दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘अग्निपथ’ के ख़िलाफ़ सभी याचिकाएं ख़ारिज कीं, कहा- राष्ट्रहित में लाई गई योजना

सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसे योजना में दख़ल देने की कोई वजह नहीं दिखती.

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17 जून 2022 को धनबाद में अग्निपथ योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक पर बैठे युवा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसे योजना में दख़ल देने की कोई वजह नहीं दिखती.

17 जून 2022 को धनबाद में अग्निपथ योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक पर बैठे युवा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि इसे ‘राष्ट्रहित’ में लाया गया था.

लाइव लॉ के अनुसार, चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली डिवीज़न बेंच, जिसमें जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल थे, ने कहा कि अदालत को योजना में दखल देने की कोई वजह नहीं दिखती है.

गौरतलब है कि ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा 14 2022जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने का प्रावधान है.

इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को एक साल के लिए बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.

जून महीने में योजना लागू होने के तुरंत बाद इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए था, जिसके बाद देश के सैन्य नेतृत्व ने बीते 19 जून को घोषणा की थी कि नई भर्ती योजना के लिए आवेदकों को इस प्रतिज्ञा के साथ एक शपथ-पत्र देना होगा कि उन्होंने किसी भी विरोध, आगजनी या आंदोलन में भाग नहीं लिया है.

बार एंड बेंच के अनुसार, अब हाईकोर्ट ने कहा, ‘इस अदालत को योजना में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती है. सभी याचिकाएं ख़ारिज की जाती हैं. हमारा निष्कर्ष है कि यह योजना राष्ट्रहित में लाई गई है.’

मालूम हो कि योजना के खिलाफ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. इन सभी को ख़ारिज कर दिया गया है.

अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण, अंकुर छिब्बर, कुमुद लता दास, हर्ष अजय सिंह व अन्य पेश हुए थे.

योजना के खिलाफ कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया था, हालांकि शीर्ष अदालत ने उन सभी जनहित याचिकाओं को 19 जुलाई 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड हाईकोर्ट से भी इस योजना के खिलाफ उनके यहां दायर सभी जनहित याचिकाओं को या तो दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने या फिर उन पर तब तक फैसला निलंबित रखने को कहा था, जब तक दिल्ली हाईकोर्ट अपना निर्णय नहीं कर लेता.

इसके बाद 25 अगस्त 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ ने योजना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से इस बारे में जवाब दाखिल करने को कहा था.