नगालैंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक हज़ार से ज़्यादा एडहॉक शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, स्कूल शिक्षा निदेशालय ने उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ का नियम लागू कर दिया है.
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कोहिमा: नगालैंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक हजार से ज्यादा एडहॉक शिक्षकों ने अपनी सेवा को नियमित करने की मांग को लेकर मंगलवार को लगातार दूसरे दिन अपना आंदोलन जारी रखा. वहीं, स्कूल शिक्षा निदेशालय ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है और ‘काम नहीं वेतन नहीं’ नियम लागू कर दिया है.
‘ऑल नगालैंड एडहॉक टीचर्स ग्रुप’ (एएनएटीजी)-2015 बैच के 1,166 सदस्यों को 1994 से 2012 तक राज्य के विभिन्न स्कूलों में नियुक्त किया गया था. वे नागरिक सचिवालय के बाहर तख्तियां और बैनर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
स्कूल शिक्षा निदेशालय के प्रधान निदेशक तवासीलन के. ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एएनएटीजी-2015 बैच के सदस्यों की ‘अवैध नियुक्तियां’ नहीं हैं, बल्कि उन्हें अलग-अलग समय पर स्वीकृत पदों के लिए उचित मानदंडों का पालन किए बिना अनियमित रूप से नियुक्त किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम उन्हें नियमित नहीं करना चाहते, लेकिन विभाग और सरकार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों की वजह से मजबूर है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी एडहॉक नियुक्ति को नियमित नहीं किया जा सकता है.’
प्रधान निदेशक ने बताया कि विभाग ने शिक्षकों को सलाह दी है कि वे अदालत जाएं और उसके आदेश पर स्थगन लें जिसके बाद विभाग निश्चित रूप से उनकी सेवा को नियमित करने की राज्य कैबिनेट को सिफारिश करेगा.
नगालैंड पोस्ट के मुताबिक, उन्होंने शिक्षकों को आगाह किया कि उनकी अनुपस्थिति की अवधि को गैर-हाजिर माना जाएगा और ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के सिद्धांत को लागू किया जाएगा.
उन्होंने नगालैंड सरकारी सेवक आचरण नियम, 1968 के अनुसार आंदोलनकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की भी चेतावनी दी.
इसके अलावा उन्होंने खुलासा किया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्मिक और प्रशासनिक सुधार (पी एंड एआर) विभाग को 1,166 एडहॉक शिक्षकों के नियमितीकरण के मुद्दे को संदर्भित किया है और कई बार कैबिनेट द्वारा भी उठाया गया है.
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई, 2017 को, 4 अगस्त, 2008 और 11 अगस्त, 2016 के पी एंड एआर विभाग के कार्यालय ज्ञापन के संचालन को रद्द कर दिया था, जो नियमितीकरण के मुद्दों को देखता था, जिसके बाद पी एंड एआर विभाग ने विभागों को नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव भेजने से रोक दिया था.
तवासीलन ने दावा किया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने कैबिनेट के निर्देश के लिए 1,166 एडहॉक शिक्षकों के संबंध में एक ज्ञापन फिर से जमा किया था और बाद में 29 अगस्त, 2018 को अपनी बैठक में कैबिनेट ने फैसला किया कि जब तक अदालती मामला पूरी तरह से हल नहीं हो जाता, तब तक शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि 3 अगस्त, 2018 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य द्वारा एक रिट अपील दायर की गई थी, जिसे 7 फरवरी, 2019 को एक खंडपीठ ने खारिज कर दिया था.
उधर, एएनएटीजी-2015 बैच के प्रवक्ता बेंडंडगटेम्सु ओज़ुकुम ने संवाददाताओं से कहा कि वे विभिन्न स्कूलों से यहां आए हैं जिनमें राज्य के दूर-दराज़ के इलाकों में स्थित विद्यालय भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह दूसरी बार है कि जब हम अपनी सेवा को नियमित कराने के लिए इकट्ठा हुए हैं.’
ओज़ुकुम ने विभाग के काम पर लौटने या कार्रवाई का सामना करने वाले निर्देश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा कि एडहॉक शिक्षक अपनी वास्तविक मांग के पूरा होने तक लड़ाई जारी रखेंगे.
नगालैंड पोस्ट के मुताबिक, ओजुकुम ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा आंदोलन सरकार के लिए खतरा नहीं बल्कि एक अनुरोध है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एएनएटीजी-2015 उस हद तक जाने का इरादा नहीं रखता है और इसलिए सरकार से जल्द से जल्द समाधान निकालने का अनुरोध किया.
ओजुकुम ने कहा कि एक तरफ सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रही है, जबकि दूसरी तरफ वह इस बात पर कायम है कि नियमितीकरण नहीं किया जा सकता है और इसने एडहॉक शिक्षकों को एक बड़ी दुविधा में डाल दिया है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने दावा किया कि एएनएटीजी ने बिना किसी पूर्व सूचना के आंदोलन का सहारा लिया है, लेकिन 22 सितंबर को जारी एक विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख किया गया था. सरकार के अनुरोध के अनुसार आंदोलन से 20 दिन पहले सूचित किया गया था.
ओजुकुम ने कहा कि चूंकि अवधि समाप्त होने के बाद सरकार से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, इसलिए एएनएटीजी को प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)