भाजपा शासित मणिपुर में कथित ‘अवैध निर्माण’ के लिए तीन चर्चों को तोड़ा गया: रिपोर्ट

मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बेदख़ली अभियान पर इसी अदालत के 2020 में दिए यथास्थिति के आदेश को रद्द करने के कुछ दिनों बाद चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया. इंफाल पूर्वी ज़िले में ध्वस्त की गईं तीन चर्चों में से एक 1974 से अस्तित्व में थी. राज्य की 41 प्रतिशत से अधिक आबादी ईसाई है.

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ध्वस्त किया गया इवेंजेलिकल लूथरन चर्च. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बेदख़ली अभियान पर इसी अदालत के 2020 में दिए यथास्थिति के आदेश को रद्द करने के कुछ दिनों बाद चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया. इंफाल पूर्वी ज़िले में ध्वस्त की गईं तीन चर्चों में से एक 1974 से अस्तित्व में थी. राज्य की 41 प्रतिशत से अधिक आबादी ईसाई है.

ध्वस्त किया गया इवेंजेलिकल लूथरन चर्च. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: भाजपा शासित मणिपुर में मंगलवार को इंफाल पूर्वी जिले में प्रशासन ने तीन चर्चों को अनधिकृत निर्माण बताकर तोड़ दिया है.

नॉर्थईस्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तीन चर्चों में से एक 1974 से अस्तित्व में थी, जिसे सरकारी भूमि पर ‘अवैध निर्माण’ बताते हुए ध्वस्त कर दिया गया.

डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, गिराए गईं तीन चर्च- इवेंजेलिकल बैपटिस्ट कन्वेंशन चर्च, इवेंजेलिकल लूथरन चर्च मणिपुर और कैथोलिक होली स्पिरिट चर्च शामिल हैं. मालूम हो कि मणिपुर की 41 प्रतिशत से अधिक आबादी ईसाई है.

खबर के अनुसार, मंगलवार तड़के बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में ट्राइबल कॉलोनी में तोड़फोड़ की गई. मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बेदखली अभियान पर यथास्थिति के अपने 2020 के आदेश को रद्द करने के कुछ दिनों बाद चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया है.

एक स्थानीय संगठन द्वारा मणिपुर उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद मामला अदालत तक पहुंचा था. उच्च न्यायालय की मणिपुर पीठ के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन द्वारा 4 अप्रैल को पारित आदेश में कहा गया कि प्रतिवादी चर्चों को बेदखल करने में राज्य के अधिकारियों का निर्णय दस्तावेजों, नीतिगत निर्णयों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार है.

नॉर्थईस्ट लाइव ने बताया कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने चर्चों के ध्वंस पर अधिक टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसा अदालत के आदेश के अनुसार किया गया है.

उधर, पादरी नेंगज़ाहाऊ वी. हाउपी ने बताया, ‘चर्च की स्थापना 1974 में हुई थी, अब इसे लगभग 49 साल हो गए हैं. सरकारी बेदखली नोटिस 24 दिसंबर, 2020 को आया था. हाईकोर्ट ने लगभग दो-तीन सालों के लिए यथास्थिति आदेश देकर चर्चों को बचाया था, लेकिन अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने इस आदेश को ख़ारिज कर दिया और अब ऐसा हुआ.’

जैसे ही प्रशासन ने चर्चों को ध्वस्त किया, मंगलवार को कई ईसाई निवासियों ने इकट्ठा होकर चर्च के मलबे में प्रार्थना की.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, एक पादरी ने कहा कि राज्य सरकार को चर्चों को नहीं गिराना चाहिए था क्योंकि ये किसी व्यक्ति या संगठन के निजी लाभ के लिए नहीं थे.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर के मौके पर रविवार को दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल चर्च का दौरा किया था. अब तक उन्होंने हिंदुत्व संगठनों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में चर्चों और पादरियों को निशाना बनाने की खबरों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.