हरिद्वार ज़िले के पथरी थाना क्षेत्र का मामला है, जहां बीते सप्ताह पंचायत चुनाव मे प्रधान पद की महिला प्रत्याशी के पति ने शराब बांटी थी, जिसे पीने के बाद कई ग्रामीणों की मौत हो गई. मामले में पथरी थानाध्यक्ष सहित तीन पुलिसकर्मियों और आबकारी निरीक्षक समेत आबकारी विभाग के नौ कर्मियों को निलंबित किया गया है.
हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के पथरी थाना क्षेत्र के गांव शिवगढ़ और फूलगढ़ में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से सोमवार को दो और ग्रामीणों की मौत हो गई. पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पथरी शराब कांड में मृतकों का आंकड़ा बढ़कर नौ पर पहुंच गया है.
पथरी शराब कांड का शिकार चार अन्य व्यक्ति अभी भी अस्पताल मे भर्ती हैं जिनमे से एक ग्रामीण की हालत नाजुक बनी हुई है.
अमर उजाला के मुताबिक, हरिद्वार पथरी की जहरीली शराब कांड में अस्पताल में भर्ती सूखा सिंह (40) और देवेंद्र (38) की सोमवार को मौत हो गई. इस बीच, पुलिस ने जहरीली शराब पिलाने के आरोपी पंचायत चुनाव मे प्रधान पद की महिला प्रत्याशी के पति को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि स्वयं प्रत्याशी और उसका देवर फरार है.
लक्सर ब्लॉक के फूलगढ़ और शिवगढ़ में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों से गांव में कोहराम मचा हुआ है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार को अस्पताल में भर्ती हुए 40 वर्षीय सुखपाल सिंह की सुबह मौत हो गई. उनके भाई इश्मपाल सिंह की शुक्रवार को शराब पीने से मौत हुई थी. उन्होंने बताया कि दम तोड़ने वाले दूसरे ग्रामीण का नाम आशाराम है.
उधर, पथरी के पुलिस थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि जहरीली शराब पिलाने के आरोपी और आगामी पंचायत चुनाव में प्रधान पद की महिला प्रत्याशी बबली के पति विजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन स्वयं बबली और विजेंद्र का भाई नरेश अब भी फरार है.
उन्होंने बताया कि आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है. आरोपी विजेंद्र गांव में ही झोलाछाप डॉक्टर है.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूछताछ में विजेंद्र ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया और बताया कि उसने अपने घर मे करीब 20 ग्रामीणों को शराब पिलाई थी, जो उसने चुनाव के छह माह पहले ही अपने घर में बनाकर रखी हुई थी.
पुलिस ने विजेंद्र के पास से जमीन में दबाकर रखी हुई 35 लीटर जहरीली शराब भी बरामद की है.
उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और आबकारी अधिनियम की धारा 60/62 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
विजेंद्र को अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है. पथरी शराब कांड में पथरी थानाध्यक्ष रविंद्र सिंह सहित तीन पुलिसकर्मियों और आबकारी निरीक्षक भारत सिंह समेत आबकारी विभाग के नौ कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है.
गांव में पुलिस और पीएसी तैनात है, जबकि शराब पीने से बीमार लोगों की चिकित्सकीय सहायता के लिए मेडिकल कैंप लगाया गया है.
जहरीली शराब कांड से ग्रामीणों में रोष है और पीड़ित परिवार के कुलदीप और चरण सिंह ने मृतकों और गंभीर बीमार लोगों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग की है.
अमर उजाला के मुताबिक, पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों की ओर से कच्ची शराब बांटी जा रही है. ऐथेनॉल की अत्यधिक मात्रा होने से शराब जहरीली है. शराब पीने से शिवगढ़ ग्राम पंचायत के फूलगढ़ और शिवगढ़ गांव में शुक्रवार को दो व शनिवार को पांच लोगों की मौत हो गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, चार ग्रामीणों को खून की उल्टियां होने से शनिवार रात और रविवार सुबह अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, जिलाधिकारी ने पथरी क्षेत्र में गांवों में हुई मौतों की प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को भेज दी है. प्रशासन के दावे के मुताबिक, शनिवार को गांव में चार लोगों की मौत हुई है. इनमें कच्ची शराब पीने से सिर्फ दो ग्रामीण मरे हैं. तीसरे ग्रामीण की बीमारी और चौथे की आपसी मारपीट में चोट लगने से मौत हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि फूलगढ़ निवासी अमरपाल का शुक्रवार को झगड़ा हो गया था. मारपीट में घायल होने से उनकी मौत हो गई. थाना पथरी में मारपीट का मुकदमा पंजीकृत है. गांव फूलगढ़ में मनोज और अरुण की मौत अत्यधिक शराब पीने से हुई है. प्रथम दृष्टया उक्त प्रकरण में जहरीली शराब सेवन करना प्रतीत नहीं होता है.
प्रशासन ने तीन अन्य ग्रामीणों की शराब पीने से मौत की पुष्टि नहीं की है. जिलाधिकारी ने घटना की विस्तृत जांच के निर्देश भी दिए हैं.
रिपोर्ट में दावा किया है कि ग्राम पंचायत शिवनगर के मजरा शिवगढ़, फूलगढ़, दुर्गागढ़ और गोविंदगढ़ में किसी अन्य व्यक्ति के बीमार होने की जानकारी नहीं है. लेकिन सभी चार शवों का पोस्टमार्टम कराया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, रेखा यादव, जो तीन सदस्यीय विशेष जांच दल का नेतृत्व कर रही हैं, ने कहा कि इस बात की पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है कि शुक्रवार को पहली दो मौतें जहरीली शराब से जुड़ी थीं क्योंकि उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार द्वारा किया गया था.
शनिवार को ग्रामीणों के एक झुंड को अस्पतालों में ले जाने के बाद ही स्थानीय पुलिस को घटना की सूचना दी गई.
प्रारंभिक जांच से पता चला कि बिजेंद्र एक नीम हकीम था और ग्रामीणों द्वारा उसे डॉक्टर कहा जाता था. रेखा यादव ने कहा कि आरोपी ने जिले के कुछ निजी अस्पतालों में सहायक के रूप में काम किया है.
पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने करीब छह महीने पहले बनी शराब पी और गांव वालों को मुफ्त में देना शुरू कर दिया, जब उसकी पत्नी ने ग्राम प्रधान पद के लिए नामांकन किया था.
पुलिस ने कहा कि नरेश के गोदाम में अवैध शराब बनाई गई थी.
हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट विनय शंकर पांडे ने पहले इस बात से इनकार किया कि अवैध शराब के सेवन से मौतें हुईं. बाद में नौ स्थानीय आबकारी अधिकारियों और पथरी थाने के प्रभारी सहित चार पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देते हुए कहा है कि दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी.
मालूम हो साल 2019 में हरिद्वार जिले में जहरीली शराब पीने से 36 लोगों की मौत हुई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)