केरल हाईकोर्ट ने मत्स्य विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति रद्द की, नियमों का उल्लंघन बताया

केरल हाईकोर्ट ने पाया कि केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के दौरान यूजीसी के उस नियम का पालन नहीं किया गया, जिसके तहत कुलाधिपति को तीन या उससे अधिक दावेदारों की सूची भेजना अनिवार्य है. बीते दिनों राज्यपाल ने भी कुलपति से इसी आधार पर इस्तीफ़ा मांगा था.

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केरल के कोच्चि शहर स्थित केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

केरल हाईकोर्ट ने पाया कि केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के दौरान यूजीसी के उस नियम का पालन नहीं किया गया, जिसके तहत कुलाधिपति को तीन या उससे अधिक दावेदारों की सूची भेजना अनिवार्य है. बीते दिनों राज्यपाल ने भी कुलपति से इसी आधार पर इस्तीफ़ा मांगा था.

केरल के कोच्चि शहर स्थित केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय (केयूएफओएस) के कुलपति की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों के खिलाफ है.

जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. चाले की पीठ ने कहा कि डॉ. के. रीजि जॉन को केयूएफओएस का कुलपति नियुक्त करने के दौरान यूजीसी के उस नियम का पालन नहीं किया गया, जिसके तहत कुलाधिपति को तीन या उससे अधिक दावेदारों की सूची भेजना अनिवार्य है.

पीठ ने कहा कि नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कुलाधिपति एक चयन समिति गठित कर सकते हैं. उसने स्पष्ट किया कि कुलपति के चयन में यूजीसी के मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

हाईकोर्ट का यह फैसला जॉन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर आया है. हालांकि, विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है.

यह फैसला राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा जॉन का इस्तीफा मांगे जाने के कदम को जायज ठहराता है.

खान ने इस आधार पर जॉन का इस्तीफा मांगा था कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक अन्य मामले में कहा था कि यूजीसी के मानदंडों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा गठित चयन समिति को कम से कम तीन उपयुक्त दावेदारों के नामों की सिफारिश करनी चाहिए थी.

उन्होंने जॉन को कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा था कि शीर्ष अदालत द्वारा यूजीसी के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को खारिज किए जाने के मद्देनजर उन्हें कुलपति के पद पर बने रहने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए.

राज्यपाल ने इसी तरह 21 अक्टूबर को पूरे केरल में 10 कुलपतियों के इस्तीफे मांगे थे. पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने कुलपतियों को अंतरिम राहत देते हुए राज्यपाल से जवाब दाखिल करने को कहा था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, डॉ. जॉन को नियुक्त करने वाली चयन समिति की अध्यक्षता केरल राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष वीके रामचंद्रन ने की थी, जो सरकार द्वारा नामित थे.

इसमें केरल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो-वाइस चांसलर जे. प्रभाष और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) जेके जेना को भी क्रमशः केयूएफओएस गवर्निंग काउंसिल और आईसीएआर महानिदेशक के मनोनीत सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.

जॉन को कथित तौर पर नौ उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्ट के आधार पर इस पद के लिए सर्वसम्मति से नामित किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)