कोविड-19 टीकाकरण के बाद जान गंवाने वालों की पहचान एवं मुआवज़े को नीति बनाई जाए: अदालत

केरल हाईकोर्ट एक महिला की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने अदालत से केंद्र एवं राज्य सरकार को उसे और उसके बच्चे को उसी तरह अनुग्रह राशि देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिस तरह कोविड-19 से जान गंवाने वालों को दी गई. कोविड टीका लगवाने के बाद महिला के पति की मौत हो गई थी.

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(फोटो साभार: swarajyamag.com)

केरल हाईकोर्ट एक महिला की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने अदालत से केंद्र एवं राज्य सरकार को उसे और उसके बच्चे को उसी तरह अनुग्रह राशि देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिस तरह कोविड-19 से जान गंवाने वालों को दी गई. कोविड टीका लगवाने के बाद महिला के पति की मौत हो गई थी.

(फोटो साभार: swarajyamag.com)

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को कोविड-19 टीकाकरण के बाद के प्रभाव के चलते जान गंवानों की पहचान करने तथा उनके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए ‘शीघ्र’ नीति बनाने का निर्देश दिया है.

जस्टिस वीजी अरुण ने एनडीएमए को यथाशीघ्र जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि यह काम एक सितंबर की तिथि वाले उसके आदेश से तीन महीने के अंदर हो जाना चाहिए.

जस्टिस अरुण ने कहा कि उनके सामने तीन ऐसे मामले सामने आए जिनमें दावा किया गया कि जिस व्यक्ति ने कोविड-19 टीका लगवाया उसकी बाद में मौत हो गई.

अदालत ने कहा, ‘इसलिए, भले ही उनकी संख्या बहुत कम हो लेकिन ऐसी घटनाएं हैं, जहां संदेह है कि टीकाकरण के बाद के प्रभाव के चलते लोगों ने दम तोड़ दिया. ऐसी स्थिति में प्रतिवादी नंबर दो (एनडीएमए) और आठ (स्वास्थ्य मंत्रालय) ऐसे मामलों की पहचान करने तथा मृतकों के आश्रितों को मुआवजा देने के दायित्व से बंधे हैं.’

अदालत ने कहा, ‘दूसरे प्रतिवादी (एनडीएमए) को कोविड-19 टीकाकरण के बाद के प्रभाव के चलते जान गंवाने वालों की पहचान करने और उनके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए नीति/दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया जाता है. इस संबंध में जरूरी कार्रवाई यथाशीघ्र की जाए और वह भी तीन महीने के अंदर.’

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि दस्तावेजों से प्रथमदृष्टया पता चलता है कि याचिकाकर्ता के पति की टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के कारण मृत्यु हो गई.

इस अदालती आदेश से पहले केंद्र ने अदालत को सूचित किया था कि अब तक ऐसी कोई नीति नहीं बनाई गई है.

अदालत एक महिला की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने अदालत से प्रतिवादियों (केंद्र एवं राज्य सरकार) को उसे और उसके बच्चे को उसी तरह अनुग्रह राशि देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जिस तरह कोविड-19 से जान गंवाने वालों को दी गई. उक्त महिला के पति की मृत्यु हो गई थी.

गौरतलब है कि इससे पहले एनडीएमए ने राज्य आपदा राहत कोष से मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने की सिफारिश की थी. इसे अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में स्वीकार किया था.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल चार अक्टूबर को कहा था कि कोविड-19 से मृत किसी व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपये का मुआवजा देने से कोई भी सरकार केवल इस आधार पर मना नहीं करेगी कि मृत्यु प्रमाण-पत्र में कारण में वायरस का उल्लेख नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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