एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि देश के न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) में सदस्य के रूप में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने बुधवार को मौखिक तौर पर कहा कि देश के न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) में सदस्य के रूप में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस कौल ने कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि एक कहावत है कि यह (ट्रिब्यूनल) सेवानिवृत्त नौकरशाहों और न्यायाधीशों के लिए पनाहगाह बन गए हैं. न्यायाधिकरणों में विशेषज्ञ होने चाहिए. उदाहरण के लिए, कर न्यायधिकरणों में आप विशेषज्ञों को चुनते हैं. इसी तरह, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण में भी होता है. न्यायाधीशों और सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों के बीच एक संतुलन है. कुल मिलाकर यह प्रभावी रहा है. लेकिन आज हमारे पास बहुत सारे ट्रिब्यूनल हैं.’
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि आयकर ट्रिब्यूनल और सीईएसटीएटी सबसे अच्छा काम करते हैं.
रोहतगी ने कहा, ‘हर ट्रिब्यूनल के खिलाफ एक वैधानिक अपील सुप्रीम कोर्ट में आती है. यह सुप्रीम कोर्ट को अवरुद्ध कर देगी. एक बिजली संबंधी अपील भी सुप्रीम कोर्ट आती है.’
एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा, ‘ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. ट्रिब्यूनल को पहली अपील सुप्रीम कोर्ट में नहीं करना चाहिए.’
जस्टिस कौल ने कहा, ‘विशेष न्यायाधिकरणों से कुछ मामले जब शीर्ष अदालत में पहुंचते हैं, तो इसमें बहुत समय लगता है.’
यह चर्चा तब हुई जब जस्टिस कौल और एएस ओका की पीठ राधापुरम विधानसभा क्षेत्र के लिए 2016 के चुनाव में वोटों की पुनर्गणना पर एक चुनाव याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका एक पूर्व विधायक इंबदुरई ने दायर की थी. मामले को बाद की तारीख पर विस्तृत सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया.
रोहतगी ने इसके बाद एक दिलचस्प विषय ‘रिटायर्ड जज सिंड्रोम’ पर बात की और यह कैसे समाप्त होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘पूरे सम्मान के साथ कहूंगा कि मुझे लगता है कि रिटायर्ड जज सिंड्रोम समाप्त होना चाहिए. आपके पास एक इलेक्ट्रीसिटी ट्रिब्यूनल है, तो वहां भी जज है. वे अपने जीवन में कभी भी बिजली संबंधी मामले से निपटे नहीं हैं. आप टीडीएसएटी में जाते हैं तो जज को (उस क्षेत्र में) कुछ खास नहीं पता होता. उसे समझने में ही एक साल लग जाता है कि यह क्या है.’