीते दिनों ब्लैकमेल करने के आरोप में यहां कुछ पत्रकारों की गिरफ़्तारी हुई थी, जिसको आधार बनाकर पुलिस का खुफिया विभाग सभी पत्रकारों को कॉल करने उनसे उनकी निजी और पेशेवर जानकारी मांग रहा है.

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प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई

पंजाब स्थित संगरूर शहर के पत्रकारों का कहना है कि बीते दिनों ब्लैकमेल करने के आरोप में यहां कुछ पत्रकारों की गिरफ़्तारी हुई थी, जिसको आधार बनाकर पुलिस का खुफिया विभाग सभी पत्रकारों को कॉल करने उनसे उनकी निजी और पेशेवर जानकारी मांग रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पंजाब के संगरूर में पत्रकारों ने पुलिस की खुफिया इकाई पर जासूसी करने का आरोप लगाया है. यह आरोप मीडिया से जुड़े कई लोगों को अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की ओर से आए उन फोन कॉल के बाद लगाया गया है, जिनमें उनसे उनकी निजी और पेशेवर जानकारी मांगी गई थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, पंजाब पुलिस की खुफिया इकाई ने पत्रकारों की एक सूची बनानी शुरू की है, जिनमें उनके संपूर्ण विवरण के साथ उनकी प्रोफाइल तैयार की जाएगी. इसी कड़ी में स्थानीय और अंग्रेजी प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकारों को सीआईडी की तरफ से ये कॉल आए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने पत्रकारों से उनके नाम, किस संगठन के लिए वे काम करते हैं और अन्य निजी जानकारी मांगी थी.

पत्रकारों ने अखबार को बताया कि सीआईडी सभी मीडियाकर्मियों की प्रोफाइल तैयार करने के पीछे का कारण कथित तौर पर ब्लैकमेल करने के मामले में कुछ पत्रकारों की हुई गिरफ्तारी को बता रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए लोग सरकार में पंजीकृत नहीं थे और सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल करते थे.

शुक्रवार (2 सितंबर) को उपायुक्त के माध्यम से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को सौंपे एक ज्ञापन में पत्रकारों के एक समूह ने खुफिया इकाई के कार्यों को ‘जासूसी और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, पत्रकारों की स्वतंत्रता और निजता पर सीधा हमला’ बताया.

उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से सीआईडी को निजी जानकारी एकत्रित करने से रोकने के लिए अनुरोध किया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईडी ने पत्रकारों से उनके स्थायी और वर्तमान पते, उनके वर्तमान और पिछले नियोक्ता और राज्य सरकार द्वारा जारी पहचान (आईडी) कार्ड मांगे थे.

संगरूर के एक पत्रकार ने बताया, ‘सीआईडी के अधिकारी ने मुझे मेरे फोन पर कॉल किया और सत्यापन के नाम पर मुझसे मेरे मीडिया संगठन और आईडी कार्ड समेत विवरण मांगा. कुछ स्थानीय पत्रकार हाल ही में ब्लैकमेलिंग गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे. इसे आधार बनाते हुए पुलिस और प्रशासन असली पत्रकारों को भी सत्यापन के नाम पर डराना-धमकाना चाहते हैं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जिला जनसंपर्क विभाग, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त ने खुफिया इकाई की कार्रवाई से अनभिज्ञ होने का दावा किया है.

जनसंपर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार को बताया कि अगर खुफिया इकाई आधिकारिक पत्र के माध्यम से पत्रकारों से नाम जैसे विवरण मांगने का अनुरोध करती है तो उसे यह साझा करना पड़ता है. हालांकि, आधार कार्ड, निवास स्थान और बैंक खाते से संबंधित जानकारी किसी भी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं की जाती है.