गुजरात: चुनाव से पहले सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समिति गठित करेगी

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. बताया गया है कि तीन से चार सदस्य वाली इस समिति के अध्यक्ष हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज होंगे और सदस्यों का चयन मुख्यमंत्री करेंगे.

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Ahmedabad: Senior BJP leader Bhupendra Patel, who will succeed Vijay Rupani as the Chief Minister of Gujarat, after a meeting in Ahmedabad, Sunday, Sept. 12, 2021. (PTI Photo)(PTI09 12 2021 000098B)

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. बताया गया है कि तीन से चार सदस्य वाली इस समिति के अध्यक्ष हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज होंगे और सदस्यों का चयन मुख्यमंत्री करेंगे.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया है. सरकार ने शनिवार को यह जानकारी दी.

राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इसे भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की आखिरी बैठक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह होने की उम्मीद है.

गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने इस फैसले के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी.

रूपाला ने कहा, ‘समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें तीन से चार सदस्य होंगे. समिति के सदस्यों के चयन के लिए मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को अधिकृत किया है.’

उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले समिति का गठन किया जाएगा.

सांघवी ने कहा कि निर्णय संविधान के खंड-4 के अनुच्छेद 44 के प्रावधानों के अनुसार लिया गया था, जो राज्य सरकार से सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की अपेक्षा करता है.

सांघवी ने कहा, ‘यह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का ऐतिहासिक फैसला है. हमारी सरकार ने इस तरह की संहिता की आम लोगों के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं की इच्छा का भी सम्मान किया है.’

रूपाला ने जोर देकर कहा कि प्रस्तावित यूसीसी संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करेगा.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ को यूसीसी के तहत कवर किया जाएगा, क्योंकि ये कानून संविधान का हिस्सा नहीं हैं.

रूपाला ने कहा, ‘हम लोगों के मौलिक अधिकारों को खत्म करने का इरादा नहीं रखते हैं. यूसीसी पति या पिता की संपत्ति पर पत्नी या बेटी के दावे जैसे नागरिक विवादों में उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को हल करने से संबंधित भी है. हमें ऐसे मुद्दों के बारे में लोगों से कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे.’

उन्होंने दावा किया कि इस फैसले का आगामी विधानसभा चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने विपक्ष की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि सत्तारूढ़ भाजपा यूसीसी का वादा करके हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है.

रूपाला ने कहा कि समिति यूसीसी से संबंधित विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर राज्य सरकार इसके कार्यान्वयन के बारे में अंतिम निर्णय लेगी.

उन्होंने कहा कि समिति को अभी अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उत्तराखंड के बाद यूसीसी पर विशेषज्ञों की समिति गठित करने वाला गुजरात भाजपा शासित दूसरा राज्य है. भाजपा के द्वारा ही शासित हिमाचल प्रदेश और असम के मुख्यमंत्री भी यूसीसी के प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं.

गांधीनगर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रूपाला ने कहा, ‘हम अपनी जवानी के दिनों से मांग कर रहे हैं, राम जन्मभूमि के लिए, अनुच्छे 370 (हटाने के लिए), यूसीसी के लिए… मैं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को बधाई देना चाहता हूं और अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं… उन्होंने भाजपा की एक पुरानी मांग को पूरा करने की दिशा में अगला कदम उठाया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘राम मंदिर और कश्मीर की तरह, यह मुद्दा (यूसीसी) गुजरात सरकार द्वारा (कैबिनेट में) पारित किया गया है. जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा और समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य में (गुजरात) इस कानून को लागू करने का रास्ता खुल जाएगा.’

उन्होंने साथ ही कहा, ‘जब समिति की घोषणा की जाएगी, तो समयसीमा भी घोषित की जाएगी.’

यह पूछे जाने पर कि आदर्श आचार संहिता लागू होने में कुछ ही दिन बचे हैं, गुजरात सरकार इसे कैसे लागू करने की योजना बनाएगी, रूपाला ने कहा कि ‘ऐसा आप मानते हैं, (लेकिन) गुजरात में अगली सरकार हमारे (भाजपा) द्वारा बनाई जाएगी.’

गुजरात के मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जीतू वघानी ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा, ‘समान नागरिक संहिता का मतलब है कि समाज के सभी वर्गों के साथ उनके धर्म के ध्यान में रखे बिना समान नागिरक कानून के अनुसार समान व्यवहार किया जाएगा, जो सभी पर समान रूप से लागू होगा… सभी के लिए विकास, सभी के लिए समान अधिकार, किसी का तुष्टिकरण नहीं- गुजरात की डबल इंजन सरकार का मंत्र. गुजरात में जल्द लागू होगा यूजीसी. एक राष्ट्र, एक कानून और एक नागरिक संहिता.’

यूसीसी लाना लंबे समय से भाजपा का वादा रहा है. चूंकि परिवार और उत्तराधिकार कानून केंद्र और राज्यों के समवर्ती क्षेत्राधिकार में आते हैं, इसलिए राज्य सरकार अपने राज्य के लिए कानून ला सकती है. लेकिन, पूरे देश में एक समान कानून केवल संसद ही बना सकती है.

इस महीने की शुरुआत में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यह मामला अब 22वें विधि आयोग के सामने रखा जाएगा.

वहीं, कुछ ही समय पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में इस बात से इनकार किया कि वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई समिति गठित करने पर विचार कर रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)