असम विधानसभा में बीबीसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करते हुए इसकी हालिया डॉक्यूमेंट्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना का कभी विरोध नहीं किया लेकिन बीबीसी डॉक्यूमेंट्री देश की न्यायपालिका पर हमला है.
नई दिल्ली: असम विधानसभा ने मंगलवार को बीबीसी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करते हुए भारत में विवादित रही इसकी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित दुर्भावनापूर्ण और खतरनाक एजेंडा’ चलाने ला आरोप लगाते हुए ब्रिटेन के सार्वजनिक प्रसारक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
Assam Assembly has adopted a resolution to condemn the malicious documentary recently aired by the BBC to malign India’s growing international standing & foment domestic instability.
The House has collectively demanded that strictest action be taken against those responsible. pic.twitter.com/DAE3NIHZ2a
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) March 21, 2023
दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री के पहले भाग में 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका को रेखांकित किया गया था, वहीं दूसरे हिस्से में मोदी सरकार के दौरान भेदभावपूर्ण कानून लाकर देश के मुस्लिमों के उत्पीड़न पर बात की गई है.
द प्रिंट के अनुसार, भाजपा विधायक भुबन पेगू ने निजी सदस्य प्रस्ताव के माध्यम से इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि बीबीसी ने दो भाग वाले वृत्तचित्र में भारत की स्वतंत्र प्रेस, न्यायपालिका और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की वैधता पर सवाल उठाया है.
एनडीटीवी के अनुसार, विधानसभा में इस प्रस्ताव का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, ‘जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की जाती है, तो हम इसका कभी विरोध नहीं करते हैं. हालांकि, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री भारत की न्यायपालिका पर हमला है. यहां मुद्दा भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता का है. बीबीसी भारतीय न्यायपालिका और भारत को चुनौती देना चाहता था.’
जब विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया तब विपक्ष ने इसके विरोध में वॉकआउट किया. उन्होंने प्रस्ताव पर कोई चर्चा होने से पहले सदन में फिल्म के प्रदर्शन की मांग रखी थी.
कांग्रेस विधायक शरमन अली अहमद, निर्दलीय सदस्य अखिल गोगोई और एआईयूडीएफ विधायक करीमुद्दीन ने विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी फिल्म को सदन में दिखाने की अनुमति देने की मांग उठाई ताकि उसकी सामग्री को समझा जा सके और फिर प्रस्ताव पर चर्चा हो.
माकपा के विधायक मनोरंजन तालुकदार का कहना था, ‘इस प्रस्ताव का विषय असम से संबंधित नहीं है. हममें से किसी ने भी इसे नहीं देखा है.’
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और भारत की न्यायपालिका की आलोचना ‘भारत के लिए एक चुनौती’ थी.
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साजिश को हवा दी. जिस तरह हम ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़े थे, उसी तरह हमें भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के विदेशी प्रसारकों के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है.’
ज्ञात हो कि इससे पहले गुजरात और मध्य प्रदेश विधानसभा में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.
जनवरी माह में आई बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से में बताया गया था कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.
साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई है. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड, केंद्र में मोदी के सत्ता में आने के बाद- विशेष तौर पर 2019 में उनके दोबारा सत्ता में आने के बाद- मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उनकी सरकार द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों की बात करता है. इसमें मोदी को ‘बेहद विभाजनकारी’ बताया गया है.
इसके तुरंत बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, वहीं विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज कर कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.
हालांकि बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री के साथ खड़ा रहा और उसका कहना था कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है. चैनल ने यह भी कहा था कि उसने भारत सरकार से इस पर जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.
देश के विभिन्न राज्यों के कैंपसों में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद भी हुआ था.
इतना ही नहीं इसी कड़ी में बीते फरवरी माह में बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित कार्यालयों पर आयकर विभाग द्वारा सर्वे की कार्रवाई की गई थी. इस पर बीबीसी ने एक बयान जारी कर हर सवाल का उचित जवाब देने की बात कही थी.