केरल के विझिंजम इलाके में अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना का पिछले कुछ समय से मछुआरे विरोध कर रहे हैं. बीते 26 और 27 नवंबर को प्रदर्शनों के दौरान हिंसक झड़पें हुईं थी. अडाणी समूह ने विरोध प्रदर्शन के कारण कामकाज में आ रहीं बाधाओं को लेकर हाईकोर्ट से केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
कोच्चि: केरल सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि उसे तिरुवनंतपुर में निर्माणाधीन विझिंजम समुद्री बंदरगाह पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती में कोई आपत्ति नहीं है.
हाल ही में इस निर्माणाधीन बंदरगाह पर उग्र प्रदर्शन होने से कामकाज प्रभावित हुआ था. इस बंदरगाह का विकास अडाणी समूह कर रहा है.
अडाणी समूह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनु शिवरमण ने राज्य और केंद्र सरकारों से केंद्रीय बलों की तैनाती की संभावनाओं पर बातचीत करने को कहा. अडाणी समूह ने बंदरगाह स्थल पर विरोध प्रदर्शन के कारण कामकाज में आ रहीं बाधाओं को लेकर याचिका दायर की थी.
इस याचिका में विझिंजम समुद्री बंदरगाह पर केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश देने का आग्रह किया गया था. राज्य सरकार ने इस मांग पर अपनी सहमति दे दी.
सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर कोई आपत्ति नहीं है.
इस पर न्यायाधीश ने दोनों सरकारों से इसकी संभावनाओं पर गौर करने को कहा. इस मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विझिंजम में पिछले हफ्ते की हिंसा का जिक्र करते हुए अडाणी समूह ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राज्य पुलिस इसके लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने में अनिच्छा दिखा रही है.
बंदरगाह के प्रमोटर ने कहा कि राज्य सरकार के पास अदालत के निर्देश को लागू नहीं करने के कारण हो सकते हैं और केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए आवश्यक स्थिति है.
उसके बाद राज्य ने कहा कि उसे परियोजना क्षेत्र में केंद्रीय बलों को तैनात करने में कोई आपत्ति नहीं है. इसमें कहा गया है कि राज्य पुलिस द्वारा परियोजना क्षेत्र के बाहर कानून व्यवस्था का ध्यान रखा जाएगा.
इसके बाद अदालत ने सरकार को केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त करने और अगले बुधवार तक अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. राज्य ने भी कहा कि वह केंद्रीय बलों की तैनाती पर केंद्र सरकार से बात करेगा.
अडाणी समूह तिरुवनंतपुरम के विझिंजम में पिछले तीन महीने से रुके हुए बंदरगाह परियोजना के निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करना चाहता था. इसका बीते 26 नवंबर को मछुआरों ने विरोध किया, जो हिंसक हो गया.
बता दें कि निर्माण कार्य फिर से शुरू करने के खिलाफ मछुआरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान 26 नवंबर को हुई हिंसा के संबंध में 27 नवंबर को पुलिस ने तिरुवनंतपुरम के आर्कबिशप थॉमस नेट्टो, सहायक बिशप आर. क्रिस्तुदास और लातिन कैथोलिक गिरजाघर के कम से कम 15 पादरियों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
बीते 27 नवंबर की रात को भी बंदरगाह के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पों के संबंध में 3,000 से अधिक अज्ञात लोगों पर मामले दर्ज किए गए थे. हिंसा में 36 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसके अलावा 20 प्रदर्शनकारियों के भी घायल हो गए थे.
एफआईआर में कहा गया है कि 3,000 लोगों ने थाने का घेराव किया. पुलिस अधिकारियों को कई घंटों तक बंधक बनाकर रखा. फर्नीचर में तोड़फोड़ की और थाना परिसर में खड़े कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.
इसके अनुसार, प्रदर्शनकारी बीते 26 नवंबर की हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए पांच लोगों (मछुआरों) को रिहा कराना चाहते थे और रिहा न करने पर पुलिसकर्मियों को जिंदा जला देने की धमकी दी थी. एफआईआर में कहा गया है कि हमले से पुलिस विभाग को 85 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.
बीते 29 नवंबर को केरल सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि हिंसक प्रदर्शनों और प्रदर्शनकारियों द्वारा राजधानी तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बंदरगाह पर हमले से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाए जाएंगे.
मछुआरे पिछले चार महीनों से 7,500 करोड़ रुपये की अडाणी समूह की इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि इसके निर्माण से बड़े पैमाने पर समुद्री कटाव हुआ है, जिससे आजीविका और आवासों का नुकसान पहुंचा है.
अडाणी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 05 दिसंबर, 2015 को 7,525 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना का निर्माण शुरू किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)