फैक्ट-चेक: दैनिक भास्कर, टाइम्स नाउ नवभारत और टीवी 9 भारतवर्ष ने बिहार के जमुई के एक शख़्स पवन यादव की मौत को तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर हो रहे कथित हमलों से जोड़ा, साथ ही पुलिस के इसे आपसी झगड़ा बताए जाने के बयान को झूठा बताया. हालांकि, बाद में दैनिक भास्कर की वेबसाइट से यह ख़बर डिलीट कर दी गई.
नई दिल्ली: बीते सप्ताह कई मीडिया संस्थानों ने ख़बर चलाई कि तमिलनाडु में हिंदी भाषी उत्तर भारतीय, खासकर बिहार से आने वाले मजदूरों पर हमले हुए हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें दावा किया गया था कि तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर हमले किए गए हैं, हालांकि तमिलनाडु पुलिस ने वीडियो को झूठा और शरारतपूर्ण क़रार दिया था.
इसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर, ‘तनवीर पोस्ट’ (मोहम्मद तनवीर) नाम के एक ट्विटर हैंडल और भाजपा प्रवक्ता प्रशांत पटेल उमराव के खिलाफ राज्य में प्रवासी मजदूरों पर हमले के बारे में गलत सूचना फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया है.
अब ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में सामने आया है कि कुछ हिंदी मीडिया संस्थानों द्वारा बिहार के दो निवासियों- पवन यादव और मोनू दास की मौत की खबर तमिलनाडु में श्रमिकों पर हुए हमलों की अफवाह से जोड़ते हुए प्रसारित की गई.
ऑल्ट न्यूज़ ने बताया कि बीते सप्ताह साझा हो रहे ‘श्रमिकों पर कथित हमलों’ के दावों में बिहार के जमुई के रहने वाले पवन यादव की मौत का जिक्र भी था. इसे लेकर शुक्रवार (3 मार्च) को ‘दैनिक भास्कर ने अपने पटना संस्करण के पहले पन्ने पर रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया था कि ’19 फरवरी को स्थानीय अज्ञात अपराधियों ने पवन यादव पर तेज धारदार हथियार से हमला कर उनकी हत्या कर दी. रिपोर्ट में मृतक पवन यादव के भाई नीरज के हवाले से कहा गया कि पोस्टमॉर्टम कराने के बाद पुलिस ने उन्हें शव को वहीं जलाने को कहा और कहा कि वहां जाकर केस मत करना.’
तमिलनाडु पुलिस द्वारा इस घटना को कोई हमला नहीं बल्कि आपसी मामला बताया था, हालांकि अख़बार ने दावा किया कि यह ‘झूठ’ है. हालांकि, बाद में दैनिक भास्कर की वेबसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया गया, जिसके आर्काइव लिंक को यहां पढ़ा जा सकता है.
इसी तरह टाइम्स नाउ नवभारत ने एक वीडियो रिपोर्ट में पवन यादव के भाई नीरज कुमार के बयान को ‘तमिलनाडु में बिहारी श्रमिकों’ पर हुआ हमला बताया. टीवी9 भारतवर्ष की एक वीडियो रिपोर्ट में भी यही दावा किया गया.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में जमुई के सिकंदरा के मोनू दास की मौत का उल्लेख था. खबर कहा गया था कि ’25 फरवरी को भी तमिलनाडु में रहने वाले सिकंदरा निवासी मोनू दास की कमरे में फंदे से लटका हुआ शव बरामद किया गया था, जिसको लेकर उसके भाई और पिता ने हत्या कर शव को टांगने की बात बताई थी.’
नवभारत टाइम्स में भी इस बारे में एक खबर प्रकाशित हुई थी.
फैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने पवन यादव की मौत को लेकर तमिलनाडु पुलिस से बात की है, जिसने कहा कि पवन की हत्या का कारण आपसी झगड़ा है. मामले में आरोपी उपेंद्र धारी तमिलनाडु का नहीं बल्कि झारखंड का है जो मृतक के कमरे के पास रहता था.
पुलिस ने एफआईआर की प्रति भी साझा की है, जो पवन के भाई नीरज कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई है. एफआईआर के मुताबिक, झारखंड के रहने वाले उपेंद्र धारी नाम के व्यक्ति को उनकी पत्नी और पवन यादव के बीच संबंध होने का संदेह था, जिसको लेकर धारी का अक्सर पत्नी और पवन से झगड़ा होता था. 19 फरवरी की रात धारी ने पवन यादव पर हमला किया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
ऑल्ट न्यूज़ ने नीरज कुमार से भी बात की, जिन्होंने बताया कि उपेंद्र धारी की पत्नी और पवन के बीच संबंध वाली बात में कोई सच्चाई नहीं थी, लेकिन इसी शक की वजह से धारी ने पवन की हत्या कर दी. इस मामले में तमिल और बिहार के श्रमिकों वाले झगड़े का कोई संबंध नहीं है.
नीरज कुमार यही बात News4Nation को दिए एक इंटरव्यू में भी दोहराते देखे जा सकते हैं. इस इंटरव्यू में पवन के एक और भाई भाई बलीराज भी कहते हैं कि उनके भाई की हत्या के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और आरोपी उपेंद्र धारी को गिरफ्तार कर लिया है.
तिरुपुर के डीसीपी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पवन यादव की हत्या का मामला आपसी झगड़े का है. आरोपी उपेंद्र धारी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसने अपना अपराध स्वीकार किया है. फिलहाल उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
इसी तरह मोनू दास की मौत के मामले में तमिलनाडु के कृष्णागिरी ज़िले के पुलिस अधीक्षक ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि ये हत्या नहीं बल्कि आत्महत्या का मामला है.
मोनू के दो भाइयों ने बयान दिया है कि घटना के दिन जब काम से लौटे और दरवाजा खटखटाया तब अंदर मौजूद मोनू ने दरवाजा नहीं खोला. खिड़की से झांकने पर उन्हें दिखा कि मोनू ने तौलिए का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने मकान मालिक को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस पहुंची.
ऑल्ट न्यूज़ का कहना है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रतिष्ठानों ने घटना को वेरीफाई किए बिना, पुलिस की जांच का पक्ष जाने बगैर पवन यादव की हत्या को बिहार के मजदूरों पर हुए कथित हमले से जोड़ा और मोनू दास की आत्महत्या को हत्या बताकर प्रसारित किया.