बंगाल: आरटीआई ने बताया 122 किसानों ने आत्महत्या की, सरकार के रिकॉर्ड में ‘शून्य’

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में 122 किसानों और कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की. राज्य सरकार और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान इस ज़िले में ऐसी एक भी मौत नहीं हुई.

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(प्रतीकात्मक फोटो: नंदू कुमार/अनस्प्लैश)

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में 122 किसानों और कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की. राज्य सरकार और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान इस ज़िले में ऐसी एक भी मौत नहीं हुई.

(प्रतीकात्मक फोटो: नंदू कुमार/अनस्प्लैश)

नई दिल्ली: सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि पश्चिम बंगाल के एक जिले में किसानों और कृषि कार्यों से जुड़े 122 लोगों की मौत आत्महत्या से हुई है.

द हिंदू ने इस संबंध में अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है.

यह आंकड़ा राज्य सरकार और हालिया जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के विपरीत है. दोनों ने ही अपने आंकड़ों में कृषि गतिविधियों से जुड़े लोगों की आत्महत्या से हुई मौतों की संख्या शून्य बताई है.

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरटीआई कार्यकर्ता बिस्वनाथ गोस्वामी के एक सवाल के जवाब में राज्य जन सूचना अधिकारी और पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पुलिस उपाधीक्षक द्वारा जो जानकारी प्रदान की गई है, उसमें जिले भर के 23 पुलिस थानों से जुटाई गई किसानों और कृषि संबंधित आत्महत्याओं की जानकारी है.

पश्चिम मेदिनीपुर में 2021 में किसानों और कृषि श्रमिकों द्वारा आत्महत्या से हुईं 122 मौतों के अतिरिक्त, सवाल के जवाब से पता चला है कि मौजूदा वर्ष 2022 में अब तक जिले में 34 किसान और कृषि श्रमिक आत्महत्या कर चुके हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल सरकार सार्वजनिक मंचों और राज्य विधानसभा में यह दिखाती रही है कि ‘राज्य में एक भी किसान और कृषि संबंधित आत्महत्या नहीं हुई है.’

एनसीआरबी की ‘दुर्घटना में हुई मौतों और आत्महत्या’ से संबंधित 2021 की रिपोर्ट में बंगाल में इस साल किसानों या कृषि गतिविधियों से आजीविका कमाने वालों की आत्महत्या से एक भी मौत दर्ज नहीं की गई है.

इसी संदर्भ में, गौरतलब है कि पिछले साल पश्चिम बंगाल के पूर्वी वर्धमान जिले से दो दिनों के भीतर तीन किसानों के मृत पाए जाने की खबरों ने सुर्खियां बटोरी थीं. मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया था कि उन्होंने चक्रवात जवाद के चलते हुई बेमौसम बारिश के कारण उनकी आलू और धान की फसलें खराब हो जाने पर आत्महत्या कर ली थी.

डाउन टू अर्थ ने एनसीआरबी के नवीनतम निष्कर्षों में पाया था कि पूरे भारत में 2021 में 5,563 खेतिहर मजदूरों की मौत आत्महत्या से हुई थी. यह संख्या 2020 की अपेक्षा 9 फीसदी और 2019 की अपेक्षा 29 फीसदी अधिक थी.

कृषि श्रमिकों में आत्महत्या से सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र (1,424), उसके बाद कर्नाटक (999) और आंध्र प्रदेश (584) में हुईं थीं.

जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे मामलों की संख्या शून्य थी, उनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप शामिल थे.