असम की भाजपा सरकार ने बीते 23 जनवरी को फैसला किया था कि बाल विवाह में शामिल लोगों को गिरफ़्तार करने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं. महिलाएं का कहना है कि केवल परिवार के पुरुषों को ही क्यों पकड़ा जा रहा है? हम और हमारे बच्चे कैसे जिएंगे? हमारे पास आय के साधन नहीं हैं.
गुवाहाटी/नई दिल्ली: असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ व्यापक मुहिम के तहत शुक्रवार को 2,044 लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों में ऐसे विवाह कराने वाले पंडित और मौलवी भी शामिल हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि ऐसे बाल विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा. पुलिस ने कहा कि उनके पास 8,000 आरोपियों की सूची है और यह अभियान जारी रहेगा.
वहीं, महिलाओं ने विभिन्न जिलों में इस कदम का यह कहते हुए विरोध भी किया कि उनके सामने आजीविका की समस्या हो जाएगी.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों को बताया कि राज्य भर में शुक्रवार सुबह से मुहिम शुरू की गई और यह अगले तीन से चार दिन तक जारी रहेगी.
राज्य मंत्रिमंडल ने 23 जनवरी को यह फैसला किया था कि बाल विवाह के ‘दोषियों’ को गिरफ्तार किया जाएगा और साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था, ‘यह हमारे शासन में प्राथमिकता होगी, ताकि पांच साल के भीतर हमारा राज्य बाल विवाह से मुक्त हो जाए. यह एक तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई होगी. यह किसी भी समुदाय के प्रति लक्षित नहीं होगी. हालांकि, धुबरी और दक्षिण सलमारा (जिलों) में (ऐसे विवाहों की) संख्या अधिक है, इसलिए वहां (कार्रवाई) अधिक हो सकती है. लेकिन अन्यथा यह राज्य भर में एक कार्रवाई है.’
बता दें कि धुबरी और दक्षिण सलमारा दोनों ही मुस्लिम बहुल जिले हैं.
पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा, ‘हमारे पास 8,000 नामजद अभियुक्तों की सूची है और अभी तक हमने केवल 2,044 लोगों को गिरफ्तार किया है. बाल विवाह के खिलाफ अभियान अगले तीन से चार दिनों तक जारी रहेगा.’
शुक्रवार शाम तक विश्वनाथ जिले में सबसे अधिक 137 गिरफ्तारियां की गई हैं. इसके बाद धुबरी में 126, बक्सा में 120, बारपेटा में 114 और कोकराझार में 96 गिरफ्तारियां हुई हैं.
राज्य मंत्रिमंडल ने हाल में फैसला किया था कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.
ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा. अगर लड़के की उम्र भी 14 साल से कम होगी तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा, क्योंकि नाबालिगों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता.
शर्मा ने राज्यव्यापी पुलिस कार्रवाई पर पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह की मौजूदगी में सभी पुलिस अधीक्षकों (एसपी) के साथ डिजिटल बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने लोगों से ‘इस कुरीति से मुक्ति’ के लिए सहयोग एवं समर्थन की अपील की.
महिलाएं अपने पतियों और बेटों की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरीं
इस बीच, महिलाएं अपने पतियों और बेटों की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरीं. मजुली जिले की 55 वर्षीय निरोदा डोले ने कहा, ‘केवल पुरुषों को ही क्यों पकड़ा जा रहा है? हम और हमारे बच्चे कैसे जिएंगे? हमारे पास आय के साधन नहीं हैं.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, धुबरी जिले की जहीरा बेगम ने कहा कि उनका 19 वर्षीय बेटा अपने साथ कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की को घर ले आया था, लेकिन अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी. लड़की के पिता ने पुलिस को इसकी सूचना दी और अब मेरे बेटे और पति दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
नाम न छापने की शर्त पर बारपेटा जिले की एक महिला ने कहा कि उसका बेटा एक नाबालिग लड़की के साथ भाग गया था. उसने गलती की, लेकिन मेरे बीमार पति को क्यों गिरफ्तार किया?
