यूपी: पंचायत चुनाव में जाट प्रत्याशी का विरोध करना पड़ा भारी, दलित परिवार को न्याय का इंतजार

संभल ज़िले के एक गांव में जाटव परिवार का ग्राम पंचायत चुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवार को वोट देना एक जाट प्रत्याशी को रास नहीं आया और चुनाव जीतने के बाद उसने इस परिवार को निशाना बनाया. इस बीच जाटव परिवार की एक महिला पर एसिड अटैक हुआ और पीड़ित परिवार को गांव छोड़ना पड़ा.

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Shakuntla's feet were severely injured during the acid attack. This picture was taken immediately after the attack. One toe was so badly affected that it had to later be removed. Photo: Special arrangement

संभल ज़िले के एक गांव में जाटव परिवार का ग्राम पंचायत चुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवार को वोट देना एक जाट प्रत्याशी को रास नहीं आया और चुनाव जीतने के बाद उसने इस परिवार को निशाना बनाया. इस बीच जाटव परिवार की एक महिला पर एसिड अटैक हुआ और पीड़ित परिवार को गांव छोड़ना पड़ा.

एसिड अटैक के दौरान शकुंतला के पैरों में गंभीर चोटें आईं. यह तस्वीर हमले के तुरंत बाद ली गई थी. पैर की एक अंगुली इतनी बुरी तरह प्रभावित हुई कि बाद में उसे हटाना पड़ा. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के मंडावली रसूलपुर गांव में रहने वाले श्याम सिंह और उनका परिवार जून 2022 से लगातार ‘सवर्ण’ जाति के एक परिवार की ओर से हमलों का सामना कर रहा है. इस दौरान, श्याम सिंह की पत्नी पर तेजाब से हमला (एसिड अटैक) भी किया गया. लेकिन, पुलिस उदासीन बनीरही. इस दलित परिवार का दोष बस इतना है कि इसने ग्राम पंचायत चुनावों में एक जाट उम्मीदवार का विरोध किया था.

मंडावली रसूलपुर गांव के जातीय समीकरण समझें, तो यहां ‘जाट’ और ‘जाटव’ जातियों के लोग रहते हैं. दोनों की आबादी समान है. लेकिन लगभग सारी कृषि भूमि जाटों के स्वामित्व में है, जो सामाजिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं. और दलित जाटव मुख्यतः भूमिहीन किसान हैं जो इन खेतों में काम करते हैं.

अप्रैल 2021 में ग्राम पंचायत चुनाव से लगभग एक सप्ताह पहले एक जाटव परिवार ने तय किया कि वह किसी दबाव में न आकर स्वतंत्र मतदान के अधिकार का इस्तेमाल करेंगे. जब जाट समुदाय के एक उम्मीदवार महेश चंद्र ने उन्हें बुलाकर अपने लिए वोट डालने को कहा, तो 55 वर्षीय श्याम सिंह और उनके बेटे श्योध्यान सिंह (25) ने महेश चंद्र से कहा, ‘हम आपको वोट नहीं देंगे.’

इसके बाद, सिंह परिवार ने दूसरे उम्मीदवार के लिए प्रचार किया. जब महेश चंद्र चुनाव जीतकर ग्राम प्रधान बन गए, तो खुद ग्राम सभा के सदस्य के बतौर श्योध्यान ने कभी-कभी महेश के फैसलों पर असहमति व्यक्त की.

उम्मीदवार का चयन और असहमति दोनों ही लोकतंत्र की निष्पक्षता के संकेत हैं, लेकिन श्याम सिंह के परिवार को इसकी कीमत चुकानी पड़ी. श्योध्यान बताते हैं कि हमले 22 जुलाई 2022 से शुरू हुए, जब प्रधान (महेश चंद्र) ने हमारे घर के सामने सड़क खोदने के लिए एक जेसीबी मंगवाई. जब हमने विरोध किया और प्रधान से झड़प हुई तो उन्होंने पुलिस बुला ली.

