जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में एक भी फ़र्ज़ी भर्ती साबित कर दें तो पद छोड़ दूंगा: एलजी

जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए ब्लैकलिस्टेड कंपनी ‘एप्टेक लिमिटेड’ को नियुक्त करने के प्रशासन के फैसले को लेकर उपराज्यपाल की आलोचना की जा रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह सरकार लोगों के मुद्दों को हल करने की कोशिश नहीं कर रही है. हम इस बात की जांच चाहते हैं कि एप्टेक को कौन लाया और धोखाधड़ी कहां हुई.

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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक/@OfficeOfLGJandK)

जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए ब्लैकलिस्टेड कंपनी ‘एप्टेक लिमिटेड’ को नियुक्त करने के प्रशासन के फैसले को लेकर उपराज्यपाल की आलोचना की जा रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह सरकार लोगों के मुद्दों को हल करने की कोशिश नहीं कर रही है. हम इस बात की जांच चाहते हैं कि एप्टेक को कौन लाया और धोखाधड़ी कहां हुई.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक/@OfficeOfLGJandK)

नई दिल्ली: उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष थी और अगर कोई इसे गलत साबित करता है तो वह इस्तीफा दे देंगे.

एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा के परिणाम अंतिम उम्मीदवार के साक्षात्कार के तीन घंटे के भीतर घोषित कर दिए गए. इसके बाद से चयन पर सवाल उठ रहे हैं.

जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए पूर्व में ब्लैकलिस्ट की गई कंपनी ‘एप्टेक लिमिटेड’ को नियुक्त करने के सरकार के फैसले की आलोचना के बीच उपराज्यपाल की यह टिप्पणी आई है.

सिन्हा ने कहा, ‘अगर कोई आरोप लगाता है कि एक भी फर्जी भर्ती की गई है, तो मैं अगले ही मिनट जम्मू कश्मीर छोड़ दूंगा.’

सिन्हा ने श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन के उद्घाटन के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जहां भी शिकायतें मिली हैं, देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा जांच कराने के आदेश दे दिए गए हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, भले ही वह शक्तिशाली हो. देश के कानून और संविधान के अनुसार उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी.’

कई सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी और राजनेताओं द्वारा आलोचना का उल्लेख करते हुए सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के चलते 47 लोगों को बर्खास्त किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने चोर दरवाजे से डेढ़ लाख लोगों की भर्ती की, उन्हें सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्हें आत्मनिरीक्षण करने दें.’ साथ ही उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन किसी के दबाव में कोई गलत निर्णय नहीं लेगा.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग, जिन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त होकर बड़ी संपत्ति अर्जित की है, केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति कर लगाने का विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘कर का पैसा, जो लोगों का है, लोगों के लाभ के लिए उपयोग किया जाएगा. यह केंद्र शासित प्रदेश के समेकित कोष में नहीं, बल्कि स्थानीय निकायों के खातों में जमा किया जाएगा.’

उन्होंने पूछा, ‘लेकिन कुछ लोग हल्ला मचाते हैं. किसी ने कहा कि गांवों में भी टैक्स लगाया जाएगा. उनमें से कुछ जिम्मेदार पदों पर हैं. गांवों में नगर निगम का टैक्स कैसे लगाया जा सकता है?’

सिन्हा ने यह भी कहा कि धार्मिक स्थलों पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है, ‘यह सरकार लोगों के मुद्दों को हल करने की कोशिश नहीं कर रही है. हम इस बात की जांच चाहते हैं कि एप्टेक को यहां कौन लाया और कहां धोखाधड़ी हुई. युवाओं को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा.’

भर्ती प्रक्रिया पर मनोज सिन्हा द्वारा नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की आलोचना पर उन्होंने क​हा, ‘कोई भी इस बात की वकालत नहीं कर रहा है कि आतंकवादियों को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए, लेकिन यह भी गलत है कि किसी को सिर्फ इसलिए दंडित किया जाए, क्योंकि उनका एक आतंकवादी से संबंध होने का दुर्भाग्य है. यह लोगों के दिल और दिमाग को जीतने का तरीका नहीं है. और यह ऐसा कुछ नहीं है जिसका हम कभी समर्थन करेंगे.’

मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में ब्लैकलिस्ट कंपनी एप्टेक लिमि​टेड को जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड के लिए भर्ती परीक्षा कराने का ठेका देने का विरोध जताने के लिए तमाम युवा जम्मू समेत विभिन्न जगहों पर सड़क पर उतरे थे, जब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर हिरासत में ले लिया था.

कंपनी को देश के कई राज्यों द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है. यहां तक कि अदालत ने भर्ती परीक्षा में कथित धोखाधड़ी और हेरफेर के लिए उस पर जुर्माना भी लगाया था.

जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड 2019 के बाद से आयोजित चार प्रमुख चयन प्रक्रियाओं में अनियमितताओं के आरोप और चयन सूचियों को रद्द करने के मामले सामने आने के बाद विश्वसनीयता के संकट से गुजर रहा है.

इसके अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पिछले साल हुई सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने के आरोपों की पहले से ही जांच कर रही है.

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