देश के पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों में उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा सीट पर भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज की है, वहीं खतौली सीट पर राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार जीते हैं. छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर और राजस्थान की सरदारशहर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि ओडिशा की पदमपुर सीट पर बीजू जनता दल को सफलता मिली है.
नई दिल्ली: गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ गुरुवार को पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों की भी घोषणा हुई है.
इनमें उत्तर प्रदेश की दो विधानसभा सीटें खतौली और रामपुर एवं एक लोकसभा सीट मैनपुरी शामिल हैं. इनके अलावा बिहार की कुढ़नी, छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर, ओडिशा की पदमपुर और राजस्थान की सरदारशहर विधानसभा सीटें शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी डिंपल यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को दो लाख 88 हजार 461 मतों से हराकर यह सीट सपा के पास बरकरार रखी.
चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम के मुताबिक डिंपल ने दो लाख 88 हजार 461 मतों से जीत हासिल की. डिंपल ने 6,18,120 मत हासिल किए, जबकि शाक्य को 3,29,659 वोट मिले.
मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हुई थी. इस सीट के उपचुनाव के तहत गत पांच दिसंबर को मतदान हुआ था. सपा ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम की बहू डिंपल को प्रत्याशी बनाया था.
“मैनपुरी की जनता ने नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। ये ऐतिहासिक जीत हम सभी की तरफ से नेताजी को समर्पित है।”
– मा. डिंपल यादव जी, मैनपुरी pic.twitter.com/l6J319dYGQ
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) December 8, 2022
मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा की यह चौथी सबसे बड़ी जीत है. इस सीट से सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम है.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 3,64,666 मतों से पराजित किया था.
जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, सक्सेना ने राजा को 34,136 मतों से हराया. सक्सेना को 81,432 मत मिले जबकि राजा को 47,296 वोट हासिल हुए.
भाजपा आजादी के बाद पहली बार रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीती है. इससे पहले करीब 40 साल से यहां सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां ही विधायक रहे. उनसे पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व रहा था.
दूसरी, ओर सपा उम्मीदवार आसिम राजा ने परिणामों पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि मतगणना के 19वें चक्र तक वह करीब सात हजार मतों से आगे थे, लेकिन अचानक 21वें चक्र में आकाश सक्सेना को 12 हजार मतों से आगे कर दिया गया.
पुलिस प्रशासन पर उपचुनाव में सपा के मतदाताओं पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हुए राजा ने कहा, ‘मेरी हार यहां के पुलिस प्रशासन को मुबारक हो.’
उत्तर प्रदेश की ही एक अन्य विधानसभा सीट खतौली में सपा गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रत्याशी मदन भैया ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की राजकुमारी सैनी को 22,143 मतों से हराकर भाजपा से यह सीट छीन ली.
चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम के मुताबिक, मदन भैया को 97,139 मत मिले जबकि राजकुमारी को 74,996 वोट हासिल हुए. हार-जीत का अंतर 22,143 मतों का रहा.
इसके साथ ही राज्य विधानसभा में रालोद के विधायकों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है.
खतौली सीट भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते रिक्त हुई थी.
भाजपा ने इस सीट पर उनकी पत्नी राजकुमारी सैनी को उम्मीदवार बनाया था. यह सीट सपा गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को मिली थी, जिसने यहां मदन भैया को प्रत्याशी बनाया था. मतगणना की शुरुआत से ही रालोद प्रत्याशी ने मजबूत बढ़त बना ली थी जो अंत तक बरकरार रही.
बिहार
भाजपा ने बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन से कुढ़नी सीट छीन ली. इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता ने नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा को 3,645 मतों से पराजित कर दिया.
नीतीश कुमार कुछ ही महीने पहले भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर महागठबंधन में शामिल हुए थे.
कुढ़नी सीट पर हुए कांटे के मुकाबले में गुप्ता को 76,653 मत प्राप्त हुए जबकि कुशवाहा को 73,008 वोट मिले.
इस सीट पर जदयू के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा सत्तारूढ़ महागठबंधन से चुनाव में उतरे थे जिसमें राजद एक घटक है.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कुढ़नी में भाजपा को मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है.
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन ने कुढ़नी में करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाए, सारे हथकंडे अपनाए, फिर भी वहां के मतदाताओं ने भाजपा की जीत पक्की की.
उन्होंने कहा कि चुनाव में लालू जी के नाम का भी उपयोग किया गया, उनके किडनी प्रत्यारोपण का विषय उठाकर भावनात्मक कार्ड खेला गया, मुख्यमंत्री ने भी कई सभाएं की और इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया. लेकिन उपचुनाव में अंतत: भाजपा ने जीत हासिल की.
वहीं, भाजपा नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबर्दस्त भरोसा व्यक्त किया है और चुनाव परिणाम महागठबंधन के मुंह पर तमाचा है.
वहीं, जदयू वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘क्या हार में, क्या जीत में’ की कुछ पंक्तियों के साथ अपने ट्वीट में कहा, ‘कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है. पहली सीख- ‘जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा.’
