देश में हर घंटे आत्महत्या कर रहा है एक किसान, केंद्र सरकार ज़िम्मेदार: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बहस कर रही है कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत से अधिक एमएसपी की पेशकश बाजारों को विकृत कर देगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बहस कर रही है कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत से अधिक एमएसपी की पेशकश बाजारों को विकृत कर देगी.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में हर घंटे कम से कम एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर है और यह सरकार की विफलता के चलते हो रहा है.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि सरकार तीनों ‘काले’ कृषि कानूनों को पिछले दरवाज़े से लागू करना चाहती है और इसी कारण अनाज की खरीद की व्यवस्था निजी क्षेत्र को सौंपी जा रही है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘बीते 17 सितंबर को महाराष्ट्र के पुणे में एक किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में साफ़ तौर पर मोदी जी और सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.’

गौरतलब है कि पुणे के जुन्नर तालुका के वड़गाव आनंद नाम के गांव के रहने वाले एक किसान ने आत्महत्या करने से पहले लिखे एक नोट में अपने इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया था.

हाथ से लिखे नोट में केदारी ने लिखा था, ‘हमारे पास पैसे नहीं हैं, साहूकार इंतजार करने को तैयार नहीं हैं. क्या करें? हम प्याज को बाजार तक ले जाने का खर्च भी नहीं उठा सकते. आप बस अपने बारे में सोच रहे हैं मोदी साहेब. आपको फसल के लिए गारंटीकृत दाम देना होगा. आप खेती को संभाल नहीं पा रहे हैं. किसानों को क्या करना चाहिए? फाइनेंस वाले धमकाते हैं, पटपेढ़ी (सहकारी समिति) के अधिकारी गाली-गलौज करते हैं. इंसाफ के लिए हम किसके पास जाएं?… आज आपके कुछ न करने के चलते मैं आत्महत्या करने को मजबूर हूं. कृपया हमें फसलों की कीमत दें, जो हमारा अधिकार है.’

संवाददाता सम्मेलन के दौरान श्रीनेत ने दावा किया, ‘सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021 में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्या (1,64,033) का 6.6 प्रतिशत है. हर रोज़ 30 किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. मतलब कि हर घंटे एक से ज़्यादा आत्महत्या हो रही है.’

सुप्रिया ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से लेकर 2021 तक भारत में 53,881 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है जिसका मतलब यह है कि 21 किसान रोज़ हताश और निराश होकर अपनी जान देने पर मजबूर हैं.

द हिंदू के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘भारतीय किसानों की विकट स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है? इस सरकार की नीतियां.’

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सरकार, जिसने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बहस कर रही है कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत से अधिक एमएसपी की पेशकश बाजारों को विकृत करेगी.

श्रीनेत ने यह भी तर्क दिया कि सरकार ने डीजल की कीमतों में भी वृद्धि की है, कृषि उत्पादों पर जीएसटी की एक सीमा लागू की है- उर्वरक पर 5 प्रतिशत, कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत, कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत और ट्रैक्टरों पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूली जा रही है. इससे उत्पादन लागत 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह मोदी सरकार की विफलता का नतीजा है और किसानों की इस दयनीय स्थिति के बावजूद मोदी जी तमाशे में और अपने झूठे महिमा मंडन में व्यस्त हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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