सांसद ने विदेश मंत्री से पूछा- क्या अडानी के बांग्लादेश बिजली समझौते में प्रधानमंत्री शामिल थे

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर सवाल किया है कि क्या बांग्लादेश के साथ अडानी समूह द्वारा किए गए एक बिजली समझौते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी.

/
S. Jaishankar, Narendra Modi, Gautam Adani and Jawhar Sircar. Photos: Official Twitter accounts of all four.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर सवाल किया है कि क्या बांग्लादेश के साथ अडानी समूह द्वारा किए गए एक बिजली समझौते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी.

(बाएं से दाएं) विदेश मंत्री एस. जयशंकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उद्योगपति गौतम अडानी और तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार. (फोटो साभार: चारों के ट्विटर एकाउंट)

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद जवाहर सरकार ने तीन बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह बताएं कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश और अडानी समूह के बीच कोयला आधारित आपूर्ति के बिजली खरीद समझौते का ‘स्वयं संचालन’ कर रहे थे.

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने ये पत्र उन मीडिया रिपोर्ट्स को देखते हुए लिखे हैं जिनमें बांग्लादेश के अधिकारियों ने समझौते के बारे में ‘बेचैनी व्यक्त‘ की है. तबसे अडानी समूह शेयरों में हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोपों में घिरा हुआ है.

जवाहर सरकार ने उनके इन पत्रों में इस ‘स्पष्ट रूप से अनुचित बिजली खरीद समझौते (पीपीए- पावर परचेज़ एग्रीमेंट)’ और बांग्लादेश में ‘व्यापक भारत विरोधी विचार’ पैदा करने की क्षमता पर भी टिप्पणी की है.

द वायर  से बात करते हुए जवाहर सरकार ने कहा कि उन पत्रों में से किसी का भी कोई जवाब नहीं आया है और उन्होंने मंत्री को ‘उचित मौका’ देने के बाद ही इन्हें सार्वजनिक करने का फैसला किया है.

सांसद ने पहली बार दिसंबर माह में पत्र लिखा

13 दिसंबर 2022 को इस विषय पर भेजे गए अपने पहले पत्र में जवाहर सरकार ने वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का जिक्र किया था और उसके हवाले से कहा था कि जून 2015 में ढाका यात्रा के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा 4.5 अरब डॉलर के सौदे के लिए विशेष प्रयास किए गए थे, जिस पर भारत ने बांग्लादेश को बिजली बेचने के लिए हस्ताक्षर किए थे.

राज्यसभा सांसद ने कहा था कि ‘रिपोर्ट में झारखंड के गोड्डा जिले में अडानी समूह के 1.7 बिलियन डॉलर के 1,600 मेगावॉट के कोयला संचालित संयंत्र और कैसे वॉशिंगटन पोस्ट ने 163 पृष्ठों के बिजली खरीद समझौते को जांचा और इसकी पड़ताल की, इसका उल्लेख है.’

उन्होंने आगे विदेश मंत्री के संज्ञान में लाया था कि रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपीए ‘आदेश देता है कि बांग्लादेश को अडानी को क्षमता और रखरखाव शुल्क के रूप में करीब 450 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष देने होंगे- फिर चाहे इससे बिजली उत्पन्न हो या न हो. इसमें आगे उल्लेख है कि बांग्लादेश अधिकतम मांग की तुलना में 40 फीसदी अधिक बिजली उत्पादन होता है और उसे अडानी की बिजली देश में थोक बिजली के बाजार मूल्य से पांच गुना से अधिक पर खरीदनी होगी.’

‘मजबूत होते भारत विरोधी तत्व’

टीएमसी सांसद ने आगे इस बारे में चिंता जताई थी कि इससे पड़ोसी देश में भारत विरोधी तत्व मजबूत हो सकते हैं और इशारा किया था ‘बांग्लादेश के साथ भारत का रिश्ता बेहद संवेदनशील है और चुनाव के समय इस तरह की प्रतिकूल रिपोर्ट्स आंदोलन का कारक होती हैं.’

उन्होंने विदेश मंत्री से जवाब का भी आग्रह किया था. लेकिन जवाब न मिलने पर सरकार ने 31 जनवरी 2023 को जयशंकर को एक और पत्र लिखा. अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाए जाने के तुरंत बाद ऐसा किया गया था.

जब इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो जवाहर सरकार ने 13 फरवरी को विदेश मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि ‘कोई जवाब नहीं आया है.’

उन्होंने यह भी लिखा कि ‘अडानी से संबंधित मामला जनता की नज़रों में हैं और बांग्लादेश के साथ उनके स्पष्ट तौर पर अनुचित पीपीए का यह पहलू एक बड़ा भारत विरोधी माहौल खड़ा कर सकता है.’

‘दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री ने सौदे का संचालन किया’

सांसद ने कहा, ‘ऐसी चीजें और दस्तावेज हैं जो इंगित करते हैं कि प्रधानमंत्री चुनाव के बाद अपनी पहली ढाका यात्रा से इस सौदे/परियोजना को स्वयं संचालित कर रहे थे.’

उन्होंने आगे कहा कि बाद के चरण में विदेश मंत्री ‘इस अडानी सौदे को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे.’

मंत्री से इस मामले पर टिप्पणी करने का आग्रह करते हुए जवाहर सरकार ने कहा, ‘हमें आधिकारिक पक्ष जानने की जरूरत है कि क्या यह स्पष्ट-अनुचित सौदा, जिसके कारण बांग्लादेश में असंतोष पैदा हुआ, भारत द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित था या नहीं’ और क्या ‘विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के साथ संबंधों की कीमत पर अडानी की मुनाफाखोरी में हस्तक्षेप नहीं किया था.’

बांग्लादेश द्वारा पुन: विचार की मांग के बाद विदेश मंत्रालय ने ख़ुद को सौदे से दूर कर लिया

बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) द्वारा इस महीने की शुरुआत में गोड्डा स्थित अडानी पावर लिमिटेड के 1,600 मेगावाट के प्लांट से बिजली खरीदने के 2017 के समझौते पर पुनर्विचार की मांग के बाद केंद्र सरकार ने खुद को इस सौदे से अलग कर लिया था.

मामले के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पत्रकारों से कहा था, ‘मैं समझता हूं कि आप एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच एक सौदे का जिक्र कर रहे हैं.’

मामले में सरकार की स्थिति बताने के लिए दबाव डाले जाने पर उन्होंने कहा था, ‘मुझे नहीं लगता कि हम इसमें शामिल हैं.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq