सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने के 21 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी. हरियाणा सरकार ने अदालत में स्पष्ट किया है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख खूंखार क़ैदी नहीं है और हत्या के दो अलग-अलग मामलों में उसकी सज़ा को सीरियल किलिंग नहीं कहा जा सकता.
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह खूंखार कैदी नहीं है और हत्या के दो अलग-अलग मामलों में उसकी सजा को सीरियल किलिंग नहीं कहा जा सकता.
राज्य सरकार के मुताबिक, गुरमीत हमलावर नहीं था और उसने दोनों मामलों में वास्तविक हत्याओं को अंजाम नहीं दिया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सरकार ने कहा, ‘उन्हें (गुरमीत राम रहीम) इन हत्याओं के सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया है. उन्हें केवल धारा 120बी की सहायता से आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडित किया गया है. धारा 120बी एक स्वतंत्र अपराध है.’
राज्य सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपे गए अपने विस्तृत जवाब में दावा किया कि इस धारा के तहत आरोप स्वतंत्र रूप से तय किए जाते हैं और सजा के मामले में इस धारा की सजा को वास्तविक अपराध के साथ पढ़ा जाना चाहिए.
गुरमीत वर्तमान में बलात्कार के दो मामलों में 10-10 साल की सजा और पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह और पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के दो अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. वह चार और आपराधिक मामलों का भी सामना कर रहा है, जिनमें एक सीबीआई मामला – अपने शिष्यों के नसबंदी कराने से संबंधित है और पंजाब में बेअदबी के तीन अन्य मामले हैं.
हरियाणा सरकार के 21 जनवरी के आदेश को चुनौती देते हुए सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में सुनारिया जेल रोहतक के अधीक्षक सुनील सांगवान के माध्यम से राज्य के अधिकारियों द्वारा जवाब दायर किया गया है.
जेल अधीक्षक ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में डेरा प्रमुख को फर्लो पर अस्थायी रिहाई देने के आदेश को पहले ही बरकरार रखा था.
पैरोल को सही ठहराते हुए हरियाणा सरकार ने कहा है कि इस तरह के प्रावधानों (पैरोल) का मुख्य उद्देश्य कैदियों को उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं को हल करने का अवसर प्रदान करना है और उन्हें समाज के साथ अपने संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाना है और इसे पुनर्वास उपाय के रूप में भी माना जाता है.
सरकार के मुताबिक, डेरा प्रमुख पहले ही शांतिपूर्वक तीन अलग-अलग मौकों पर पैरोल और फर्लो पर अस्थायी रिहाई का लाभ उठा चुके हैं और उस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी.
राज्य सरकार ने यह भी दावा किया है कि लगभग 1,000 और दोषियों को इसी तरह के प्रावधान के तहत पैरोल/फर्लो दिया गया है, लेकिन याचिकाकर्ता (एसजीपीसी) ने केवल प्रचार हासिल करने के लिए डेरा प्रमुख को पैरोल देने को चुनौती दी है.
मालूम हो कि बीते 21 जनवरी को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 40 दिन की पैरोल (अस्थायी जमानत) दी गई थी. तीन महीने में यह उन्हें मिली दूसरी पैरोल थी.
इससे पहले अक्टूबर 2022 में बलात्कार के आरोप में हरियाणा में रोहतक की सुनारिया जेल में कारावास की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 40 दिन का पैरोल मिली थी. यह कदम राज्य के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले उठाया गया था.
अक्टूबर-नवंबर 2022 में अपनी पैरोल अवधि के दौरान 55 वर्षीय राम रहीम ने यूपी के बरनावा आश्रम में कई ऑनलाइन सत्संग आयोजित किए थे. इनमें से कुछ में हरियाणा के भाजपा नेता भी शामिल हुए थे.
इससे पहले डेरा प्रमुख को जून 2022 में एक महीने की पैरोल पर रिहा किया गया था और फरवरी 2022 में उसकी तीन सप्ताह की फर्लो (एक प्रकार की छुट्टी) मंजूर की गई थी. इस दौरान उसे परिवार के सदस्यों के अलावा किसी से मिलने नहीं दिया गया था. उसकी 21 दिन की रिहाई के दौरान उसे जेड प्लस सुरक्षा भी दी गई थी.
राम रहीम को 21 दिनों की यह छुट्टी पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मिली थी. पंजाब खासकर बठिंडा, संगरूर, पटियाला और मुक्तसर में इस पंथ के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.
गौरतलब है कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त, 2017 में सिरसा में अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई थी. सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है.
उसे पंचकूला में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था. यह फैसला आने के बाद राम रहीम के समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें 30 से अधिक लोग मारे गए थे और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
16 साल पुराने इस मामले में अदालत ने गुरमीत राम रहीम के साथ ही तीन अन्य दोषियों कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
इसके अलावा एक अन्य मामले में आरोप था कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के खानपुर कोलियान गांव के निवासी डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई 2002 को उस समय कर दी गई, जब वह गांव के अपने खेतों में काम कर रहे थे.
जांच के बाद सीबीआई ने 2007 में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था और 2008 में आरोप तय किए गए थे. 8 अक्टूबर, 2021 को अदालत ने रहीम और चार अन्य को रंजीत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था.