सामान्य वीज़ा फिर से शुरू होने के बावजूद भारत और चीन ने एक दूसरे के पत्रकारों के प्रवेश को रोका

भारत द्वारा चीन की सिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी के एक पत्रकार को बीते 31 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहने के बाद चीन ने तीन भारतीय पत्रकारों के वीज़ा पर रोक लगा दी है. 1980 के दशक के बाद यह पहली बार है कि भारत में चीन का कोई रिपोर्टर नहीं है.

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(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

भारत द्वारा चीन की सिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी के एक पत्रकार को बीते 31 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहने के बाद चीन ने तीन भारतीय पत्रकारों के वीज़ा पर रोक लगा दी है. 1980 के दशक के बाद यह पहली बार है कि भारत में चीन का कोई रिपोर्टर नहीं है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से चीन पहली बार इस साल मार्च में भारतीयों सहित विदेशियों को देश में आने की अनुमति देना शुरू किया था. द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन ठीक एक महीने बाद बीजिंग और नई दिल्ली ने एक-दूसरे के पत्रकारों पर रोक लगानी शुरू कर दी है.

भारत द्वारा चीन की सिन्हुआ (Xinhua) न्यूज एजेंसी के एक पत्रकार को 31 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहने के बाद चीन ने तीन भारतीय पत्रकारों के वीजा पर रोक लगा दी है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, भारत द्वारा सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के पत्रकार के अलावा एक अन्य राज्य मीडिया आउटलेट ‘चाइना सेंट्रल टेलीविजन’ के एक रिपोर्टर को भी देश छोड़ने के लिए कहा गया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये भारत में आखिरी दो चीनी पत्रकार थे. 1980 के दशक के बाद यह पहली बार है कि भारत में कोई चीनी मीडिया रिपोर्टर नहीं है.

चीनी दूतावास ने मंगलवार (30 मई) को कहा था कि इस साल 60,000 भारतीयों को ‘व्यवसाय, अध्ययन, पर्यटन, काम, परिवार के मिलने आदि के लिए’ वीजा दिया गया है. इसके कुछ घंटे बाद वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी.

चीन के एक पूर्व सरकारी मीडिया रिपोर्टर वांग ज़िचेन, जो अब एक थिंक टैंक के लिए काम करते हैं, ने वॉल स्ट्रीट जनरल को बताया, ‘भारत में चीन के और अधिक पत्रकारों की मौजूदगी से दोनों देशों के बीच की खाई को पाटने और एक दूसरे की संस्कृतियों और दृष्टिकोणों की गहरी समझ को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

उन्होंने आगे कहा, ‘यह द्वेषभाव में कमी और सीमा विवाद के अधिक शांतिपूर्ण समाधान का कारण बन सकता है.’

रिपोर्ट में 2016 में सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के तीन पत्रकारों के निष्कासन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत ने चीनी पत्रकारों के देश में ठहरने की अवधि को तेजी से सीमित कर दिया है.

वॉल स्ट्रीट जनरल के अनुसार, चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दिसंबर 2022 में चीन के एक सरकारी टेलीविजन रिपोर्टर को अप्रत्याशित रूप से बिना किसी स्पष्टीकरण के 10 दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था.

लद्दाख में विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच घातक सैन्य झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है. भारत ने कई बार दोहराया है कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग होती है तो चीन के साथ सामान्य संबंध बहाल नहीं हो सकते हैं.

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