वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों के बावजूद ईपीएफओ का अडानी समूह की कंपनियों में निवेश जारी

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अडानी एंटरप्राइजेज़ और अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड में निवेश करना जारी रखे हुए है. वह इस साल कम से कम सितंबर तक ऐसा करना जारी रखेगा. अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह की कंपनियों पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया है.

(फोटो साभार: ईपीएफओ)

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अडानी एंटरप्राइजेज़ और अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड में निवेश करना जारी रखे हुए है. वह इस साल कम से कम सितंबर तक ऐसा करना जारी रखेगा. अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह की कंपनियों पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया है.

(फोटो साभार: ईपीएफओ)

नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अडानी समूह के दो की दो कंपनियों – अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड (एपीएसईजेड) – में निवेश करना जारी रखा है.

द हिंदू के मुताबिक, और वह इस साल कम से कम सितंबर तक ऐसा करना जारी रखेगा, जब तक कि इसके ट्रस्टी इस सप्ताह मिलने पर अपने निवेश के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार नहीं करते.

अखबार के मुताबिक, इसके न्यासियों (ट्रस्टी) के इस सप्ताह अपने निवेश के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की उम्मीद है.

अडानी समूह के शेयरों में तब से गिरावट आई है जब अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें समूह की कंपनियों पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इसमें समूह पर शेयरों में हेरफेर करने के लिए ऑफशोर फंड के अनुचित उपयोग का भी आरोप लगाया गया.

कई समाचार रिपोर्टों ने ऑफशोर कंपनियों की भूमिका और समूह की कुछ कंपनियों के साथ उनके कथित संबंधों पर प्रकाश डाला है. इस बीच, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी), अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएफओ अपने इक्विटी निवेश का 85 फीसदी तक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में रखता है, जो स्टॉक एक्सचेंज ‘निफ्टी 50’ (NIFTY 50) के प्रदर्शन पर निर्भर होता है.

‘निफ्टी 50’ ने सितंबर 2022 में अडानी एंटरप्राइजेज को जोड़ा था. तब, ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने समाचार वेबसाइट ‘मनी कंट्रोल’ को बताया था कि निफ्टी में अडानी एंटरप्राइजेज के प्रवेश का परिणाम ईटीएफ से 1,760 करोड़ का स्टॉक खरीदना होगा.

इस साल 30 मार्च से शुरू होने वाली अवधि के लिए ‘निफ्टी 50’ ने अगले छह महीने के लिए स्टॉक को बरकरार रखा है.

ईपीएफओ अगस्त 2015 से ईटीएफ में निवेश कर रहा है. प्रारंभ में निकाय ने अपनी जमा राशि का 5 फीसदी शेयर बाजारों में निवेश करने का फैसला किया था. बाद में, 2016-17 में इसे बढ़ाकर 10 फीसदी और 2017-18 में 15 फीसदी कर दिया गया था.

अडानी पोर्ट्स एवं एसईजेड सितंबर 2015 से ‘निफ्टी 50’ का हिस्सा रहा है. एनएसई सब्सिडियरी, एनएसई इंडिसेज द्वारा हाल ही में सूचकांक समीक्षा के बाद इस स्टॉक को भी अगले छह महीनों के लिए ‘निफ्टी 50’ में बनाए रखा गया है.

द हिंदू अखबार के मुताबिक, ईपीएफओ ने मार्च 2022 तक ईटीएफ में 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. ईपीएफओ का 2022-23 के दौरान ईपीएफ सदस्यों के खातों में भेजे गए अनुमानित 2.54 लाख करोड़ रुपये के नए योगदान में से 38,000 करोड़ रुपये का निवेश ईटीएफ में करने का अनुमान है.

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इसके कोष प्रबंधकों को लोगों की वृद्धावस्था बचत को सुरक्षित रखने के लिए उन शेयरों में नए निवेश से बचने के लिए कोई निर्देश दिया गया है या नहीं.

ईपीएफओ के ट्रस्टियों ने द हिंदू को बताया कि उन्हें इसके अडानी में निवेश के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन यह मुद्दा इसके बोर्ड की दो दिवसीय बैठक में उठ सकता है. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव को करनी है. यह बैठक 27-28 मार्च को प्रस्तावित है.

बैठक में सदस्यों को दी जाने वाली ब्याज दर पर चर्चा होने की उम्मीद है.

ईपीएफ 8.10 प्रतिशत की ब्याज दर प्रदान करता है, जो अप्रैल 2022 और मार्च 2023 के बीच किए गए ईपीएफ जमा पर लागू होता है. जमा पर ब्याज की गणना मासिक रूप से की जाती है, लेकिन लागू वित्तीय वर्ष में यह केवल 31 मार्च को साल में एक बार कर्मचारी भविष्य निधि खाते में जमा की जाती है.

मार्च 2022 में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ दर को घटाकर 45 साल के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर कर दिया गया था. हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बढ़ती ब्याज दर परिदृश्य के बीच 2023 के लिए ब्याज दर 8 प्रतिशत के स्तर से नीचे जाने की संभावना नहीं है.

वहीं, इस संबंध में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सोमवार को निशाना साधा और सवाल किया कि रिटायरमेंट फंड को संभालने वाले सार्वजनिक वित्तीय संस्थान क्यों अडानी समूह में अपना पैसा निवेश कर रहे हैं, जबकि समूह के खिलाफ गंभीर आरोप हैं.

उन्होंने कहा, ‘एलआईसी की पूंजी, अडानी को! एसबीआई की पूंजी, अडानी को! ईपीएफओ की पूंजी भी, अडानी को! ‘मोडानी’ के खुलासे के बाद भी, जनता के रिटायरमेंट का पैसा अडानी की कंपनियों में निवेश क्यों किया जा रहा है? प्रधानमंत्री जी, न जांच, न जवाब! आख़िर इतना डर क्यों?’

कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, ‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का पैसा भी अडानी को दे दिया गया. वाह दोस्त जी.. वाह. आपकी दोस्ती तो रोज नए गुल खिला रही है. पहले एसबीआई, फिर एलआईसी और अब ईपीएफओ. पूरा देश दोस्त के नाम कर देंगे?’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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