यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ब्योरा मांगा

सुप्रीम कोर्ट उन छात्रों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, जो यूक्रेन के मेडिकल विश्वविद्यालयों में पहले से चौथे वर्ष के छात्र हैं और वहां युद्ध शुरू होने बाद भारत के मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं.

/
यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों का एडमिशन की मांग को लेकर दिल्ली में हुआ एक प्रदर्शन. (फाइल फोटो साभार: ट्विटर/@shivalucky1108)

सुप्रीम कोर्ट उन छात्रों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, जो यूक्रेन के मेडिकल विश्वविद्यालयों में पहले से चौथे वर्ष के छात्र हैं और वहां युद्ध शुरू होने बाद भारत के मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं.

यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों का एडमिशन की मांग को लेकर दिल्ली में हुआ एक प्रदर्शन. (फाइल फोटो साभार: ट्विटर/@shivalucky1108)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (11 नवंबर) को केंद्र से यूक्रेन से लौटे उन मेडिकल छात्रों का विवरण देने को कहा, जिन्होंने इसके अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम (Academic Mobility Programme) का लाभ उठाया है.

इस कार्यक्रम के तहत यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र अन्य देशों के विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकते हैं.

केंद्र ने कहा कि वह यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले और वहां युद्ध के कारण वापस लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय चिकित्सा संस्थानों या विश्वविद्यालयों में समायोजित नहीं कर सकता, क्योंकि इससे यहां ‘पूरी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली बाधित होगी.’

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि किसी तीसरे देश में समायोजित किए गए मेडिकल छात्रों की संख्या कितनी है और यह योजना कैसे आगे बढ़ रही है.

भाटी ने कहा कि केंद्र ने इससे पहले अपना हलफनामा दायर कर कहा था कि विदेश मंत्रालय की सहायता से राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) ने छह सितंबर को एक नोटिस जारी किया था, जिसके तहत अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम शुरू किया गया था. इसके तहत अन्य देशों में शेष पाठ्यक्रम (यूक्रेन के मूल विश्वविद्यालय व संस्थान की मंजूरी के साथ) पूरा किए जाने को एनएमसी स्वीकार करेगी.

सुप्रीम कोर्ट मेडिकल छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. ये छात्र मुख्य रूप से अपने सेमेस्टर में भारतीय मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं.

अपनी मांग के समर्थन में बीते जून माह में उन्होंने राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल भी की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था.

वहीं, 15 सितंबर की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय कॉलेजों में दाखिला नहीं दे सकते. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने इसके लिए अनुमति नहीं दी है.

सरकार ने कहा था, ‘भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 या राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम, 2019 के साथ-साथ मेडिकल छात्रों को किसी भी संस्थान से समायोजित या स्थानांतरित करने, साथ ही साथ विदेशी चिकित्सा संस्थानों/कॉलेजों से भारतीय चिकित्सा महाविद्यालयों में स्थानांतरण के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)