ग़रीबी रेखा से नीचे वाले एचआईवी संक्रमितों को निशुल्क खाना व इलाज मुहैया कराए सरकार: हाईकोर्ट

एचआईवी/एड्स के साथ-साथ अन्य कई शारीरिक अक्षमताओं व बीमारियों से पीड़ित लोगों, जिन्हें परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया था और  जो निराश्रित हैं, द्वारा दायर एक जनहित याचिका सुनते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रभावित रोगियों की शिकायतों से निपटने वाले क़ानून का सख़्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे.

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(फोटो: पीटीआई)

एचआईवी/एड्स के साथ-साथ अन्य कई शारीरिक अक्षमताओं व बीमारियों से पीड़ित लोगों, जिन्हें परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया था और  जो निराश्रित हैं, द्वारा दायर एक जनहित याचिका सुनते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रभावित रोगियों की शिकायतों से निपटने वाले क़ानून का सख़्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के लिए निशुल्क भोजन और मेडिकल उपचार सुनिश्चित करे तथा प्रभावित रोगियों की शिकायतों से निपटने वाले कानून का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत एचआईवी/एड्स के साथ-साथ अन्य कई शारीरिक अक्षमताओं और बीमारियों से पीड़ित विभिन्न लोगों, जिन्हें उनके परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया था और जिनके पास कोई आश्रय नहीं था, द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

इसमें विभिन्न राहतों के साथ एचआईवी/एड्स रोगियों के लिए आवास, सुरक्षा, देखरेख, भोजन, गर्म पके हुए भोजन, 24 घंटे धर्मशाला, देखभाल करने वाले कर्मियों के साथ काउंसलिंग की भी मांग की गई, साथ ही केंद्र को निर्देश देने को कहा गया था कि वह खाद्य सुरक्षा, स्थायी आवास और गंभीर रूप से बीमार रोगियों के आश्रय के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी आवश्यक नीतियों और योजनाओं को लेकर निर्णय ले.

20 दिसंबर के आदेश के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि एचआईवी संक्रमित रोगियों को सहायता प्रदान करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किफायती उपचार सहित कई पुनर्वास योजनाएं और उपाय किए गए थे.

अदालत ने पाया कि वह (सरकार) ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के तहत सख्त अनुपालन सुनिश्चित कर रही है.

पीठ में जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल थे.

पीठ ने एक आदेश में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार 2017 के अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों के तहत सख्त अनुपालन सुनिश्चित कर रही है. इसके अलावा, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के लिए वहनीय उपचार उपलब्ध हो, खासकर जिनके पास ऐसा करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं.’

आदेश में कहा गया, ‘यह अदालत यह उल्लेख करना उपयुक्त समझती है कि सरकार 2017 के अधिनियम के तहत वैधानिक प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगी…सरकार को एचआईवी संक्रमित गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले उन मरीजों के लिए मुफ्त भोजन और चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है जो गरीबी के कारण अपना उपचार कराने में असमर्थ हैं.’

अदालत ने कहा कि इस याचिका पर कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है और याचिका को निस्तारित कर दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)