कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम की स्थिति चिंताजनक: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विरोधी क़ानून को पेश किए जाने के एक दशक बाद भी ‘स्थिति चिंताजनक’ है, जबकि यह केंद्र और राज्यों के लिए सकारात्मक कार्रवाई करने का समय था. अदालत ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि जब महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, तो वे शिकायत करने से हिचकती हैं. उनमें से कई तो अपनी नौकरी छोड़ भी देती हैं.

/
(फोटो: द वायर)

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विरोधी क़ानून को पेश किए जाने के एक दशक बाद भी ‘स्थिति चिंताजनक’ है, जबकि यह केंद्र और राज्यों के लिए सकारात्मक कार्रवाई करने का समय था. अदालत ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि जब महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, तो वे शिकायत करने से हिचकती हैं. उनमें से कई तो अपनी नौकरी छोड़ भी देती हैं.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 12 मई को एक फैसले में कहा कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा (पीओएसएच/PoSH) अधिनियम के कार्यान्वयन में ‘गंभीर खामियां’ और ‘अनिश्चितता’ हैं, जिससे कई कामकाजी महिलाओं के पास अपनी नौकरी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली ने अपने 62 पन्नों के फैसले में कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विरोधी कानून को पेश किए जाने के एक दशक बाद भी ‘स्थिति चिंताजनक’ थी, जबकि यह केंद्र और राज्यों के लिए सकारात्मक कार्रवाई करने का समय था.

द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, फैसला लिखने वाली जस्टिस कोहली ने कहा, ‘इस तरह के निंदनीय कृत्य का शिकार होना न केवल एक महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह उसके भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है. अक्सर यह देखा जाता है कि जब महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, तो वे इस तरह के दुर्व्यवहार की शिकायत करने से हिचकती हैं. उनमें से कई तो अपनी नौकरी छोड़ भी देती हैं.’

जस्टिस कोहली ने कहा कि काम करने वाली महिलाएं यौन उत्पीड़न के मामलों की रिपोर्ट, या तो इस बारे में अनिश्चितता के कारण कि किससे संपर्क किया जाए या प्रक्रिया और उसके परिणाम में आत्मविश्वास की कमी के कारण, करने में अनिच्छुक थीं.

जस्टिस कोहली ने जोर देकर कहा, ‘हालांकि यह अधिनियम कितना भी फायदेमंद हो, यह महिलाओं को कार्यस्थल पर सम्मान और आदर प्रदान करने में कभी भी सफल नहीं होगा, जब तक कि इसका सख्ती से पालन नहीं किया जाता है और इसे लेकर सभी राज्य और गैर-राज्य प्रतिनिधियों द्वारा एक सक्रिय दृष्टिकोण नहीं होता है. अगर कामकाजी माहौल महिला कर्मचारियों की जरूरतों के प्रति शत्रुतापूर्ण, असंवेदनशील और अनुत्तरदायी बना रहता है, तो अधिनियम खाली औपचारिकता बनकर रह जाएगा.’

रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने एक अखबार के सर्वेक्षण का हवाला दिया, जिसमें पता चला है कि देश में 30 राष्ट्रीय खेल संघों में से केवल 16 ने 2013 के अधिनियम के तहत आंतरिक शिकायत समितियों (आईसीसी) का गठन किया था.

जस्टिस कोहली ने नोट किया, यह वास्तव में एक खेदजनक स्थिति है और सभी राज्य अधिकारियों, सार्वजनिक प्राधिकरणों, निजी उपक्रमों, संगठनों और संस्थानों की खराब रवैये का प्रदर्शन करती है, जो यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम को अक्षरश: लागू करने के लिए बाध्य हैं.

अदालत ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सत्यापित करने के लिए समयबद्ध अभ्यास करने का निर्देश दिया कि क्या मंत्रालयों, विभागों, सरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों, निकायों आदि ने आंतरिक शिकायत समितियों (आईसीसी), स्थानीय समितियों (एलसी) और आंतरिक समितियों (आईसी) का गठन अधिनियम के तहत किया है.

इन निकायों को आदेश दिया गया है कि वे अपनी-अपनी समितियों का विवरण अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशित करें. उन्हें शीर्ष अदालत में हलफनामे का पालन करने और दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया था.

जस्टिस कोहली ने लिखा, ‘अगर अधिकारी/प्रबंधन/नियोक्ता उन्हें एक सुरक्षित कार्यस्थल का आश्वासन नहीं दे सकते हैं, तो वे अपने घरों से बाहर निकलने, गरिमापूर्ण जीवन जीने और अपनी प्रतिभा तथा कौशल का प्रदर्शन करने से डरेंगी.’

यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट के 15 मार्च, 2012 के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील में आया, जिसमें यौन उत्पीड़न की शिकायतों के आधार पर नौकरी से बर्खास्त करने के अधिकारियों के फैसले के खिलाफ गोवा विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी की रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था.

अदालत ने कहा कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना ही जांच प्रक्रिया को जल्दबाजी में अंजाम दिया गया. मामला शिकायत समिति को वापस भेज दिया गया है, जिसे तीन महीने के भीतर जांच पूरी करनी है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq