जामिया: भंग किए गए शिक्षक संघ की बैठक प्रशासन की कार्रवाई की धमकी के बाद रद्द की गई

जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन ने इसी सप्ताह जामिया शिक्षक संघ के सदस्यों को निलंबित करके इसे भंग कर दिया गया था. शुक्रवार को भंग हुए संघ की कार्यकारी समिति ने एक आम बैठक बुलाई थी, जिसे रजिस्ट्रार द्वारा इसमें शामिल होने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की चेतावनी दिए जाने के बाद रद्द कर दिया गया.

/
(फोटो साभार: फेसबुक/@JMI)

जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन ने इसी सप्ताह जामिया शिक्षक संघ के सदस्यों को निलंबित करके इसे भंग कर दिया गया था. शुक्रवार को भंग हुए संघ की कार्यकारी समिति ने एक आम बैठक बुलाई थी, जिसे रजिस्ट्रार द्वारा इसमें शामिल होने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की चेतावनी दिए जाने के बाद रद्द कर दिया गया.

(फोटो साभार: facbook/@JMI)

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन ने शुक्रवार को जामिया शिक्षक संघ (जेटीए) पर अपनी कार्रवाई जारी रखी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसने संघ को ‘एक अनधिकृत निकाय’ बताया और इसकी बैठक में भाग लेने वाले शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है.

गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक आदेश जारी कर कहा कि उसने नवंबर 2020 में चुनी गई मौजूदा एसोसिएशन को भंग कर दिया है जोथी.

प्रशासन ने स्पेनिश और लैटिन अमेरिकी अध्ययन केंद्र की प्रोफेसर सोनिया गुप्ता को भी निलंबित कर दिया था, जिन्हें 23 नवंबर को होने वाले अगले चुनाव कराने के लिए जेटीए द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके साथ ही वीसी ने जेटीए के ‘नियमों/संविधान की कमियों को देखने के लिए’ छह सदस्यीय समिति का गठन किया है.

जेटीए की कार्यकारी समिति ने इन आदेशों की ‘शिक्षकों की लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने’ की कोशिश बताते हुए निंदा की है. इसने शुक्रवार को एक आम बैठक (जीबीएम) भी बुलाई थी.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बैठक में हिस्सा लेने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया था.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार नाजिम हुसैन अल-जाफरी द्वारा जारी परामर्श में आरोप लगाया गया है कि ‘विश्वविद्यालय के कामकाज को प्रभावित करने के लिहाज’ से बैठक की योजना बनायी गई थी.

भंग हो चुके जेटीए के अध्यक्ष माजिद जमिल ने बताया, ‘हमारे सहकर्मियों और जेटीए के हित में, शुक्रवार को होने वाली आम सभा को रद्द किया गया. रजिस्ट्रार द्वारा जारी परामर्श और जेटीए का दफ्तर सील होने के बाद यह फैसला लिया गया है.’

रजिस्ट्रार ने अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि परामर्श का उल्लंघन होने की स्थिति में विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसी बैठक में हिस्सा लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा. इसमें उन पर शिक्षकों को ‘गुमराह’ करने का आरोप भी लगाया था.

परामर्श में कहा गया था, ‘सक्षम प्राधिकार के संज्ञान में आया है कि एक गैर-मान्यता प्राप्त समूह द्वारा एक जेबीएम बुलाई गई है. जेटीए नियमावली/संविधान के तहत इस समूह को मान्यता या अधिकार प्राप्त नहीं है और इसे 17 नवंबर को भंग किया जा चुका है.’

इसमें आगे कहा गया, ‘इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि शिक्षकों को बैठक में शामिल होने या किसी भी तरह से भाग लेने से बचना चाहिए. इस तरह की सलाह के किसी भी उल्लंघन के मामले में प्राधिकरण बैठक, जो जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में विश्वविद्यालय के सुचारू कामकाज को बाधित करने के इरादे से आयोजित करने की योजना है, में भाग लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.’

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही जामिया शिक्षक संघ (जेटीए) के सदस्यों को निलंबित करके संघ को भंग कर दिया गया था. जेटीए का कार्यकाल मई, 2022 में समाप्त हो गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने जेटीए का दफ्तर भी सील कर दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)