गांबिया के बाद उज़्बेकिस्तान का दावा- भारत निर्मित कफ सीरप पीने से 18 बच्चों की जान गई

उज़्बेकिस्तान ने कहा है कि भारत निर्मित खांसी की दवा ‘डॉक-1 मैक्स’ में परीक्षण के दौरान विषाक्त एथिलीन ग्लाइकॉल रसायन पाया गया है. इस दवा का निर्माण नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी करती है. भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि कंपनी की विनिर्माण इकाई की निरीक्षण रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उज़्बेकिस्तान ने कहा है कि भारत निर्मित खांसी की दवा ‘डॉक-1 मैक्स’ में परीक्षण के दौरान विषाक्त एथिलीन ग्लाइकॉल रसायन पाया गया है. इस दवा का निर्माण नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी करती है. भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि कंपनी की विनिर्माण इकाई की निरीक्षण रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

नई दिल्ली/नोएडा: अफ्रीकी देश गांबिया के बाद मध्य एशिया के देश उज्बेकिस्तान की सरकार ने कहा है कि कथित तौर पर भारत में निर्मित कफ सीरप (खांसी की दवा) पीने से उनके देश में 18 बच्चों की मौत हो गई है.

उज्बेकिस्तान के दावों से पहले गांबिया में 70 बच्चों की मौत की हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सीरप से होने की खबरें आई थीं.

बहरहाल उज्बेकिस्तान में सवालों के दायरे में आई कफ सीरप का नाम ‘डॉक-1 मैक्स’ है, जिसका निर्माण मैरियन बायोटेक कंपनी करती है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, इसकी निर्माण इकाई नोएडा में है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया है कि उज्बेकिस्तान की राज्य सुरक्षा सेवा ने घोषणा की है कि उसने दवा के स्थानीय आयातक के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू कर दी है.

अखबार के मुताबिक, राज्य सुरक्षा सेवा ने अपने बयान में कहा है, ‘डॉक-1 मैक्स दवा लेने के परिणामस्वरूप 18 बच्चों की मौत को ध्यान में रखते हुए आपराधिक संहिता के अनुच्छेद 186-3 (शक्तिशाली पदार्थों वाली दवाओं की खुदरा बिक्री के आदेश का उल्लंघन) के तहत कुरामैक्स मेडिकल (दवा का आयातक) और दवाओं के मानकीकरण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है.’

समाचार एजेंसी एएनआई ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि वे उज्बेकिस्तान के अधिकारियों के संपर्क में हैं और जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं.

उज्बेकिस्तान के मंत्रालय के अनुसार, प्रयोगशाला परीक्षणों के दौरान ‘डॉक-1 मैक्स’ सीरप की एक खेप में खतरनाक एथिलीन ग्लाइकॉल रसायन पाया गया है. इसमें विषाक्त तत्व पाए जाते हैं.

इस बीच, खबर है कि मैरियन बायोटेक ने ‘डॉक-1 मैक्स’ का निर्माण फिलहाल बंद कर दिया है. यह जानकारी कंपनी के विधि प्रतिनिधि ने गुरुवार को दी.

वहीं, गुरुवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में कंपनी के कार्यालय में निरीक्षण शुरू करने के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि मैरियन बायोटेक भारत में ‘डॉक-1 मैक्स’ नहीं बेचती है और इसका एकमात्र निर्यात उज्बेकिस्तान को किया गया है.

मामले में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने भी जांच शुरू कर दी है.

इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि बच्चों की मौत ‘डॉक-1 मैक्स’ का सेवन करने से होने संबंधी उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोप के बाद आगे की कार्रवाई दवा कंपनी की नोएडा स्थित विनिर्माण इकाई के निरीक्षण के आधार पर की जाएगी.

मंडाविया ने कहा कि कफ सीरप के नमूने नोएडा में विनिर्माण परिसर से लिए गए हैं और चंडीगढ़ में क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) को जांच के लिए भेजे गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन 27 दिसंबर से मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के नियमित संपर्क में है.

