तेलंगाना विधायक ख़रीद-फ़रोख़्त: कोर्ट ने आरोपियों की पुलिस हिरासत की मांग ख़ारिज की

तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस के चार विधायकों को पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने का लालच देने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने उन्हें हिरासत में देने की पुलिस की मांग ख़ारिज करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है. भाजपा ने आरोपों से इनकार करते हुए हाईकोर्ट और चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है.

बीते 27 अक्टूबर को भाजपा के खिलाफ टीआरएस कार्यकर्ताओं में तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया था. (फोटो साभार: ट्विटर/@trspartyonline)

तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस के चार विधायकों को पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने का लालच देने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने उन्हें हिरासत में देने की पुलिस की मांग ख़ारिज करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है. भाजपा ने आरोपों से इनकार करते हुए हाईकोर्ट और चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है.

बीते 27 अक्टूबर को भाजपा के खिलाफ टीआरएस कार्यकर्ताओं में तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया था. (फोटो साभार: ट्विटर/@trspartyonline)

हैदराबाद: तेलंगाना में हैदराबाद की एक स्थानीय अदालत ने सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के चार विधायकों को पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने का लालच देने के आरोप में गिरफ्तार तीन लोगों की हिरासत के पुलिस के आग्रह को खारिज कर दिया.

अदालत ने उनकी गिरफ्तारी से पहले नोटिस जारी करने की प्रक्रिया का पालन नहीं करने के लिए आग्रह को खारिज किया. अदालत ने कहा कि पुलिस ने कोई सबूत पेश नहीं किया कि तीनों लोग किसी को रिश्वत दे रहे थे या कोई पैसा जब्त किया गया था.

अदालत ने साइबराबाद पुलिस को पहले पियों को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस तामील कर आगे की पूछताछ के लिए उसके सामने पेश होने का निर्देश दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद एक मंदिर के पुजारी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा (33 वर्ष), संत डी. सिम्हयाजी (45 वर्ष) और व्यापारी नंद कुमार (48 वर्ष) को गुरुवार रात रिहा कर दिया गया. उन्हें 26 अक्टूबर की रात तंदूर विधायक पी. रोहित रेड्डी के मोइनाबाद स्थित फार्महाउस से गिरफ्तार किया गया था.

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अदालत का यह निर्देश उस दिन आया, जब भाजपा की तेलंगाना इकाई ने तेलंगाना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मामले की सीबीआई से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है. पार्टी ने इसके साथ ही मुख्य चुनाव अधिकारी से भी शिकायत की है.

विधायक रोहित रेड्डी की शिकायत पर आपराधिक साजिश, रिश्वत देने और भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत तीनों आरोपियों के खिलाफ 26 अक्टूबर की रात को मामला दर्ज किया गया था.

उन्हें बृहस्पतिवार रात में भ्रष्टाचार विरोधी अदालत के न्यायाधीश के सामने पेश किया गया था. न्यायाधीश ने पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया और आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया.

साइबराबाद पुलिस ने बुधवार रात कहा था कि विधायक रेड्डी ने इस शिकायत के साथ उनसे संपर्क किया था कि कथित तौर पर भाजपा से जुड़े तीन लोगों ने 26 सितंबर को उनसे संपर्क किया था. ये आरोपी चाहते थे कि उनके अलावा विधायक बी. हर्षवर्धन रेड्डी, जी. बलराजू और रेगा कांथा राव टीआरएस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएं.

एफआईआर की प्रति के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के साथ उच्च पदों और आर्थिक लाभों के अलावा केंद्र सरकार के नागरिक कार्यों के अनुबंध दिलाने की भी पेशकश भी की थी.

आरोपियों ने यह भी धमकी दी कि अगर उन्होंने उनकी पेशकश पर ध्यान नहीं दिया तो विधायक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में मामले दर्ज कराए जाएंगे. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राज्य में टीआरएस सरकार गिरा दी जाएगी.

तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व ने अपनी पार्टी द्वारा टीआरएस विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त की कोई जानकारी होने से साफ इनकार किया है.

अदालत द्वारा आरोपियों की रिमांड खारिज किए जाने पर इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अधिवक्ता और भाजपा कार्यकर्ता के. करुणा सागर ने कहा कि पुलिस टीआरएस के राजनीतिक दबाव में है, जिसे अब भारत राष्ट्र समिति का नाम दिया गया है.

उन्होंने कहा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धाराओं को तब लागू किया जाता है, जब कुछ धन शामिल हो और इसे जब्त किया जाना चाहिए, लेकिन जब कोई पैसा जब्त नहीं किया जाता है तो कोई मामला नहीं हो सकता है. टीआरएस के दबाव में तेलंगाना पुलिस के बुरी तरह से लिखे नाटक को अदालत ने खारिज कर दिया. भाजपा का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किए गए तीन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 171बी के साथ 171ई और 506, 34 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया है.

इस बीच टीआरएस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री केटी रामाराव ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस बारे में कोई टिप्पणी या राय साझा नहीं करने के लिए कहा है, क्योंकि मामले की साइबराबाद पुलिस द्वारा जांच की जा रही है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, जो चोर रंगेहाथ पकड़े गए, वे अपनी मर्जी से भौंकते रहेंगे. हमारी पार्टी के लोगों को इसे गंभीरता से लेने की कोई जरूरत नहीं है.

इससे पहले बीते 26 अक्टूबर को तेलंगाना के मंत्रियों और सत्तारूढ़ टीआरएस के नेताओं ने ‘भाजपा द्वारा टीआरएस विधायकों को खरीदने’ की कथित कोशिश के खिलाफ राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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