मेघालय: राज्यपाल के हिंदी में भाषण देने पर विपक्षी विधायकों ने सदन छोड़ा

मेघालय विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्यपाल फागू चौहान के हिंदी में अभिभाषण के विरोध में विपक्षी दल वॉइस ऑफ पीपुल्स पार्टी के चार विधायक सदन छोड़कर चले गए. उन्होंने कहा कि यह जनता की भावनाओं के ख़िलाफ़ है और वे राज्यपाल के उन्हें समझ में न आने वाली भाषा में भाषण देने की निंदा करते हैं.

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बजट सत्र के दौरान मेघालय विधानसभा में राज्यपाल फागू चौहान और वीपीपी प्रमुख और नोंगक्रेम से विधायक एरदेंत मिलर बसवमोट. (स्क्रीनग्रैब साभार: ईस्टमोजो)

मेघालय विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्यपाल फागू चौहान के हिंदी में अभिभाषण के विरोध में विपक्षी दल वॉइस ऑफ पीपुल्स पार्टी के चार विधायक सदन छोड़कर चले गए. उन्होंने कहा कि यह जनता की भावनाओं के ख़िलाफ़ है और वे राज्यपाल के उन्हें समझ में न आने वाली भाषा में भाषण देने की निंदा करते हैं.

बजट सत्र के दौरान मेघालय विधानसभा में राज्यपाल फागू चौहान और वीपीपी प्रमुख और विधायक एरदेंत मिलर बसवमोट. (स्क्रीनग्रैब साभार: ईस्टमोजो)

नई दिल्ली: सोमवार (20 मार्च) को मेघालय विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन था, जब राज्यपाल फागू चौहान के हिंदी में अभिभाषण के विरोध में चार विधायक सदन छोड़कर बाहर निकल गए.

राज्य की चार प्रमुख भाषाएं खासी, गारो, जैंतिया और अंग्रेजी हैं. राज्य की अधिकांश आबादी हिंदी समझ नहीं पाती है.

राज्यपाल के भाषण का विरोध करने के वाले विधायक विपक्षी वॉइस ऑफ पीपुल्स पार्टी (वीपीपी) के थे. विधानसभा की वीडियो फुटेज दिखाती है कि जैसे ही राज्यपाल अपना भाषण शुरू करते हैं, वैसे ही वीपीपी प्रमुख और नोंगक्रेम से विधायक एरदेंत मिलर बसवमोट इस पर आपत्ति जताते हैं. वे कहते हैं कि मेघालय हिंदी भाषी राज्य नहीं है और राज्य के लोगों ने असम से अलग होने का फैसला मुख्य रूप से भाषा के मसले के चलते ही लिया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ‘उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र ने मेघालय की खासी और गारो भाषाओं को आठवीं अनुसूची (संविधान की) में शामिल करने की  मांग पर ध्यान नहीं दिया. इसलिए सर, मैं आपसे अपील करता हूं कि राज्यपाल हमें उस भाषा में संबोधित करें जो हम समझते हैं.’

विधायक ने यह भी कहा कि केंद्र मेघालय के लोगों पर हिंदी नहीं थोप सकता.

हालांकि, स्पीकर थॉमस ए. संगमा ने राज्यपाल को उनका भाषण हिंदी में जारी रखने की अनुमति दी, जिसे लेकर अन्य विधायक भी विरोध में खड़े होने लगे.

इस बीच बसवमोट कहते रहे, ‘यह जनता की भावनाओं के खिलाफ है. हम राज्यपाल के ऐसी भाषा जो हम नहीं समझते हैं, में भाषण देने की निंदा करते हैं.

इस पर मुख्यमंत्री कोनराड संगमा खड़े हुए और कहा कि राज्यपाल अंग्रेजी नहीं पढ़ सकते हैं, इसी वजह से ऐसा हुआ है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाषण का अंग्रेजी अनुवाद पहले ही बांटा गया है.

इस पर वीपीपी के चार विधायक सदन से बाहर चले गए.

इससे पहले 2018 में तब कांग्रेस (अब सत्तारूढ़ एनपीपी) के विधायक अंपारीन लिंगदोह ने तत्कालीन राज्यपाल गंगा प्रसाद के विधानसभा में हिंदी बोलने के बाद सदन से वॉकआउट किया था.

एनडीटीवी के अनुसार, अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार संभाल रहे लिंगदोह ने कहा कि वैसे तो उन्हें भाषण का अंग्रेजी अनुवाद उन्हें दिया किया था, लेकिन इसके बावजूद उनके लिए इस भाषा को समझ पाना मुश्किल रहा.