28 अप्रैल को सत्यपाल मलिक से रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के उस प्रस्ताव के बारे में पूछताछ की जाएगी, जिसे उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के पद पर रहते हुए रद्द किया था. द वायर को दिए गए एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सवाल उठाने के हफ्तेभर बाद मलिक को यह समन मिला है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के प्रति दृष्टिकोण के बारे में बीते दिनों द वायर को दिए एक इंटरव्यू में चौंकाने वाले खुलासे किए थे, को देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई ने 28 अप्रैल को ‘पूछताछ के लिए’ बुलाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें समन में नई दिल्ली के अकबर रोड पर सीबीआई के गेस्ट हाउस में बुलाया गया था, लेकिन मलिक ने द वायर को बताया है कि अब एजेंसी ने उन्हें सूचित किया है कि उसके अधिकारी उनके घर आकर सवाल-जवाब करेंगे.
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो यह ‘पूछताछ’ रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से जुड़े मामले में होगी. इसे लेकर आरोप लगाया गया है कि कश्मीर में इस बीमा योजना को लाने के लिए आरएसएस और भाजपा नेता राम माधव ने कथित तौर पर मलिक पर दबाव बनाने का प्रयास किया था. हालांकि, उस समय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल का पद संभाल रहे मलिक ने इसे रद्द कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि 14 अप्रैल को दिए इंटरव्यू में इस योजना के बारे में विस्तार से बताया था कि कैसे उनके द्वारा इसे रद्द करने की अगली सुबह ही राम माधव उनके घर पहुंचे थे और इस योजना के बारे में सवाल-जवाब किए थे. मलिक के अनुसार, जब उन्होंने बताया कि वे इसे कैंसिल कर चुके हैं, तब माधव कुछ परेशान हुए थे.
मलिक ने द वायर के इंटरव्यू से पहले इस घटना का जिक्र पत्रकार प्रशांत टंडन को दिए गए एक साक्षात्कार में भी किया था. इसके प्रसारण के बाद माधव ने मलिक को मानहानि का नोटिस भेजा था.
अक्टूबर 2021 में पहली बार मलिक में आरोप लगाया था कि राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें किसी सौदे को लेकर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश की गई थी. टंडन के साथ इंटरव्यू में उन्होंने बताया सौदे में ज्यादा रुचि रखने वाले ‘आरएसएस पदाधिकारी’ राम माधव थे.
मलिक ने बताया कि उन्होंने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसके लिए उन्हें रिश्वत के रूप में 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. मलिक ने दावा किया कि प्रस्ताव रद्द करने के एक दिन बाद राम माधव सुबह 7 बजे राजभवन पहुंचे. मलिक के अनुसार, आरएसएस नेता बहुत परेशान थे और उन्होंने पूछा, ‘कहां से ऐसे निवेश आएगा?’ मैंने कहा, ‘निवेश आए या न आए मैं गलत काम नहीं करूंगा.’
करण थापर से द वायर के लिए हुई उनकी बातचीत का वो हिस्सा नीचे है, जहां वे इस बारे में खुलकर बात कर रहे हैं.
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करण बात शुरू करते हैं कि रिलायंस जम्मू कश्मीर में एक बीमा योजना खोलना चाहता था, राम माधव मलिक से योजना के बाबत मिलने पहुंचे थे. मलिक हामी भरते हैं.
करण: और आपने उनसे कहा कि मैं कोई गलत काम नहीं करूंगा. वो क्या गलत काम करवाना चाहते थे?
मलिक: मुझे उनकी तरफ से (मानहानि का) नोटिस भी आ चुका है. (हंसते हुए) वो बस मुझे यह बता दें कि वो राजभवन क्या करने गए थे. एक दिन पहले ही ये मामला खत्म हुआ था, अगली सुबह वो घर आ गए. मैंने पूछा क्या हुकुम है- तो बोले आपने इंश्योरेंस वाला मामला खत्म कर दिया. मैंने कहा हां. तो बोले- चिट्ठी चली गई. मैंने कहा कि पूछता हूं. पूछने पर चीफ सेक्रेटरी ने बताया कि शाम को ही चली गई थी, तो राम माधव अपसेट हुए.
करण: आपने उस बीमा स्कीम से क्यों इनकार किया था?
मलिक: जिस दिन मैंने शपथ ली थी, उसके अगले ही दिन से वो एजेंडा पर आ गए थे. सब एकमत थे कि इसे पारित कर दो, वो पास भी हो गई थी. वो तो मैंने दो दिन बाद फाइल मंगा के कैंसिल की है. तत्काल तो कर्मचारियों का विरोध हो गया क्योंकि साल का साढ़े आठ हज़ार हर कर्मचारी को देना था. फिर रिटायर्ड कर्मचारी को 20 हज़ार के ऊपर देना था. मैंने कहा कि दिल्ली में तो सीजीएचएस में हमें कुछ नहीं देना होता, तो यहां क्यों देंगे ये? फिर उसमें जो अस्पताल शॉर्ट लिस्ट किए गए थे, वो थर्ड क्लास अस्पताल थे. कोई प्रतिष्ठित अस्पताल नहीं था. तो मैंने कहा ये क्या बात हुई. अस्पताल भी अच्छे नहीं, इलाज भी नहीं, पैसे भी लिए जाएंगे तो मैंने कहा कि सीजीएचएस के पैटर्न पर ही करिए.
करण: राम माधव इतनी सुबह आपसे मिलने इसलिए आए कि वो चाहते थे कि आप इसे स्वीकार करें.
मलिक: उन्होंने सीधे तो नहीं कहा, लेकिन मैं समझ गया कि क्या हुआ है. कोशिश उनकी यही रही होगी. वो कभी नहीं आए मुझसे मिलने. पीएम भी कहते तो मैं नहीं बदलता.
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इस पूरे इंटरव्यू को नीचे दिए गए लिंक पर देख सकते हैं.
(नोट: इस ख़बर को अपडेट किया गया है.)