उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर के सेक्टर 93 स्थित एमरल्ड कोर्ट सोसाइटी का मामला. ओनर्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि लड़के और लड़कियां सामूहिक रूप से फ्लैट में रहते हैं. वे नियमों का उल्लंघन करते हैं, जिसका समाज पर बहुत ही ख़राब असर पड़ रहा है.
नोएडा: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा शहर में स्थित एमरल्ड कोर्ट सोसाइटी के अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) ने सोसायटी में रहने वाले सभी अविवाहित किरायेदारों से 31 दिसंबर तक मकान खाली करने को कहा है.
नोएडा सेक्टर 93ए स्थित पॉश सोसाइटी के ओनर्स एसोसिएशन ने कहा कि उन्हें अन्य निवासियों से शिकायतें मिल रही हैं, जिनके कारण पेइंग गेस्ट के रूप में रह रहे लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.
हालांकि, ओनर्स एसोसिएशन के इस कदम का न सिर्फ किरायेदार, बल्कि मकान मालिक भी विरोध कर रहे हैं.
वहीं, 15 नवंबर को एक ईमेल के जरिये जारी इस नोटिस के कारण युवतियों को हो रही परेशानी पर उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ओनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से फोन पर बात की है.
बाथम ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि इस तरह के फरमान से वहां रहने वाली युवतियों और छात्राओं को काफी परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि सोसाइटी के पदाधिकारियों से बात कर इस मामले का समाधान किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘एकदम से मकान खाली करने का नोटिस देने के बाद लड़कियां कहां जाएंगी. मामला काफी संवेदनशील है, इस पर गंभीरता से दोनों पक्षों को विचार करना चाहिए.’
गौरतलब है कि ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया द्वारा 15 नवंबर को ईमेल के जरिये नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने नोटिस में कहा था कि सोसाइटी में किराये पर रहने वाले अविवाहित युवक और युवतियां नियमों का उल्लंघन करते हैं, इसलिए पेइंग गेस्ट और छात्र-छात्राएं 31 दिसंबर तक सोसाइटी छोड़ दें.
तेवतिया ने कहा, ‘लड़के और लड़कियां सामूहिक रूप से फ्लैट में रहते हैं. वे नियमों का उल्लंघन करते हैं और यह भी कहा जा रहा है कि उन मकानों से अनैतिक गतिविधियों का संचालन किया जाता है, जिसका समाज पर बहुत ही खराब असर पड़ रहा है. इसलिए नोटिस जारी कर उन्हें 31 दिसंबर तक सोसाइटी छोड़ने का आदेश दिया गया है.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार तेवतिया ने कहा, ‘इस नोटिस को जारी करने का उद्देश्य सोसाइटी नियम के उल्लंघन की जांच करना है. हमने किसी को एक ही रात में कमरा खाली करने के लिए नहीं कहा है, इसके लिए दो से तीन महीने का समय दिया गया है. नोटिस नवंबर में जारी किया गया था.’
उन्होंने कहा कि कुछ मामले सामने आए हैं, जिसमें रेंट एग्रीमेंट एक व्यक्ति के नाम पर किया जाता है, लेकिन आगे वह फ्लैट पांच, छह या सात लड़कियों को रहने के लिए दे दिया जाता है.
तेवतिया ने कहा, ‘इन सबकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.’
तेवतिया वहीं हैं, जिन्होंने डेवलपर सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ निवासियों की लड़ाई का नेतृत्व किया था, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने सोसाइटी के परिसर में अवैध रूप से निर्मित ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश दिया था.
सोसाइटी में किराये पर रहने वाली छात्रा प्रिया ने बताया कि यहां के करीब 10 फ्लैट में 30 छात्राओं सहित करीब 40 विद्यार्थी रह रहे हैं, जो विभिन्न कॉलेज व विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं.
वहीं, सोसाइटी में किराये पर रहने वाले छात्र-छात्राओं का आरोप है कि उनके अतिथियों के आने पर सुरक्षाकर्मी उन्हें सोसाइटी में आने से रोक देते हैं.
उनका कहना है कि कारण पूछने पर बोला जाता है कि बाहरी व्यक्ति का सोसाइटी में आना मना है. उनका आरोप है कि कई बार छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को भी रोका गया है और इस संबंध में शिकायत करने पर ओनर्स एसोसिएशन की तरफ से कार्रवाई नहीं की जाती.
26 वर्षीय कला त्रिवेदी कहती है, ‘अक्सर लोग किराये पर अविवाहित लोगों को अपना अपार्टमेंट देने से इनकार करते हैं. इसकी वजह से अविवाहित लोगों के पास ब्रोकर के माध्यम से अपार्टमेंट लेने का ही विकल्प बचता है. इन स्थितियों में ब्रोकर उनसे बहुत पैसा वसूलता है.’
इंजीनियरिंग पेशेवर कला पहले नोएडा सेक्टर 46 की एक सोसाइटी में रहती थीं, लेकिन अब दक्षिण दिल्ली में रह रही हैं.
उन्होंने दावा किया, ‘हम उस अपार्टमेंट में रहने वाली दो लड़कियां थीं और इसे खाली करने के समय मेरे मकान मालिक ने हमें बताया कि वह इसे अविवाहित महिलाओं को कभी भी किराये पर नहीं देंगे. यह सब तब था जब सोसाइटी के अन्य निवासियों से हमारे बारे में कोई शिकायत नहीं मिली थी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)