दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, संक्रामक बीमारियों वाले क़ैदियों के लिए आईसोलेशन वॉर्ड बनाएं

दिल्ली हाईकोर्ट ने संक्रामक रोग से ग्रस्त एक क़ैदी को अंतरिम ज़मानत देते हुए कहा कि संक्रामक बीमारी से जूझ रहे किसी व्यक्ति को पृथकवास की व्यवस्था के बगैर जेल में रहने की अनुमति दिया जाना चिंता का विषय है.

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(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

दिल्ली हाईकोर्ट ने संक्रामक रोग से ग्रस्त एक क़ैदी को अंतरिम ज़मानत देते हुए कहा कि संक्रामक बीमारी से जूझ रहे किसी व्यक्ति को पृथकवास की व्यवस्था के बगैर जेल में रहने की अनुमति दिया जाना चिंता का विषय है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कारागार महानिरीक्षक को निर्देश दिया है कि वे सभी जेलों में आईसोलेशन चिकित्सा वार्ड या क्वारंटीन क्षेत्र बनाना सुनिश्चित करें ताकि गंभीर अपराधों के आरोप में जेल में बंद कैदियों को इस आधार पर बार-बार अंतरिम जमानत पर छोड़ने के लिए मजबूर न होना पड़े.

उच्च न्यायालय ने संक्रामक रोग हर्पीज से ग्रस्त एक कैदी को अंतरिम जमानत देते हुए कारागार महानिरीक्षक को उक्त निर्देश दिए. कैदी ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसे हर्पीज रोग है और उसे फफोले हो गए हैं और दर्द है.

जस्टिस आशा मेनन ने कहा, ‘दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, इस बात पर विचार किया जाता है चूंकि हर्पीज संक्रामक रोग है और इस तथ्य के बावजूद कि आवेदक (आरोपी) को पहले भी अंतरिम जमानत दी गई है, जिसका उसने कभी दुरुपयोग नहीं किया, और उसकी सामान्य जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. संक्रामक बीमारी से ग्रस्त किसी व्यक्ति को पृथकवास की व्यवस्था के बगैर जेल में रहने की अनुमति दी जा रही है, यह एक चिंता का विषय है.’

अदालत ने आगे कहा, ‘कारागार महानिरीक्षक (दिल्ली) को निर्देश दिया जाता है कि वह सुनिश्चित करें कि सभी जेलों में आईसोलेशन चिकित्सा वार्ड या पृथकवास क्षेत्र बने ताकि गंभीर अपराधों के आरोप झेल रहे कैदियों को बार-बार अंतरिम जमानत पर छोड़ने को मजबूर न होना पड़े.’

मादक पदार्थ निषेध संबंधी एनडीपीएस कानून के तहत दर्ज मामले में मुकदमे का सामना कर रहे आरोपी ने याचिका में कहा है कि वह हर्पीज से ग्रस्त है और उसने साथ में मेडिकल रिपोर्ट भी दी है.

अभियोजक ने अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी बार-बार अंतरिम जमानत आदेश का नाजायज फायदा उठा रहा है और उसकी समान्य जमानत अर्जी को उच्चतम न्यायालय ने भी खारिज कर दिया है.

उच्च न्यायालय ने कहा, चूंकि जेल के मेडिकल अधिकारी की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि ठंडे मौसम में (मरीज कैदी की) हालत में सुधार होगा, इसलिए एक लाख रुपये के निजी मुचलके और एक लाख रुपये के मुचलके पर जेल से रिहाई की तारीख से दो महीने के लिए आवेदक को अंतरिम जमानत दी जाती है.

अदालत ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह निचली अदालत के आदेश के बिना दिल्ली से बाहर ना जाए और जमानत के दौरान सुनवाई प्रक्रिया में देरी ना करे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी किसी भी परिस्थिति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी गवाह तक पहुंचने का कोई प्रयास नहीं करेगा और इस तरह के किसी भी प्रयास को न्याय के रास्ते में हस्तक्षेप करने के प्रयास के रूप में माना जाना चाहिए.

इसने कहा कि आरोपी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने पर मंडोली के जेल अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)