महाराष्ट्र: धर्म सभा में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ‘नफ़रत भरे भाषण’ दिए गए, पुलिस से शिकायत

कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में स्थित मुंब्रा में सकल हिंदू समाज की ओर से किया गया था. पुलिस को लिखे पत्र में संगठनों ने कहा है कि कार्यक्रम में कठोर दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करते हुए भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसके माध्यम से वक्ताओं ने विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाया है.

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ठाणे के मुंब्रा में हुए धर्म सभा कार्यक्रम से जुड़ा पोस्टर.

कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में स्थित मुंब्रा में सकल हिंदू समाज की ओर से किया गया था. पुलिस को लिखे पत्र में संगठनों ने कहा है कि कार्यक्रम में कठोर दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करते हुए भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसके माध्यम से वक्ताओं ने विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाया है.

ठाणे के मुंब्रा में हुए धर्म सभा कार्यक्रम से जुड़ा पोस्टर.

नई दिल्ली: अधिकार संगठनों के एक समूह और संबंधित नागरिकों ने महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को बीते 30 अप्रैल को मुंब्रा में सकल हिंदू समाज द्वारा आयोजित एक हिंदू जनजागरण धर्म सभा कार्यक्रम में दिए गए ‘सांप्रदायिक और नफरत फैलाने वाले भाषणों’ के बारे में लिखकर चिंता जताई है.

संगठनों के पत्र में कहा गया है, ‘कई वक्ताओं को उक्त कार्यक्रम में भाग लेते देखा गया, एक कठोर, दक्षिणपंथी, बहिष्कारवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए और भड़काऊ भाषण देते हुए देखा जा सकता है, जिसके माध्यम से उन्होंने विशेष रूप से हमारे देश के मुस्लिम नागरिकों और समुदाय को निशाना बनाया है.’

पत्र के अनुसार, ‘इन नफरत भरे भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं और इस कार्यक्रम में दिए गए कम से कम पांच भड़काऊ भाषण ऑनलाइन देखे जा सकते हैं.’

पत्र लिखने वालों ने कहा, ‘हम इन भड़काने वाले भाषणों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, आपसे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं. अगर इन नफरत से प्रेरित भाषणों को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है, तो हमारे देश की शांति और सद्भाव बुरी तरह प्रभावित होगा.’

अपनी बात को साबित करने के लिए संगठनों ने हेट स्पीच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों की ओर इशारा किया है.

मालूम हो कि बीते अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण (हेट स्पीच) को एक ऐसा गंभीर अपराध करार दिया था, जो देश के धर्मनिरपेक्षी ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है. अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे ऐसे अपराधों में भले ही कोई शिकायत दर्ज न हो, फिर भी मामला दर्ज करें.

इससे पहले मार्च महीने में जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए जा रहे हैं, क्योंकि सरकार कमजोर और शक्तिहीन है. वह समय पर कार्रवाई नहीं करती और यह तब रुकेगा, जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग कर दिए जाएंगे.

मुंब्रा में हुई सभा के संबंध में पत्र में कहा गया, ‘ऐसी सभाएं जिनमें समतावादी, विभाजनकारी और कलंकित करने वाले शब्दों का उच्चारण किया जाता है और भीड़ को उकसाया जाता है, भारतीय संविधान के तहत सभी भारतीयों को दिए गए मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के साथ ही भारतीय आपराधिक कानून के प्रावधानों की भी अवहेलना करते हैं. संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21 और 25 का उल्लंघन किया गया है. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया है.’

पत्र सीधे तौर पर कार्यक्रम में दिए गए भाषणों के अंशों को उद्धृत किया गया है, जहां वक्ता हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान करते हैं या जहां वे अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में झूठ बोलते हैं.

उदाहरण के लिए एक साध्वी सरस्वती के हवाले से कहा गया, ‘धर्म के नाम पर भले ही आपको इसके लिए मारना पड़े या मरना पड़े, एक कदम भी पीछे न हटें. एक रुपये से तलवार जरूर खरीदों और इसे घर पर रखो. अगर कोई भी जो किसी अन्य धर्म का पालन करता है तो आपकी ओर देखने की हिम्मत न कर सके.’

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में नेशनल अलाएंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट, संजीवनी केंद्र ठाणे, परचम और सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस शामिल हैं.

पुलिस को लिखा गया पूरा पत्र नीचे पढ़ें:

Complaint to Thane Police o… by The Wire

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