मंडाविया ने कई ट्वीट करके कहा, ‘सूचना मिलने के तुरंत बाद निर्माता मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई का संयुक्त निरीक्षण उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रक और सीडीएससीओ की टीम द्वारा किया गया और निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी.’

विदेश मंत्रालय ने भी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत उज्बेकिस्तानी प्राधिकारियों के संपर्क में है और मामले में उनकी जांच का ब्योरा मांगा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमारी समझ है कि वहां कंपनी के एक स्थानीय प्रतिनिधि सहित कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है और इस संदर्भ में हम उन लोगों को जरूरी राजनयिक सहायता प्रदान कर रहे हैं.’

प्रवक्ता ने कहा कि उज्बेकिस्तान के प्रशासन ने इस मामले में औपचारिक रूप से भारत से संपर्क नहीं किया है, हालांकि दोनों देशों के औषधि विनियामक एक दूसरे के संपर्क में हैं. बागची ने कहा, ‘भारतीय दूतावास ने उज्बेकिस्तानी पक्ष से संपर्क किया और उनकी जांच का ब्योरा मांगा है.’

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, मैरियन बायोटेक एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता है और उसके पास उत्तर प्रदेश के औषधि नियंत्रक द्वारा निर्यात उद्देश्य के लिए ‘डॉक-1 मैक्स’ सीरप और टैबलेट के निर्माण के लिए लाइसेंस है.

नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं. हैरिस ने कहा, ‘हमारी ओर से कोई दिक्कत नहीं है और परीक्षण में कोई गड़बड़ी नहीं है. हम पिछले 10 साल से वहां हैं. एक बार सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे. फिलहाल के लिए (दवा का) निर्माण बंद कर दिया गया है.’

उज्बेकिस्तान के दावों से पहले अक्टूबर 2022 में गांबिया में 70 बच्चों की मौत हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सीरप से होने की खबरें आई थीं.

जिन पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस महीने के शुरू में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को बताया था कि उसने गांबिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित चार कफ सीरप से अपरिपक्व रूप से जोड़ दिया, जिसने दुनियाभर में देश के दवा उत्पादों की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला.

डब्ल्यूएचओ में निदेशक (विनियमन और पूर्व अर्हता) डॉ. रोजेरियो गैस्पर को लिखे एक पत्र में भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. वीजी सोमानी ने कहा था कि मौतों के मद्देनजर अक्टूबर में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा हड़बड़ी में इसे भारत में निर्मित कफ सीरप से जोड़ दिया गया, जिसके कारण भारतीय दवा उत्पादों की गुणवत्ता को लक्षित करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विमर्श बनाया गया.

भारत के औषधि महानियंत्रक ने कहा था कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और निरीक्षण के लिए प्रतिबद्ध है कि दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में गुणवत्ता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा जाए.

सूत्रों ने कहा कि डीसीजीआई ने ताजा आरोप के संबंध में उज्बेक नियामक से और जानकारी मांगी है.

वहीं, विदेशों में बच्चों की मौत में भारतीय फार्मा कंपनियों की कथित भूमिका का राजनीतिक प्रभाव भी सामने आया.

विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि सरकार को डींग हांकना छोड़कर इस मामले मे कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. दूसरी तरफ सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति ‘नफरत’ के चलते कांग्रेस भारत का मजाक बना रही है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मामले को लेकर ट्वीट किया, ‘भारत में निर्मित सीरप खतरनाक दिखाई देते हैं. पहले गांबिया में 70 बच्चों की मौत हुई और अब उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हुई. मोदी सरकार को यह डींग हांकना बंद कर देना चाहिए कि भारत दुनिया के लिए औषधालय है. सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.’

इस पर पलटवार करते हुए भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘ गांबिया में बच्चों की मौत से भारत में निर्मित सीरप का कोई लेना-देना नहीं है. इस बारे में गांबिया के प्रशासन और डीसीजीआई दोनों ने स्पष्टीकरण दिया है. लेकिन मोदी के प्रति नफरत में अंधी हो चुकी कांग्रेस भारत एवं उसकी उद्यमी भावना का मजाक बना रही है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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