बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू; नीतीश ने कहा- केंद्र इसके लिए तैयार नहीं, राज्य करवा रहा है

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उप-जातियों को नहीं. बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है. नीतीश की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए.

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Patna: Enumerator staff receive information from residents during the first phase of much-hyped caste-based census in Bihar state, in Patna, Saturday, Jan 7, 2023. (PTI Photo) (PTI01_07_2023_000027B)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उप-जातियों को नहीं. बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है. नीतीश की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए.

बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को बहुचर्चित जाति-आधारित जनगणना के पहले चरण के दौरान लोगों से जानकारी प्राप्त करते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित जनगणना के बारे में कहा कि केंद्र सरकार के इसके लिए तैयार नहीं होने पर राज्य सरकार अपने स्तर पर यह कवायद करा रही है.

अपनी ‘समाधान यात्रा’ के क्रम में मुख्यमंत्री वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड अंतर्गत हरसेर गांव में मनोज पासवान के घर पहुंचे. पासवान के घर से वैशाली जिले में शनिवार को जाति आधारित जनगणना की शुरुआत की गई.

इस दौरान मुख्यमंत्री ने मनोज पासवान और जाति आधारित गणना करने वाले कर्मचारियों से बातचीत की.

बाद में पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, ‘जाति आधारित गणना का काम अच्छे से शुरू हो गया है. हमने जाकर खुद देखा है और गणनाकर्मियों को कहा है कि ठीक से सभी चीजों को नोट कीजिए. किसी व्यक्ति का अगर घर यहां है और वह राज्य के बाहर रहता है तो उसकी जानकारी भी लेकर नोट कीजिए सभी पार्टियों की सहमति से जाति आधारित गणना का काम शुरू हुआ है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उप-जातियों को नहीं.

नीतीश ने कहा कि सरकार एक त्रुटि मुक्त जाति जनगणना चाहती है और उन सभी को उचित प्रशिक्षण दिया गया जो गणना की देखरेख करेंगे. उदाहरण के लिए अगर कोई जाति के स्थान पर अपनी उप-जाति का उल्लेख करता है, तो इसे क्रॉस-चेक किया जाना चाहिए और सही किया जाना चाहिए. यही कारण है कि हमें गणनाकारों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार से भी हमने कहा था कि जाति आधारित गणना कराइए लेकिन वे लोग तैयार नहीं हुए, इसलिए हम अपने स्तर से इसे करवा रहे हैं. हमलोग जाति की गणना के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति का अध्ययन भी करवा रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि समाज में कितने लोग गरीब हैं और उनको कैसे आगे बढ़ाना है.’

मुख्यमंत्री ने कहा कि गणना पूरी होने पर रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी और उसमें जो भी आंकड़े सामने आएंगे उनके आधार पर आगे काम होगा. उन्होंने कहा कि गणना रिपोर्ट की एक प्रति केंद्र को भी भेजी जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार की जिम्मेदारी पूरे देश को विकसित करने की है. अगर कोई राज्य पीछे है तो उसको आगे बढ़ाना भी केंद्र सरकार का काम है.’

उन्होंने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘जाति आधारित गणना लोगों की तरक्की और उनके आर्थिक विकास के लिए जरूरी है. जाति आधारित गणना शुरू हो गई है. सभी जाति-धर्म के लोगों की स्थिति अच्छी होगी तभी राज्य आगे बढ़ेगा. सभी राज्य विकसित होंगे तभी देश विकसित होगा.’

इससे पहले बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने कहा था कि जाति-आधारित गणना सभी के लिए फायदेमंद होगा. यह सरकार को वंचितों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के विकास के लिए काम करने में सक्षम करेगा.

‘समाधान यात्रा’ में मुख्यमंत्री के साथ शामिल उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शनिवार सुबह पटना में पत्रकारों से कहा था, ‘यह बिहार में महागठबंधन सरकार द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है. एक बार अभ्यास पूरा हो जाने के बाद यह वंचितों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लाभ के लिए कार्य करने के लिए राज्य सरकार को वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा.’

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव ने कहा, ‘भाजपा को छोड़कर महागठबंधन सरकार के सभी गठबंधन सहयोगी इस कवायद के पक्ष में थे. भाजपा, जो एक गरीब विरोधी पार्टी है, हमेशा इस कवायद के बारे में आलोचनात्मक थी और यही कारण है कि वे शुरू से ही जाति-आधारित गणना का विरोध करती रही है.’

बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए.

पटना में जाति-आधारित जनगणना के पहले चरण के दौरान डेटा रिकॉर्ड करने वाले कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर अभ्यास करने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा को कभी संकलित कर रिपोर्ट का रूप नहीं दिया गया.

वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर बिहार सरकार ने यह कवायद शुरू की है.

इस बीच, राज्य में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित गणना के तहत पटना में भी यह कवायद शुरू हो गई है.

पूरा अभ्यास दो चरणों में होगा. 21 जनवरी को समाप्त होने वाले प्रथम चरण में जिले के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी. दूसरे चरण में मार्च से सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा.

पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को बताया, ‘जनगणना करने वाले सभी कर्मचारी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज करेंगे. मैंने सुबह पटना में बिस्कोमान भवन के पास बैंक रोड क्षेत्र में राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे अभ्यास का भी निरीक्षण किया.’

उन्होंने कहा, ‘सर्वे के हिस्से के रूप में पंचायत से जिला स्तर तक डेटा को एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा. ऐप में स्थान, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनके पेशे और वार्षिक आय के बारे में प्रश्न होंगे. जनगणना करने वालों में शिक्षक, आंगनबाड़ी, मनरेगा या जीविका कार्यकर्ता शामिल हैं.’

उन्होंने कहा कि अभ्यास बहुत सुचारू रूप से आयोजित किया जा रहा है. पटना जिले के सभी 12,696 प्रखंडों में यह अभ्यास किया जा रहा है. यह अभ्यास मई, 2023 तक पूरा हो जाएगा. पहले अभ्यास फरवरी 2023 तक पूरा किया जाना था.

राज्य सरकार इस अभ्यास के लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. सर्वेक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल प्राधिकारी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)