उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पंगोट क्षेत्र में नैना देवी पक्षी संरक्षित क्षेत्र में मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को रोकते हुए बुलडोज़र के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. एक जनहित याचिका में बताया गया था कि क्षेत्र में एक बिल्डर द्वारा होटल बनाए जाने के बाद बिना किसी सरकारी अनुमति के अवैध रूप से सड़क बनवाई जा रही थी.
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को नैनीताल के पंगोट में संरक्षित वन भूमि पर मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को रोक दिया.
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया. याचिका में कहा गया है कि यह सड़क अवैध रूप से बनाई जा रही है.
अदालत ने इस संबंध में नैनीताल के जिलाधिकारी, प्रभागीय वन अधिकारी, अपर पर्यटन निदेशक पूनम चंद और बिल्डर उपेंद्र जिंदल को नोटिस जारी किए हैं. अदालत ने क्षेत्र में बुलडोजर का उपयोग भी प्रतिबंधित कर दिया है.
यह सड़क नैनीताल के पंगोट क्षेत्र में किलबरी में नैना देवी पक्षी संरक्षित क्षेत्र में है.
अमर उजाला के अनुसार, यह याचिका ग्राम प्रधान ललित की तरफ से दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि एक गांव तक पहुंचने के लिए संरक्षित वन भूमि पर पैदल रास्ता बनाने की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन बिल्डर ने कथित तौर पर अपर पर्यटन अधिकारी पूनम चंद की सहायता से 2013 में गांव की जमीन खरीद ली और पंगोट में चार मंजिला होटल बनाने के लिए क्षेत्र में मोटर मार्ग बनाना शुरू कर दिया.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पूनम चंद परियोजना को पूरा करने के लिए जिंदल को आधिकारिक सुविधाएं भी मुहैया करा रही हैं.
अदालत ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को भी जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई अगले साल 15 फरवरी 2023 को होगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, हाल ही में वन विभाग ने एक हाथ से बने नक्शे को बिल्डर की सहूलियत के मुताबिक डिजिटल नक़्शे में बदल दिया. बिल्डर के पक्ष में किसी भी प्राधिकरण से अनुमति लिए बिना यहां सड़क का निर्माण हो रहा था. अब बुधलाकोट की ग्राम पंचायत ने सरकार को बताया है कि अब यहां ‘पैदल रास्ता’ बनाने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि पिछले दस सालों से ग्रामीण जंगल वाला रास्ता प्रयोग कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)