क्या हार में, क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं ।कर्तव्य पथ पर जो मिला
यह भी सही वो भी सही ।।कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- “जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।”
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) December 8, 2022
छत्तीसगढ़
वहीं, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से उपचुनावों में पार्टी की यह लगातार पांचवीं जीत है.
चुनाव अधिकारियों ने गुरुवार को यहां बताया कि कांग्रेस की उम्मीदवार सावित्री मंडावी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के ब्रह्मानंद नेताम को 21,171 मतों के अंतर से हराया है. अधिकारियों ने बताया कि इस उपचुनाव में मंडावी को 65,479 वोट तथा भाजपा के नेताम को 44,308 वोट मिले.
उन्होंने बताया कि निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अकबर राम कोर्रम को 23,417 वोट मिले हैं.
नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए इस महीने की पांच तारीख को मतदान हुआ था. जिसमें 71.74 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
उपचुनाव में जीत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भानुप्रतापपुर के लोगों ने पिछले चार वर्षों में उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर अपनी मुहर लगा दी है.
बघेल ने कहा कि दिवंगत विधायक मंडावी के अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध थे और क्षेत्र के विकास में उनके प्रयासों ने भी पार्टी के पक्ष में काम किया.
उन्होंने इस दौरान भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी मतगणना के दौरान दूसरे स्थान पर रहने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही थी.
इस उपचुनाव में जीत के साथ, 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस की संख्या 71 ही रहेगी. वर्ष 2018 में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद विधानसभा उपचुनावों में भाजपा को कांग्रेस से लगातार पांचवीं बार हार का सामना करना पड़ा.
वर्ष 2018 में कांग्रेस ने राज्य में 90 में से 68 सीट जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा ने 15 सीट जीती थीं. जेसीसी (जे) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और क्रमशः पांच और दो सीट जीती थीं.
वर्ष 2019 में कांग्रेस ने दंतेवाड़ा और चित्रकोट विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव जीते थे. वहीं, 2020 में कांग्रेस ने मरवाही सीट जीती थी. बाद में इस साल अप्रैल में खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की गई थी.
विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 14, जेसीसी (जे) के तीन तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायक हैं.
ओडिशा
ओडिशा में बरगढ़ जिले की पदमपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) की उम्मीदवार वर्षा सिंह बरिहा ने भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप पुरोहित को 42,679 मतों के अंतर से पराजित कर दिया.
बीजद उम्मीदवार ने मतगणना की शुरूआत से ही अपनी बढ़त बना ली थी. उन्हें 23वें दौर की मतगणना संपन्न होने के बाद 1,20,807 वोट प्राप्त हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा के प्रदीप पुरोहित को 78,128 वोट मिले हैं.
बरिहा दिवंगत विधायक विजय रंजन सिंह बरिहा की बड़ी बेटी हैं. विजय रंजन सिंह बरिहा के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी.
राजस्थान
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने सरदारशहर विधानसभा सीट पर अपना कब्जा कायम रखा है. इस सीट के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी अनिल कुमार शर्मा ने 26 हजार से अधिक वोट से जीत दर्ज की.
निर्वाचन विभाग के अनुसार, कांग्रेस प्रत्याशी अनिल कुमार शर्मा को कुल 91,357 वोट मिले, भाजपा के अशोक पींचा को 64,505 वोट मिले जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार लालचंद को 46,753 वोट मिले. इस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी 26,852 मतों के अंतर से जीते.,
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस जीत को राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के पारदर्शी, संवेदनशील और जवाबदेह सुशासन और जनकल्याणकारी योजनाओं पर जनता की मुहर बताया.
इस जीत के साथ ही कांग्रेस ने सरदारशहर सीट पर अपना कब्जा भी बरकरार रखा है. उल्लेखनीय है कि यह सीट कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा के निधन के कारण खाली हुई जो इस सीट से सात बार विधायक रहे.
कांग्रेस ने दिवंगत शर्मा के बेटे अनिल कुमार को चुनाव मैदान में उतारा था. कांग्रेस ने अपने मौजूदा कार्यकाल में उपचुनाव में अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखा है. राजस्थान में विगत चार सालों में हुए नौ उपचुनाव में कांग्रेस ने सात सीट पर जीत दर्ज की और भाजपा महज एक सीट जीत सकी.
परिणाम पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि जनता का यह स्पष्ट संदेश है कि 2023 में राजस्थान में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी.
जनता का यह स्पष्ट संदेश है कि 2023 में राजस्थान में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी।राजस्थान में विगत चार सालों में हुए 9 उपचुनावों में कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की है।बीजेपी महज एक सीट जीत सकी है।इनमें भी भाजपा एक सीट पर जमानत जब्त एवं एक सीट पर तीसरे नंबर पर पहुंच गई
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 8, 2022
इस जीत के साथ 200 सीट वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 108 हो गई है. इस समय विधानसभा में भाजपा के 71, आरएलपी के तीन, माकपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो-दो, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के एक और 13 निर्दलीय विधायक हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)