पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा द वायर को दिए एक साक्षात्कार में ‘पुलवामा हमले को सरकारी ग़लती का नतीजा’ बताने वाले बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि वैसे तो देश में कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इनकी सच्चाई सामने नहीं आई.
नई दिल्ली: सत्तारूढ़ भाजपा पर हमलावर होते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है जब वह देश के सैनिकों की रक्षा नहीं कर सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के पुणे जिले के पुरंदर तालुका में एक किसान सभा में पवार ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा द वायर के लिए वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए साक्षात्कार का उल्लेख किया.
इस साक्षात्कार में मलिक ने कहा था कि साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुआ आतंकी हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे, सरकारी गलती के चलते हुआ था और जब उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री और एनएसए अजीत डोभाल को बताया तब उन लोगों ने उन्हें (मलिक को) चुप रहने को कहा.
एनसीपी के गढ़ पुणे में पवार किसानों से मुखातिब थे. अपने भाषण में उन्होंने कहा, ‘वैसे तो देश में कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इनकी सच्चाई सामने नहीं आई. पुलवामा नाम का एक इलाका है जहां 40 जवान शहीद हुए. इसके पीछे की कहानी जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सामने लाई है, जिन्हें इस पद पर भाजपा द्वारा नियुक्त किया गया था.’
पुरंदर तालुक्यातील सासवड इथे आयोजित शेतकरी मेळाव्यास उपस्थित राहून शेतकरी बांधवांशी संवाद साधला. या शेतकरी मेळाव्याला अचानकपणे येण्याची संधी मला मिळाली. हा सोहळा अत्यंत महत्त्वाचा आहे. संपूर्ण देशात कोणता वर्ग अस्वस्थ आहे हा प्रश्न विचारला तर अनेक लोक पुढे येतात. पण देशाच्या… pic.twitter.com/2C44DFRvuJ
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) April 17, 2023
मलिक द्वारा साक्षात्कार में बताई गई जानकारी दोहराते हुए पवार ने कहा कि यह खुलासे बेहद गंभीर हैं. उन्होंने जोड़ा, ‘उस समय (पुलवामा हमले के वक्त) सैनिकों को जरूरी उपकरण और विमान उपलब्ध नहीं कराए गए, इसलिए उन्हें जान गंवानी पड़ी. जब मलिक ने यह बात देश के एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति को बताई तो उन्हें इस बारे में बात न करने के लिए कहा गया.’
कुछ दिनों पहले अडानी समूह के बारे में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर अपने बयान को लेकर पवार ख़बरों में थे. पवार ने दावा किया था कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर ने अडानी को निशाना बनाया था.
एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘इस तरह के बयान पहले भी अन्य व्यक्तियों द्वारा दिए गए थे और कुछ दिनों तक संसद में हंगामा हुआ था, लेकिन इस बार इस मुद्दे को अधिक महत्व दिया गया.’ इस चैनल के शेयर्स का बड़ा हिस्सा अब अडानी समूह के पास है.
बाद में, पवार ने यह भी कहा कि वह केवल अडानी के खिलाफ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के विरोध में थे क्योंकि उन्हें लगा कि यह एक संतुलित समिति नहीं होगी. उन्होंने सुझाव दिया कि सर्वोच्च न्यायालय के नेतृत्व वाली समिति इस मामले में अधिक प्रभावी होगी.
पुणे में बोलते हुए पवार ने क्षेत्र में सूखे की स्थिति और किसानों के प्रति सरकार के खराब रवैये और साल दर साल खराब होती फसलों के मुद्दे पर भी बात की. पवार ने भाजपा सरकार पर ‘किसानों की पीड़ा के प्रति कोई सहानुभूति न दिखाने’ और देश के अधिकांश लोगों के हितों की रक्षा न’ करने का आरोप लगाया. एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘हमें जागना चाहिए और अभी फैसला लेना चाहिए.’
पवार ने मध्य प्रदेश की अपनी हालिया यात्रा के बारे में कहा, ‘जब मैं मध्य प्रदेश गया, तो वहां किसानों की सभा में भी शामिल हुआ. वहां सोयाबीन, कपास और अन्य फसलें उगाते समय बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि हुई और फसल नष्ट हो गई. इससे परेशान होकर दो किसानों ने आत्महत्या कर ली. कुदरत आपके हाथ में नहीं है, लेकिन प्राकृतिक आपदा की स्थिति में प्रभावित लोगों को ऐसी स्थितियों से बचाना सरकार की जिम्मेदारी है.’
उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों जगह किसान आत्महत्या कर रहे हैं और दोनों राज्यों की सरकारें इस मुद्दे पर पर्याप्त ध्यान देने में विफल रही हैं.
इस कार्यक्रम में पवार के साथ उनकी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं. एनसीपी नेता और चचेरे भाई अजीत पवार के भाजपा में जाने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर सुले ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मीडिया को अजीत पवार कहां हैं, इस पर नज़र रखने के लिए एक अलग इकाई बनानी चाहिए.’