उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा प्रदेश में मदरसों के सर्वेक्षण की ज़रूरत पर ज़ोर दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बहुत जगहों पर मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं इसलिए उनका एक बार सर्वे होना नितांत ज़रूरी है.
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण जरूरी है क्योंकि उनके बारे में तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं.
धामी का यह बयान उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष शादाब शम्स द्वारा प्रदेश में मदरसों के सर्वेक्षण की जरूरत पर जोर दिए जाने के एक दिन बाद आया है.
यहां संवाददाताओं से बातचीत में धामी ने कहा, ‘बहुत सारी जगहों पर मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं इसलिए उनका एक बार सर्वे होना नितांत जरूरी है जिससे सारी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाए.’
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में ‘गैर मान्यता प्राप्त’ मदरसों का सर्वेक्षण कर वहां पढ़ा रहे शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम और वहां उपलब्ध सुविधाओं समेत कई सूचनाएं एकत्रित करने के निर्देश दिए जाने के बाद उत्तराखंड में भी ऐसी कवायद शुरू होने की चर्चाएं जोरों पर हैं.
शम्स ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा दिए जाने की वकालत करते हुए वहां उत्तराखंड बोर्ड का पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए वक्फ बोर्ड की योजना बनाए जाने की बात कही है. उत्तराखंड वक्फ बोर्ड प्रदेश में 103 मदरसे संचालित कर रहा है.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था.
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया था कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है. इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा.
मंत्री ने बताया था कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, शिक्षकों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.
उनसे पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार इस सर्वेक्षण के बाद नए मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू करेगी, तो राज्य मंत्री ने कहा कि अभी सरकार का मकसद सिर्फ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करना है.
बीते 6 सितंबर को जमीयत उलमा-ए-हिंद ने ‘हर कीमत पर’ मदरसों का बचाव करने की बात करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण करने का राज्य सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की एक दुर्भावनापूर्ण कोशिश है.
जमीयत (एमएम) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने आरोप लगाया था, ‘सरकारें शत्रुतापूर्ण रवैया अपना कर जनता में अराजकता और अशांति पैदा करती हैं. इसके साथ ही समुदायों के बीच में अविश्वास की दीवार स्थापित करती हैं जो अत्यंत निंदनीय है.’
ज्ञात हो कि इससे पहले मई 2022 में उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन अनिवार्य कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पांडेय ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस बारे में आदेश जारी किया था.
जनवरी 2018 में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्योरा नहीं देने वाले करीब 2,300 मदरसों की मान्यता खत्म होने की कगार पर है. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ऐसे मदरसों को फर्जी माना है.
तब प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया था कि प्रदेश में 19,108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त थे, जिनमें से 16,808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया था. करीब 2,300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया था, जिन्हें सरकार ने फर्जी माना था.
मदरसों के सर्वेक्षण से पहले मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लिया जाना चाहिए था: जमीयत
उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वेक्षण की तैयारी को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मंगलवार को कहा कि यह कदम उठाने से पहले मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लिया जाना चाहिए था.
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में यह सवाल भी किया कि मदरसों के अलावा उन शिक्षण संस्थानों का सर्वेक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है जो मान्यताप्राप्त नहीं हैं?
उन्होंने आरोप लगाया कि विभाजनकारी ताकतों द्वारा मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है और इस तरह की मानसिकता की वजह से मुसलमानों की जेहन में चिंता है.
उन्होंने कहा, ‘सर्वेक्षण के ऐलान से पहले मुस्लिम समुदाय और संगठनों को भरोसे में लिया जाना चाहिए था। यह बता दिया जाता कि सर्वेक्षण से कोई नुकसान नहीं है। अगर हमें यह बता दिया जाता कि सरकार यह जानना चाहती है कि कितने ऐसे मदरसे हैं जो बोर्ड से संबद्ध नहीं हैं, बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, मदरसे की ज़मीन किन लोगों की है.’
मदनी ने कहा, ‘इन तमाम चीज़ों को मालूम किया जाए तो इसमें कोई ऐतराज़ नहीं है. पहले दिलों को संतुष्ट करना चाहिए.’
उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के मुताबिक 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है.
प्रदेश में इस वक्त लगभग 16 हजार निजी मदरसे हैं जिनमें प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल हैं. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब इनका भी सर्वे किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)