यूपी में डेंगू मामलों में वृद्धि: स्कूल में बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर आने के निर्देश

उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों व स्कूली बच्चों को लेकर विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए हैं. छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इन बीमारियों से छात्रों को बचाया जा सके.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों व स्कूली बच्चों को लेकर विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए हैं. छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इन बीमारियों से छात्रों को बचाया जा सके.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में वृद्धि को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूली छात्रों को इनसे बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों के संबंध में स्कूलों के सभी जिला निरीक्षकों को दिशानिर्देश जारी किए हैं.

इन दिशानिर्देशों में राज्य सरकार ने कक्षा 12वीं तक के छात्रों को स्कूल परिसर में पूरी आस्तीन (फुल स्लीव) की शर्ट और ट्राउजर पहनकर आने के लिए कहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने कहा है कि स्कूलों के माध्यम से छात्रों और अभिभावकों को जागरूक किया जाए, ताकि इन बीमारियों से छात्रों को बचाया जा सके.

उन्होंने आगे कहा, ‘छात्रों को फुल शर्ट और ट्राउजर में स्कूल आने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए. दैनिक प्रार्थना सभा में बच्चों को इन बीमारियों और उनसे होने वाली समस्याओं के बारे में अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाए.’

देव ने एक आदेश में कहा, ‘गांवों में भी आवश्यकतानुसार जन जागरूकता रैलियां निकाली जाएं. परिसर में खुली पानी की टंकियों की नियमित सफाई की जाए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि स्कूल परिसर और आसपास कहीं भी जल-जमाव न हो.’

निदेशक ने कहा, ‘यह सुनिश्चित किया जाए कि स्कूल परिसर में हैंडपंप के पास नियमित सफाई है और एंटी-लार्वा/कीटनाशक का छिड़काव किया जाए. स्कूल परिसर और आस-पड़ोस को साफ रखें और झाड़ियों को काट दें.’

कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित कर उन्हें डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संचारी रोगों और उनके दुष्परिणामों के बारे में बताया जाए और उन्हें अपने घर व आसपास साफ-सफाई रखने के लिए प्रेरित किया जाए. इन कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए.

देव कहा, ‘यदि किसी बच्चे में बुखार जैसे लक्षण विकसित हों, उनका तुरंत इलाज कराया जाए. इसके लिए तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सहयोग लिया जाए.’