फिल्मकारों के प्रति सरकार का रवैया विनाशकारी है: अदूर गोपालकृष्णन

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता ने कहा, मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.

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राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता अदूर गोपालकृष्णन ने कहा, मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.

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अडूर गोपालकृष्णन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

गोपालकृष्णन ने आरोप लगाया है कि फिल्मकारों के प्रति सरकार का रवैया विनाशकारी है, सहयोगी नहीं है.

गोपालकृष्णन ने कहा, ‘फिल्मकारों के प्रति सरकार का रवैया विनाशकारी है, सहयोगात्मक नहीं. मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.’

केरल मूल के फिल्मकार यहां नेशनल सेंटर फाॅर द परफाॅर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में आयोजित गेटवे लिटफेस्ट में बाॅलीवुड इज़ नाॅट इंडियन सिनेमा विषय पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी में दूरदर्शन पर विभिन्न भाषाओं की फिल्म दिखाने की परंपरा थी. मैंने इसका नाम बदलने का प्रयास किया लेकिन सरकार इसके प्रति अत्यंत अनिच्छुक रही. अंतत: यह परंपरा ही बंद हो गई.’

इससे पहले गोपालकृष्णन ने सेंसरशिप की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था, ‘मैं किसी तरह की सेंसरशिप में भरोसा नहीं करता. मैं नहीं चाहता कि यह बताया जाए कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. लोकतंत्र में यह बहुत मूर्खतापूर्ण है. तानाशाही में ही किसी तरह की सेंसरशिप होती है.’

70 के दशक में मलयालम सिनेमा में क्रांति लाने के लिए अदूर गोपालकृष्णन को जाना जाता है. उन्होंने मलयालम फिल्मों को एक नई दिशा दी. फिल्म निर्देशक, स्क्रिप्ट राइटर और निर्माता अडूर अब तक 17 राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं.

इसके अलावा केरल राज्य फिल्म पुरस्कार भी 17 बार उनकी फिल्मों को मिल चुका है. उन्हें कई बार अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं. 1984 में उन्हें पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण सम्मान से भी उन्हें नवाज़ा जा चुका है.

1973 में उनकी फिल्म स्वयंवरम के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक का पुरस्कार मिला था. स्वयंवरम उनकी पहली फिल्म थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)