पुलिस ने श्याम सिंह और उनके बेटों- मनोज सिंह और श्योध्यान सिंह, को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 151 के तहत तीन दिनों के लिए जेल भेज दिया. इस धारा में पांच या अधिक व्यक्तियों के मनाही के बावजूद जुटान के आरोप तय किए जाते हैं.

गांव में परिवार का घर अब सूना पड़ा है. (फोटो: आस्था सव्यासाची)

मनोज और श्योध्यान ने द वायर  को बताया कि जेल के अमानवीय हालात से हम दोनों तो निपट सकते थे, लेकिन अपने पिता को अपमानित होते और गालियों का सामना करते देखना अंदर तक झकझोर देता है.

जेल से छूटने के बाद परिवार ने उस अपमान से आगे बढ़ने की कोशिश की. 5 अगस्त 2022 को मनोज की पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया. श्याम सिंह इसका जश्न मनाना चाहते थे और इसके लिए वह अपनी पत्नी शकुंतला (45) के साथ अगले दिन अपने एक रिश्तेदार से कुछ पैसे उधार लेने गए. जब वे 15,000 रुपये लेकर मोटरसाइकिल से लौट रहे थे तो उन पर कथित तौर पर उनके गांव की सीमा पर चार लोगों ने हमला किया.

इनकी पहचान उन्होंने भीष्म, सतेंद्र, विपिन और दीपक के रूप में की गई. परिवार का कहना है कि चारों महेश चंद्र के रिश्तेदार हैं, दीपक उनका भतीजा है.

श्याम सिंह घटना को याद करते हुए बताते हैं, ‘हम बाइक से गिर गए. उन्होंने मेरा मोबाइल और पैसे छीन लिए जो मैं उधार लेकर आया था. वे मुझे ‘चमार’ कहकर गालियां देने लगे और लात-घूंसों से मारने लगे.’

शकुंतला ने कहा, ‘जब मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे बलात्कार की धमकी देते हुए कहा कि ‘तुझे यहीं खींच लेंगे खेत में.’

श्याम सिंह बताते हैं, ‘मुझे इतनी बेरहमी से पीटा गया कि मेरे सारे कपड़े फट गए और मैं होश खो बैठा.’ शकुंतला ने बताया, ‘तभी वो सब चिल्लाए कि ‘मर गया’ और वहां से भाग गए.’

श्याम सिंह ने पुलिस में दर्ज एफआईआर में यह सारा घटनाक्रम बताया है और साथ ही बताया है कि आरोपियों ने उन्हें जातिसूचक गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी और कहा कि अभी उनके बेटे बचे हुए हैं. इस दौरान, उन्होंने उन पर पिस्तौल भी तान दी और कहा कि वे महेश चंद्र के आदमी हैं, उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा.

श्योध्यान के मुताबिक, प्रधान ने जून में भी उनके पिता को धमकाया था क्योंकि उनके परिवार ने उसे वोट नहीं दिया था.

वे कहते हैं, ‘उसने धमकी दी थी कि वह कुछ ऐसा करेगा जो सोचा भी न हो. मेरे पिता के पास फोन में वो रिकॉर्डिंग थी, लेकिन गुंडों ने 6 अगस्त 2022 को वह फोन छीन लिया.’

द वायर  ने मामले में दर्ज एफआईआर और आरोप पत्र दोनों की जांच की, जिसमें आईपीसी की धारा 392 का उल्लेख था, जो डकैती के लिए है और गैर-जमानती अपराध है. आरोपपत्र में इसे हटाते हुए कहा गया कि जांच में यह साबित नहीं हुई.

मामले के एक गवाह रविराज ने द वायर  को बताया, ‘प्रधान ने मुझे धमकी दी और कहा कि चमार का साथ क्यों दे रहे हो? जाट हो, जाट के साथ रहो.’

घटना के अगले ही दिन 7 अगस्त 2022 को मामले के एक आरोपी ने श्योध्यान को फोन करके श्याम सिंह पर हमले की बात स्वीकारी और उनकी मां-बहन का बलात्कार करने की धमकी दी. साथ ही, गांव में दिखाई देने पर श्योध्यान को भी गोली मारने की धमकी दी.

22 जुलाई की झड़प का हवाला देते हुए दीपक ने श्योध्यान को जातिसूचक गालियां देते हुए कहा कि वह एससी/एसटी एक्ट से भी नहीं डरता.

द वायर  के पास इस फोन कॉल की रिकॉर्डिंग है.

एसिड अटैक

इस कड़ी में, पांच अक्टूबर को शकुंतला जब खेत में घास काटने गईं तो वहां छह लोगों ने उन्हें पकड़ लिया, जिनमें उन्होंने तीन की पहचान भीष्म, दीपक और राहुल के रूप में की. एक ने उन पर पिस्तौल के बट से वार किया गया और कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया और फिर उनके ऊपर तेजाब फेंककर भाग गए.

शकुंतला के घाव अभी भी नहीं भरे हैं, जले के निशान बाकी हैं और छिले हुए घाव दुखते हैं. उनके चेहरे, अंगुलियों, पैर, बाहों और कंधों पर जले के निशान देखे जा सकते हैं.

एसिड अटैक का सामना करने वालीं शकुंतला. (फोटो: Astha Savyasachi)

अगले दिन 6 अक्टूबर को संभल के पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने स्थानीय मीडिया में एक बयान दिया, ‘महिला के मेडिकल (टेस्ट) में, हमें पता चला है कि महिला एसिड अटैक के कारण नहीं, बल्कि बिजली के झटके से जली है. प्राथमिक जांच में उनके आरोप झूठे पाए गए हैं. विस्तृत जांच जारी है.’

हालांकि, मेडिकल रिपोर्ट डॉक्टरों ने 10 अक्टूबर को जारी की थी लेकिन एसपी का बयान काफी पहले आ गया. मुरादाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला संयुक्त अस्पताल के डॉक्टर ने भी मेडिकल रिपोर्ट में एसिड अटैक की पुष्टि की थी.

मनोज पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के बिजली वितरण संबंधी 5 अक्टूबर के रिकॉर्ड दिखाते हुए कहते हैं कि एसिड अटैक शाम 5.30 बजे हुआ था, लेकिन बिजली तो शाम 5.15 बजे ही कट चुकी थी.

द वायर के पास उपरोक्त सभी संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हैं.

श्योध्यान आगे बताते हैं, ’27 नवंबर 2022 को पुलिस ने हमें बिना बताए इस मामले में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दाखिल कर दी. तब से 3 महीने हो गए हैं और वे अभी भी हमें गुमराह कर रहे हैं. हमें जनसुनवाई पोर्टल से एफआर के बारे में पता चला.’

मनोज बताते हैं कि वे और उनकी मां पुलिस महानिदेशक से लेकर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और डीआईजी तक हर अधिकारी के यहां चक्कर काट चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है.

श्योध्यान सिंह. (फोटो: आस्था सव्यसाची)

श्योध्यान बताते हैं, ‘उल्टा अंचोरा कम्बोह के तत्कालीन पुलिस थाना प्रभारी (एसएचओ) ने हमसे बोला कि हमने ही अपनी मां के ऊपर तेजाब फेंका होगा.  ‘

बहरहाल, इस हमले में शकुंतला ने अपने पैर की एक अंगुली खो दी और घाव न भरने के चलते उन्हें अब भी चलने-फिरने में परेशानी होती है.

शकुंतला कहती हैं, ‘हम जाटव (दलित) हैं.इसलिए उनका कुछ नहीं बिगड़ा. अगर हम ‘ऊंची’ जाति के होते तो पहली बात तो यह सब हमारे साथ होता ही नहीं. और अगर होता भी, तो हमें अब तक न्याय मिल गया होता.’

जातिगत द्वेष

ग्राम प्रधान महेश चंद्र (बाएं) और भाजपा नेता हरेंद्र चौधरी ‘रिंकू’ (दाएं).

ग्राम प्रधान चुनाव में महेश चंद्र के खिलाफ खड़े हुए एक उम्मीदवार महिपाल सिंह कहते हैं, ‘जब कोई ‘नीची’ जाति का व्यक्ति महेश का विरोध करता है तो वह सह नहीं पाता. जब मैं विश्वकर्मा/दलित समुदाय से उसके सामने चुनाव में खड़ा हुआ तो उसके अहं को ठेस पहुंची. वह सबको अपने हिसाब से चलाना चाहता है, जब श्याम के परिवार ने उसका विरोध किया तो वह सह नहीं सका और उसने उन्हें बर्बाद करने की ठान ली.’

महिपाल बताते हैं कि हमले के वक्त शकुंतला के साथ जो महिलाएं थीं, उन्हें पैसा और धमकी देकर उनके बयान बदलवा दिए गए और अब वे घटनास्थल पर होने से ही इनकार कर रही हैं.

श्योध्यान बताते हैं, ‘हमारे पड़ोसियों ने हमें बताया कि प्रधान ने उन्हें धमकी दी है कि जो भी हमारे परिवार की मदद करेगा, उसका भी हमारे जैसा हाल होगा.’

महिपाल कहते हैं कि दीपक समेत सभी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. महिपाल और श्याम सिंह के परिवार का मानना है कि महेश चंद्र को जिला और राज्य प्रशासन का समर्थन प्राप्त है.

महिपाल बताते हैं, ‘प्रधान के एक रिश्तेदार हरेंद्र चौधरी (रिंकू) 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में असमोली से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार थे.’ श्योध्यान और मनोज के मुताबिक, महेश ने विधानसभा चुनावों में उनके साथ जोरों-शोरों से प्रचार भी किया था.

द वायर  के पास उस प्रचार की तस्वीरें भी हैं. हालांकि, हरेंद्र चुनाव में हार गए थे.

रिंकू 2020 में भाजपा की संभल जिला इकाई के महासचिव भी रह चुके हैं. श्योध्यान कहते हैं, ‘इसीलिए प्रधान को प्रशासन का समर्थन प्राप्त है.’

ग्राम प्रधान महेश चंद्र से मुलाकात करने पर उन्होंने यह कहते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसी तरह, इन मामलों के जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह से बात की, तो उन्होंने फोन पर बयान देने से इनकार कर दिया.

अंतहीन लड़ाई

एसिड अटैक के बाद श्याम सिंह के परिवार ने गांव छोड़ दिया. मनोज कहते हैं, ‘हमारी रोजी-रोटी छिन गई. पहले हम भूमिहीन थे, लेकिन इन घटनाओं के बाद हम दिहाड़ी मजदूरों के तौर पर भी काम नहीं कर सकते क्योंकि हमें हर दिन डॉक्टर या पुलिस या वकील या अदालत आदि के चक्कर लगाने पड़ते हैं. वर्तमान में हममें से कोई भी कहीं भी काम नहीं कर रहा है. हमारे पास जो थोड़ा बहुत पैसा था, उसी से काम चला रहे हैं. हमारी लगभग सारी बचत खत्म हो चुकी है.’

वे आगे कहते हैं, ‘कोई आय नहीं है. ऊपर से मां की महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं. हमें खाली पेट सोना पड़ता है.’

गांव में परिवार का घर अब खाली पड़ा है. (फोटो: आस्था सव्यसाची)

श्योध्यान अंत में कहते हैं, ‘मैंने अंचोरा कंबोह के तत्कालीन एसएचओ के कह दिया था कि अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो परिवार के हम सब लोग थाने जाएंगे और वहीं आत्महत्या कर लेंगे. इतिहास इस कहानी के साथ हमारे गांव को याद रखेगा कि एक आदमी था जो अपनी मां के लिए इंसाफ नहीं पा सका, उसने और उसके परिवार ने पुलिस के सामने ही आत्महत्या कर ली.’

(आस्था सव्यसाची एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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