मोरीगांव की मोनोवारा खातून ने कहा, ‘मेरी बहू 17 साल की थी, जब उसकी शादी हुई थी. अब वह 19 साल की हो गई है और पांच महीने की गर्भवती है. उसकी देखभाल कौन करेगा?’
बाल विवाह के खिलाफ अभियान को अन्य लोगों द्वारा भी विरोध किया जा रहा है.
बाल विवाह के खिलाफ अभियान को एक स्वागत योग्य कदम बताते हुए कॉलेज छात्रा अनन्या बरुआ ने कहा, ‘लेकिन यह उन लोगों के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा करेगा जो पहले से ही शादीशुदा हैं और जिनके बच्चे हैं.’
ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एएएमएसयू) के अध्यक्ष रेजौल करीम सरकार ने दावा किया कि वे पिछले पांच वर्षों से अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए काम कर रहे थे और सरकार को कई ज्ञापन सौंपे थे, लेकिन अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
उन्होंने कहा कि सिर्फ लोगों को गिरफ्तार करने और पुलिस को केस दर्ज करने के लिए कहने से समस्या का समाधान नहीं होगा.
हाल में दर्ज बाल विवाह के 4,004 मामलों में सबसे अधिक धुबरी (370) में दर्ज किए गए हैं. इसके बाद ऐसे मामले होजई (255), उदलगुरी (235), मोरीगांव (224) और कोकराझार (204) में दर्ज किए गए हैं. वहीं, बराक घाटी के हैलाकांडी जिले में बाल विवाह का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया, जबकि दीमा हसाओ में 24 और कछार में 35 मामले दर्ज किए गए.
गिरफ्तारियां मुसलमानों को सताने के लिए हैं: अजमल
आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने बाल विवाह के खिलाफ व्यापक मुहिम के तहत असम पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारियों के लिए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर निशाना साधा और कहा कि यह कदम राज्य के मुसलमानों को सताने के लिए उठाया गया है.
असम के धुबरी से सांसद अजमल ने कहा, ‘हमारे मुख्यमंत्री साहब कभी-कभी अचानक ख्वाब देखते हैं कि बहुत दिन हो गया मैंने मुसलमानों को नहीं सताया. तो वह नींद से उठते हैं और शुरू कर देते हैं कि किन-किन योजनाओं से मुसलमानों को सता सकते हैं.’
अजमल ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 2007 में ही बाल विवाह को दंडनीय अपराध बनाया गया था, लेकिन सरकार (असम) ने इसे लेकर एक दिन के लिए भी कोई अभियान नहीं चलाया.
उन्होंने कहा, ‘अब सरकार गिरफ्तारी कर रही है. पता चलेगा कि इसमें 90 प्रतिशत लड़के-लड़कियां मुसलमान होंगे. ये एक तरफा गिरफ्तारी करेंगे, ये हमें मालूम है. इनका मिजाज मुसलमान विरोधी है.’
एआईयूडीएफ अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार को कम से कम पूरे असम में 30-40 दिन तक अभियान चलाना चाहिए था, मीडिया के जरिये लोगों को बताना था और जागरूकता फैलाना था.
उन्होंने कहा, ‘कम से कम लोगों को चेतावनी देते आप. उसके बाद फिर आप कार्रवाई करते. जिन लोगों की पहले शादियां हो चुकी हैं, उन लोगों का क्या करेंगे आप? ऐसे पकड़ते रहेंगे तो लाखों की संख्या में लोग गिरफ्तार हो जाएंगे. ये तो गलत बात है.’
उन्होंने कहा, ‘एक तारीख तय करते. कोई वार्निंग नहीं, कोई अभियान नहीं. सिर्फ इसलिए कि मुसलमानों को सताना है, वो करेंगे.’ अजमल ने कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी के वह स्वयं सख्त विरोधी हैं और अपने संसदीय क्षेत्र में इसे लेकर अभियान भी चलाते रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)