सुरक्षा की आड़ में महिला छात्राओं पर प्रतिबंध लगाना ‘पितृसत्ता’ है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की पांच मेडिकल छात्राओं और कॉलेज संघ के पदाधिकारियों द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 2019 के उस सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी जो सभी महिला छात्रावासों को रात 9:30 बजे तक खोले जाने की बात करता था.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केरल हाईकोर्ट कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की पांच मेडिकल छात्राओं और कॉलेज संघ के पदाधिकारियों द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 2019 के उस सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी जो सभी महिला छात्रावासों को रात 9:30 बजे तक खोले जाने की बात करता था.

(फोटो साभार: फेसबुक)

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज के महिला छात्रावास में कर्फ्यू पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि सुरक्षा की आड़ में इस तरह के प्रतिबंध और कुछ नहीं बल्कि पितृसत्ता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अदालत ने कहा कि पितृसत्ता के सभी रूपों, यहां तक कि वे भी जो लिंग के आधार पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए हैं, से असहमति व्यक्त की जानी चाहिए.

अदालत ने कहा, ‘आधुनिक समय में, किसी भी पितृसत्तावाद का बहिष्कार करना होगा, क्योंकि लड़कियां, लड़कों की तरह खुद की देखभाल करने में पूरी तरह से सक्षम हैं और यदि नहीं, तो यह राज्य और सार्वजनिक प्राधिकरणों का प्रयास होना चाहिए कि उन्हें (कमरे में) बंद रखने के बजाय सक्षम बनाया जाए.’

अदालत की यह टिप्पणियां पांच एमबीबीएस की छात्राओं और कॉलेज संघ के पदाधिकारियों द्वारा लगाई गई याचिका पर आई हैं. याचिका में यह भी कहा गया था कि पुरुष छात्रों के लिए कोई भी प्रतिबंध नहीं है.

याचिकाकर्ताओं ने 2019 के उस सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए कोर्ट का रुख किया था, जिसमें बिना कोई कारण ही हायर एजुकेशन कॉलेजों के छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं के रात 9:30 बजे के बाद आने और जाने पर प्रतिबंध लगाया गया था.

उक्त आदेश में केरल सरकार ने निर्देश दिया था कि सभी महिला छात्रावास रात 9:30 बजे तक ही खुले रखे जाएंगे.

याचिका में कहा गया था कि जिस तरीके से छात्र पढ़ना चाहते हैं, उन्हें उस तरीके से पढ़ने की इजाजत दी जाए, जब तक कि वे किसी अन्य के लिए परेशानी खड़ी नहीं करते हैं.