मणिपुर: डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बाद सरकारी अस्पताल बंद, स्वास्थ्य सेवाएं ठप

ऑल-मणिपुर हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार द्वारा पदोन्नति, रिटायरमेंट की उम्र समेत उनकी चार सूत्रीय मांग न मानने को लेकर अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है. चिकित्सकों की हड़ताल के कारण राज्य भर में सैकड़ों मरीज़ों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.  

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(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

ऑल-मणिपुर हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार द्वारा पदोन्नति, रिटायरमेंट की उम्र समेत उनकी चार सूत्रीय मांग न मानने को लेकर अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है. चिकित्सकों की हड़ताल के कारण राज्य भर में सैकड़ों मरीज़ों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

इंफाल: ऑल-मणिपुर हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर्स एसोसिएशन (एएमएचएसडीए) ने अपनी मांगों को पूरा करने में राज्य सरकार की विफलता के विरोध में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया. मणिपुर में सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को मंगलवार से बंद कर दिया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एएमएचएसडीए के महासचिव डॉ. लोली पी माओ ने एक बयान में कहा कि बार-बार अपील करने और मंत्रिमंडल की बैठकों में उनके मुद्दों पर चर्चा करने के आश्वासन के बावजूद आज तक एक भी मांग नहीं मानी गई है. हाल के दिनों में अब तक दो या तीन कैबिनेट बैठकें हो चुकी हैं लेकिन एएमएचएसडीए की किसी भी मांग पर चर्चा नहीं हुई.

एएमएचएसडीए ने अपने बयान में कहा कि हाल ही में 3 फरवरी, 2023 को संपन्न हुए विधानसभा सत्र में एएमएचएसडीए की चार मांगों को बेतरतीब ढंग से पेश किया गया और जनता को गुमराह करते हुए गलत व्याख्या की गई. चूंकि सरकार उन्हें गंभीरता से नहीं ले रही है और मांगों की उपेक्षा कर रही है, इसलिए एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाने का फैसला किया.

उनके चार मांगों में समयबद्ध/समयमान पदोन्नति, प्रशासनिक पद के रूप में डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को 65 वर्ष तक बढ़ाना, 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) और पुराने एमएचएस नियम-1982 में प्रमुख संशोधन शामिल हैं.

एएमएचएसडीए ने कहा कि मणिपुर की जनसंख्या 1982 में लगभग 15 लाख थी, राज्य की जनगणना के आंकड़ों और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रति 1,000 लोगों के लिए एक डॉक्टर होना चाहिए. हालांकि, राज्य में डॉक्टरों की वर्तमान संख्या 1,300 से 1,400 है, जो 30 लाख से अधिक की आबादी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित संख्या से काफी कम है. डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिए मणिपुर में 3,000 डॉक्टर होने चाहिए.

जनवरी में एसोसिएशन ने विरोध के रूप में सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाओं को बंद करदी थीं और घोषणा की थी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वह अनिश्चितकालीन बंद शुरू करेगी.

नॉर्थईस्ट नाउ के मुताबिक, डॉक्टरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण सैकड़ों मरीजों को राज्य भर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों के आंदोलन से परेशान मरीजों ने कहा कि इससे पहले कि स्थिति गंभीर हो, सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाना चाहिए.

हड़ताल से जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं.