चीन ने रविवार को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में 11 जगहों के नाम बदलकर अपने नाम दे दिए हैं. जिन क्षेत्रों का नामकरण किया गया है, उनमें दो आवासीय क्षेत्र, पांच पर्वत शिखर और दो नदियां शामिल हैं. बीते छह सालों में अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने का यह चीन का तीसरा प्रयास है. भारत ने इस क़दम को ख़ारिज किया है.
नई दिल्ली: छह साल में तीसरी बार चीन ने पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा दोहराते हुए राज्य के भौगोलिक नक्शे में जगहों के लिए चीनी नामों की घोषणा की है.
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को ‘जंगनम’, जो पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के लिए चीनी नाम है, में 11 स्थानों के लिए ‘मानकीकृत’ नाम जारी किए. आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य परिषद से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद यह घोषणा की गई.
विदेश मंत्रालय ने इस कदम को ‘पूर्ण रूप से’ खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य अंग है, रहा है और रहेगा. बनावटी नाम देने का प्रयास इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा.’
जिन क्षेत्रों का नामकरण किया गया, उनमें दो आवासीय क्षेत्र, पांच पर्वत शिखर और दो नदियां शामिल हैं. दस्तावेज में उनके निर्देशांक, स्थान के नाम की श्रेणी और अधीनस्थ प्रशासनिक जिले शामिल थे.
यह चीनी अक्षरों, तिब्बती और पिनयिन में चीन द्वारा घोषित नामों का तीसरा बैच है.
छह नामों का पहला बैच नवंबर 2017 में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के कुछ दिनों बाद जारी किया गया था.
दूसरा बैच दिसंबर 2021 में चीन के नए भूमि सीमा कानून के प्रभावी होने के दो दिन पहले जारी किया गया था.
दूसरे बैच के बाद भारत ने कहा भी था कि अरुणाचल प्रदेश ‘हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा.’ विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नामकरण करना इस तथ्य को बदलता नहीं है.’
गौरतलब है कि भारत और चीन ने अभी भी पूर्वी लद्दाख में अपने सैन्य गतिरोध को पूरी तरह से हल नहीं किया है, जो मई 2020 में शुरू हुआ था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नाम बदलने के तीसरे बैच के समय का उस सीमा मुद्दे से कोई लेना-देना है या नहीं.
वहीं, पिछले महीने भारत एक दिन के लिए अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक आयोजन में जी-20 देशों के प्रतिनिधियों को ले गया था. यह एक दिवसीय बैठक असम के डिब्रूगढ़ में आयोजित वास्तविक कार्यक्रम का विस्तार थी. हालांकि, चीन की ओर से कोई प्रतिनिधित्व नहीं था.
द ग्लोबल टाइम्स द्वारा उद्धृत एक चीनी विद्वान ने दावा किया कि ‘जंगनम’, ‘प्राचीन काल से चीन का क्षेत्र’ रहा है. चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टिट्यूट ऑफ चाइनीज बॉर्डरलैंड स्टडीज के एक रिसर्च फेलो झांग योंगपैन के अनुसार, ‘जंगनम में नामों को मानकीकृत करने का चीन का कदम पूरी तरह से चीन की संप्रभुता के दायरे में आता है.’
नए नामों के साथ विवादित क्षेत्रों का नामकरण चीनी सरकार की लंबे समय से चली आ रही रणनीति रही है. अप्रैल 2020 में चीन ने 25 द्वीपों सहित दक्षिण चीन सागर में 80 भौगोलिक स्थानों के लिए नामों की एक सूची जारी की थी. इससे पहले 1983 में, चीन ने इस तेल समृद्ध विवादित क्षेत्र में 287 स्थान सूचीबद्ध किए थे.
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