पुलवामा हमले और जम्मू कश्मीर की स्थिति को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाले पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की टिप्पणी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हमसे अपना रास्ता अलग करने के बाद वह आरोप लगा रहे हैं.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि यह कहना ‘गलत’ है कि वह पद छोड़ने के बाद ही 2019 के पुलवामा आतंकी हमले पर सवाल उठा रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के बाद बीते सोमवार को मलिक की यह टिप्पणी आई. शाह ने कहा था, ‘हमसे अपना रास्ता अलग करने के बाद वह आरोप लगा रहे हैं.’
उन्होंने राजस्थान के सीकर में संवाददाताओं से कहा, ‘यह कहना गलत है कि मैं इस मुद्दे को तब उठा रहा हूं जब मैं सत्ता में नहीं हूं.’ उन्होंने कहा कि हमले के दिन भी उन्होंने इस बात को उठाया था.
फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा वाहनों के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे.
मलिक उस वक्त जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे. उन्होंने इस हमले के सिलसिले में हाल ही में द वायर को दिए एक इंटरव्यू में खुफिया सूचना की नाकामी और सरकारी चूक का आरोप लगाया था और यह भी कहा था कि केंद्र सरकार ने सुरक्षाकर्मियों की आवाजाही के लिए विमान देने से इनकार कर दिया था.
इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि मलिक को सीबीआई का हालिया समन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की उनकी आलोचना से जुड़ा है, शाह ने पिछले सप्ताह कहा था कि ऐसा आरोप सही नहीं है, क्योंकि जांच एजेंसी ने उन्हें पहले भी बुलाया था.
इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में शाह ने कहा था, ‘मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसे छिपाने की जरूरत है. अगर हमसे अलग होने के बाद कोई आरोप लगा रहा है तो मीडिया और लोगों को उसका आकलन करना चाहिए.
मलिक ने सोमवार को कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री पद के लिए एक ‘गंभीर उम्मीदवार’ हैं और अगर यह उनकी किस्मत में है, तो वह बन जाएंगे.
अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं उनके लिए अच्छा होने की कामना करता हूं, लेकिन राजनीति और चुनाव में कोई नहीं जानता कि क्या होगा. मौजूदा स्थिति उनके लिए कठिन है, उन्हें कुछ चीजें करनी होंगी.’
मलिक ने दावा किया कि अडानी मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी से उन्हें नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पुलवामा मुद्दे पर भी बोलना चाहिए.
राजस्थान के संदर्भ में जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, मलिक ने कहा कि अगर भाजपा वसुंधरा राजे को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करती है, तो उसके जीतने की संभावना बढ़ जाएगी.
गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक ने हाल ही में द वायर को दिए गए इंटरव्यू में पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए थे.
इंटरव्यू में मलिक ने कहा था कि साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुआ आतंकी हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे, सरकारी गलती के चलते हुआ था और जब उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री और एनएसए अजीत डोभाल को बताया तब उन लोगों ने उन्हें (मलिक को) चुप रहने को कहा.
इस इंटरव्यू के बाद सीबीआई ने जम्मू कश्मीर के कथित बीमा रिश्वतखोरी मामले में पूछताछ के लिए सत्यपाल मलिक को समन भेजा है. उनसे 28 अप्रैल को पूछताछ की जानी है.
मालूम हो कि अक्टूबर 2021 में पहली बार मलिक में आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के कार्यकाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान उनसे कहा गया था कि यदि वह अंबानी और आरएसएस से संबद्ध एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी दें तो उन्हें रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन उन्होंने सौदों को रद्द कर दिया था.
मलिक ने द वायर के इंटरव्यू से पहले इस घटना का जिक्र पत्रकार प्रशांत टंडन को दिए गए एक साक्षात्कार में भी किया था. इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि सौदे में ज्यादा रुचि रखने वाले ‘आरएसएस पदाधिकारी’ राम माधव थे. इसके प्रसारण के बाद माधव ने मलिक को मानहानि का नोटिस भेजा था.
मार्च 2022 में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि मलिक द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और प्रशासन ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. सीबीआई ने इस संबंध में दो केस दर्ज किए थे और अप्रैल 2022 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी.