नगालैंड फायरिंग के एक साल: ग्रामीण बोले- उस त्रासदी को कभी भूल नहीं सकते

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.

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ओटिंग गांव में हुई फायरिंग में मारे गए 14 नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए. (फोटो: पीटीआई)

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.

ओटिंग गांव में हुई फायरिंग में मारे गए 14 नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए. (फोटो: पीटीआई)

ओटिंग: नगालैंड में मोन जिले के ओटिंग में सैन्य बलों द्वारा गलत पहचान के कारण 14 लोगों की हत्या की घटना के रविवार को एक साल पूरे होने पर ग्रामीणों ने कहा कि वे इसमें संलिप्त कर्मियों को माफ कर सकते हैं, लेकिन इसे भूल नहीं सकते हैं.

उन्होंने इस दुखद घटना की निशानियों को मिटाने के लिए घटनास्थल की घास तक जला दी है, लेकिन चार दिसंबर 2021 को हुई घटना की यादें अब भी इस छोटे से गांव के लोगों के ज़ेहन में हैं.

ओटिंग गांव के सामुदायिक नेता खेतवांग कोन्याक ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘हम कुछ मायनों में आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन दर्द और पीड़ा अब भी है. नगालैंड में हम माफ करना जानते हैं, लेकिन हम इस त्रासदी को नहीं भूल सकते हैं.’

पूर्वोत्तर राज्य में मोन जिले के ओटिंग के लोगों ने कहा कि वे हत्याओं की पहली बरसी पर 14 लोगों की याद में एक शिला स्तंभ स्थापित करेंगे.

पिछले साल चार दिसंबर को ओटिंग गांव में काम से लौट रहे छह कोयला खनिकों की सैन्यकर्मियों की गोलीबारी में मौत हो गई थी, जबकि सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान सात अन्य को गोली मार दी गई थी. गोलियों से छलनी किए गए मजदूरों के शव सेना के एक ट्रक में पाए जाने के बाद यह झड़प हुई थी.

इस झड़प में एक सुरक्षाकर्मी की भी मौत हो गई थी. अगले दिन मोन शहर में भीड़ ने असम राइफल्स के शिविर पर हमला कर दिया था, जिसमें एक अन्य नागरिक की मौत हो गई.

खेतवांग कोन्याक ने कहा, ‘हमने नरसंहार स्थल को साफ कर दिया है और पुरानी घास और अन्य पौधों को जला दिया है. हम वहां स्मारक के रूप में एक शिला स्तंभ स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. हम काले झंडे और बैनर लहराएंगे.’

पिछले साल दिसंबर की घटना में जख्मी हुए चिंगमेई कोन्याक ने कहा, ‘पर जनजीवन सामान्य हो गया है, लेकिन हम सभी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं.’

सेना की ‘सप्लाई कोर’ के पूर्व कर्मी ने दावा किया, ‘उन्होंने हमारे इलाज का खर्चा उठाया. हममें से कई लोग पहले की तरह अपने काम पर जाने लायक नहीं रह गए हैं और हम आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं.’

खेतवांग कोन्याक ने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को नौकरी और अनुग्रह राशि प्रदान की है, लेकिन घायलों को बेसहारा छोड़ दिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘हम उनके साथ सहयोग करते हैं या नहीं, यह समुदाय का निर्णय होगा. हम फिर से सेना के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं, लेकिन हम नरसंहार को आसानी से नहीं भूल सकते हैं.’

नगालैंड स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) के महासचिव सिपुनी एन. फिलो ने कहा कि ओटिंग घटना के बाद पीड़ितों को न्याय मिलने तक वे सुरक्षा बलों के साथ सहयोग नहीं करने के अपने फैसले पर अडिग हैं.

ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के अध्यक्ष आर. त्सापिकू संगतम ने बताया था कि ईएनपीओ चार और पांच दिसंबर को राज्य के समूचे पूर्वी हिस्से में ‘काला दिवस’ मनाया गया.

पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि छह पूर्वी जिलों- मोन, त्युएनसांग, लोंगलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर में सभी घरों में इन दो दिनों में काले झंडे फहराए जाएंगे.

इस अवसर को लेकर कोन्याक जनजाति के संगीत बैंड और कलाकारों ने एक श्रद्धांजलि वीडियो जारी किया है. गोलीबारी में मारे गए सभी 14 लोग कोन्याक जनजाति के थे.

कोन्याक छात्र संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि जिले में परिवारों ने काले झंडे फहराए हैं, जबकि इसकी मूल संस्था कोन्याक यूनियन सोमवार को मोन कस्बे में प्रार्थना सभा आयोजित की गई है.

इस बीच, एनएसएफ ने रविवार को ओटिंग में सेना द्वारा मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह आयोजित किया. इस अवसर पर अपने संक्षिप्त संबोधन में एनएसएफ के अध्यक्ष केगवेहुन टेप ने फेडरेशन द्वारा सशस्त्र बलों के प्रति असहयोग की पुष्टि की.

ज्ञात हो कि घटना के चलते दिसंबर 2021 में राज्य भर में कई विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक संस्थाओं, विभिन्न छात्र संगठनों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक सुर में आफस्पा को हटाने की मांग उठाई थी.

इनका कहना था कि यह कानून सशस्त्र बलों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है और यह मोन गांव में फायरिंग जैसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.

19 दिसंबर 2021 को नगालैंड विधानसभा ने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर, खासतौर से नगालैंड से आफस्पा हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था.

इसी दौरान, दिसंबर 2021 में ही केंद्र ने नगालैंड की स्थिति को अशांत और खतरनाक करार दिया तथा आफस्पा के तहत 30 दिसंबर से अगले छह महीने के लिए पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया था.

उल्लेखनीय है कि नगालैंड सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था. उसने ओटिंग में गोलीबारी की घटना में सेना के 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 कर्मियों के खिलाफ बीते जून महीने में एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है.

पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करते हुए कहा था कि उन्होंने मानक संचालन प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया था, न ही फायरिंग से पहले नागरिकों की पहचान सुनिश्चित की गई थी.

सेना ने ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ (सीओआई) भी गठित की थी, जिसने अपनी जांच पूरी कर ली है.

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलीता ने इस साल मई में कहा था कि एसआईटी और सीओआई के निष्कर्षों का विश्लेषण किया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)